रुपया गिर नहीं रहा है, बल्कि डॉलर मज़बूत हो रहा है: वित्त मंत्री सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से रुपये की मज़बूती को लेकर अपनाए जाने वाले उपायों के बारे में पूछा गया था, जिस पर उन्होंने कहा कि डॉलर लगातार मज़बूत हो रहा है. इसलिए तय है कि मज़बूत होते डॉलर के सामने बाकी सभी मुद्राएं कमज़ोर प्रदर्शन करेंगी.

भारत की आर्थिक वृद्धि दर में सुस्ती, प्रति व्यक्ति आय कोविड पूर्व समय की तुलना में नीचे आई

एनएसओ के अनुसार, जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर साल-दर-साल धीमी होकर 4.1% हो गई. यह एक साल में इसकी सबसे धीमी गति है. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.71 प्रतिशत रहा है जो संशोधित बजट अनुमान से कम है.

क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं

केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा.

बजट में आरटीई क़ानून की अनदेखी, ग़ैर-बराबरी व निजीकरण को बढ़ावा देने वाला: संगठन

राइट टू एजुकेशन फोरम का कहना है कि बजट के आधे-अधूरे और अदूरदर्शी प्रावधान बताते हैं कि सरकार स्कूली शिक्षा को लेकर बिल्कुल संजीदा नहीं है. डिजिटल लर्निंग और ई-विद्या संबंधी प्रस्ताव निराशाजनक हैं, जिनसे वंचित वर्गों समेत अस्सी फीसदी बच्चों के स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर होने का ख़तरा मंडरा रहा है.

आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने कहा, बजट में रोज़गार के मोर्चे पर पर्याप्त प्रयास नहीं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय बजट में लघु उद्योगों एवं देश में रोज़गार सृजन को लेकर काफी सीमित प्रयास किए गए हैं जो चिंताजनक हैं.

सिविल सोसाइटी समूहों ने स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट आवंटन में कटौती पर आपत्ति जताई

इस साल स्वास्थ्य बजट आवंटन में बीते वर्ष की तुलना में सात फीसदी की कटौती की गई है. स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे क़रीब सौ छोटे-बड़े सिविल सोसाइटी समूहों के नेटवर्क जन स्वास्थ्य अभियान ने संसद से अपील की है कि वह इस कटौती को ख़ारिज कर आवंटन में बढ़ोतरी करे.

शिक्षा बजट में लगातार होती कटौती निजीकरण की सरकारी मंशा दर्शाती है

शिक्षाविद और नीति-निर्माता उम्मीद कर रहे थे कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार कुछ अहम क़दम उठाएगी क्योंकि लाखों छात्रों ने कोरोना महामारी के चलते अपनी शिक्षा के अहम वर्षों का नुकसान उठाया है, हालांकि बजट से उन सभी को निराशा हुई है.

रक्षा बजट में ‘आत्मनिर्भरता’ की बात करते हुए 68% राशि घरेलू उद्योगों को आवंटित

भारत का रक्षा बजट वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4.78 करोड़ रुपये था. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इसे बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.

कृषि बजट में ‘तकनीक आधारित मॉडल’ को बढ़ावा, किसानों की मांगों की अनदेखी

बजट में एमएसपी भुगतान के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ गेहूं व धान किसानों को निश्चित आय का आश्वासन दिया गया है, पर इसके अमल के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. किसान नेताओं ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि उनकी आय दोगुनी करने के वादे पूरे नहीं किए हैं.

बजट 2022-23: आठ बिंदुओं में समझें कि प्रमुख क्षेत्रों को कितना आवंटन हुआ

द वायर ने आठ बिंदुओं में समझाने की कोशिश की है कि पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने प्रमुख क्षेत्रों और कुछ महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं पर कितना ख़र्च किया है और आने वाले वर्षों में वह इसके लिए कितना  ख़र्च करने की बात कह रही है.

बजट 2022: आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं, विपक्ष ने कहा- मध्यम वर्ग के साथ विश्वासघात

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश करते हुए आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया और मानक कटौती को भी यथावत रखा है, जिसकी सीमा फिलहाल 50,000 रुपये है. विपक्षी नेताओं ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें देश के किसानों, ग़रीबों, वेतनभोगियों और मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं है.

बजट 2022-23: सरकार लाएगी डिजिटल रुपया, क्रिप्टो से आय पर तीस प्रतिशत टैक्स

बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटल मुद्रा की शुरुआत करने से रुपये का प्रबंधन सस्ता और आसान होगा. इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. उन्होंने यह भी बताया कि क्रिप्टो से कमाई पर कर लगेगा. डिजिटल एसेट उपहार में देना भी कर के दायरे में होगा, जहां प्राप्तकर्ता टैक्स देगा.

बैंक निजीकरण और क्रिप्टो विनियमन विधेयक के संसद में पेश न होने की क्या वजह है

सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी विनियमन और बैंक निजीकरण पर प्रमुख वित्तीय क्षेत्र के विधेयकों को इसलिए भी स्थगित कर दिया है कि बाज़ार परिदृश्य को क़ानून लाने के लिए अनुकूल नहीं देखा जा रहा है. इसके अलावा कोरोना महामारी के आर्थिक प्रभाव और ओमीक्रॉन स्वरूप के बढ़ते ख़तरे भी महत्वपूर्ण कारक हैं जिन्होंने वित्तीय क्षेत्र के विधेयकों को स्थगित करने के सरकार के निर्णय को प्रभावित किया है.

अमेज़ॉन पर हमला और राष्ट्रीय मौद्रिकरण पर चुप्पी संघ परिवार के अंतर्विरोध को उजागर करती है

अगर महज़ दो फीसदी बाज़ार हिस्सेदारी वाले अमेज़ॉन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 कहा जा सकता है, तो फिर केंद्र सरकार को क्या कहा जाए जो एक तरफ सरकारी एकाधिकार रहे जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की बिक्री के लिए विदेशी पूंजी को दावत दे रही है, दूसरी तरफ ऊर्जा और रेलवे जैसे रणनीतिक क्षेत्र में थोक भाव से निजीकरण को बढ़ावा दे रही है?

इंफोसिस की आलोचना करने वाले ‘पाञ्चजन्य’ के लेख पर निर्मला सीतारमण ने कहा- यह सही नहीं था

आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ के 5 सितंबर के संस्करण के लेख में भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस पर निशाना साधते हुए इसे ‘ऊंची दुकान, फीका पकवान’ क़रार दिया गया था. इसमें यह भी आरोप लगाया गया था कि इंफोसिस का ‘राष्ट्र-विरोधी’ ताकतों से संबंध है और इसके परिणामस्वरूप सरकार के जीएसटी तथा आयकर पोर्टल में गड़बड़ की गई है.