गृह मंत्रालय ने अपनी विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम वेबसाइट से वो डेटा हटा दिया है, जिसमें एनजीओ के वार्षिक रिटर्न और उन एनजीओ की सूची शामिल है जिनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. मंत्रालय ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ये डेटा जनता के देखने के लिए 'गैर-ज़रूरी' माना गया था.
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ़्तार किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस वेबसाइट की तरफ से विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) का कथित रूप से उल्लंघन किए जाने की जांच की जा रही है. संस्थान पर विदेशों से चंदा प्राप्त करने का आरोप लगा था, जिसका उसने खंडन किया था.
सीबीआई के अनुसार, गृह मंत्रालय के एफ़सीआरए डिवीज़न के कुछ अधिकारियों ने विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रमोटरों/प्रतिनिधियों, बिचौलियों के साथ साज़िश में निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद दान प्राप्त करना जारी रखने के उद्देश्य से इन संगठनों को पिछले दरवाजे से एफसीआरए पंजीकरण/नवीनीकरण प्राप्त कराने की भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो ग़ैर सरकारी संगठनों- ‘कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव’ और ‘अपने आप विमेन वर्ल्डवाइड’ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द करते हुए दावा किया है कि उन्होंने क़ानून का उल्लंघन किया है और विदेशी चंदे के रूप में प्राप्त धन की कथित तौर पर हेराफेरी की.
एफसीआरए के कथित उल्लंघन मामलों की दो साल की जांच के बाद 31 दिसंबर, 2021 को एजेंसी ने दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत में आकार पटेल और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के ख़िलाफ़ अधिनियम की धारा 35, 39 और 11 के तहत आरोप पत्र दायर किया था.
31 दिसंबर 2021 को 5,932 अन्य एनजीओ के साथ ऑक्सफैम इंडिया का एफसीआरए पंजीकरण समाप्त हो गया था, जिनमें से 5,789 ने पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था. बाकी बचे आवेदन विभिन्न अनियमितताओं की वजह से ख़ारिज कर दिए गए थे. ऑक्सफैम इंडिया इन्हीं में से एक था.
ऑक्सफैम इंडिया ने कहा है कि विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत दिए जाने वाले लाइसेंस का नवीनीकरण करने से इनकार के सरकारी फैसले से देश के 16 राज्यों में संगठन के चल रहे अहम कार्य बुरी तरह से प्रभावित होंगे. इनमें ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करना, जीवन रक्षक दवाएं, ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर आपूर्ति करना जैसे कार्य शामिल हैं.
आईआईटी दिल्ली, जामिया मिलिया इस्लामिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और ऑक्सफैम इंडिया सहित लगभग 6,000 संस्थानों के विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण की मियाद ख़त्म हो गई है. इन संस्थानों ने या तो अपने एफसीआरए लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया या गृह मंत्रालय ने उनके आवेदनों को ख़ारिज कर दिया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है. मंत्रालय ने यह भी बताया कि उसने संस्था के किसी खाते से लेन-देन को नहीं रोका है. मंत्रालय के इस बयान से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी है.
सरकारी जांच एजेंसियों द्वारा छापे मारे जाने और गिरफ़्तारी के डर के चलते अधिकतर लोग चुप रहने का ही विकल्प चुनेंगे.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा अभिनेता सोनू सूद और उनके संगठन पर 20 करोड़ रुपये की कर चोरी का आरोप लगाए जाने के बाद उन्होंने यह बयान जारी किया है. अभिनेता और उनके लखनऊ स्थित रियल एस्टेट फर्म पर आयकर विभाग की छापेमारी के बाद बोर्ड ने दावा किया था कि यह पाया गया है कि सोनू सूद ने कई फ़र्ज़ी संस्थाओं से फ़ज़ी तरीके से ऋण के रूप में ‘बेनामी आय’ अर्जित की.
आयकर विभाग ने अभिनेता सोनू सूद के घर और लखनऊ स्थित कारोबारी समूह के परिसरों पर 15 सितंबर को छापेमारी की थी. सीबीडीटी का कहना है कि सोनू सूद और उनके सहयोगियों के परिसरों की छापेमारी के दौरान कर चोरी से संबंधित साक्ष्य मिले हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक के इस साल जुलाई के नोटिस में कहा गया है कि विदेशी एनजीओ को विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम, 2010 की पूर्व संदर्भ श्रेणी (पीआरसी) में रखा गया है. इसका अर्थ है कि जब कोई विदेशी दानकर्ता भारत में प्राप्तकर्ता एसोसिएशन को राशि भेजेगा, तब इसके लिए उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूर्व में मंज़ूरी लेनी होगी.
आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने दो आवेदन दायर कर इस विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2020 से जुड़े कैबिनेट नोट, पत्राचार और फाइल नोटिंग्स की प्रति मांगी थी. आरोप है कि इस संशोधन क़ानून के चलते कई एनजीओ के काम में बाधा आ रही है.
ईडी द्वारा खाते फ्रीज़ किए जाने के बाद बीते साल सितंबर महीने में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपना काम बंद किया था और इसके लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया था.