घोटी और बांगाल समुदाय कई विषयों पर एकमत हो सकते हैं पर जिस बात पर सहमति लगभग असंभव है वह है फुटबॉल का मैदान. सबसे बड़ी टीम कौन-मोहन बागान या ईस्ट बंगाल? बंगनामा स्तंभ की तेरहवीं क़िस्त.
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23 अक्टूबर, 1940 को ब्राज़ील के एक छोटे से क़स्बे में जन्मे पेले ने अपने पिता से इस खेल की बारिकियां सीखी थीं. उनके पिता भी एक फुटबॉल खिलाड़ी थे, जिनका करिअर घुटने की चोट के कारण पटरी से उतर गया था. 1,281 गोल करने का विश्व रिकॉर्ड बनाने के अलावा पेले तीन बार विश्व कप जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी भी थे.
इंडोनेशिया में इंडोनेशियाई प्रीमियर लीग के एक मैच में अपनी टीम की हार के बाद स्थानीय प्रशंसक मैदान के अंदर घुस गए, जिन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए. इससे भगदड़ मच गई और निकासी द्वार से बाहर निकलने के प्रयास में दम घुटने और कुचलने से लोगों की मौत हो गई.
बीते 16 अगस्त को फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संचालन में तीसरे पक्ष का अनावश्यक दख़ल होने का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. फीफा को महासंघ का संचालन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति द्वारा करने से आपत्ति थी, जिसे भंग कर दिए जाने के बाद प्रतिबंध हटा है.
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ (फीफा) ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संचालन में तीसरे पक्ष का अनावश्यक दख़ल होने का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगाया है. इसकी शुरुआत महासंघ के पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के अपना तीसरा कार्यकाल दिसंबर 2020 में समाप्त होने के बावजूद पद नहीं छोड़ने से हुई और अब उसका सबसे बुरा परिणाम भारत पर फीफा प्रतिबंध के रूप में सामने आया है.
डिएगो मैराडोना को प्रसिद्धि तब मिली, जब उन्होंने 1986 विश्व कप में अपने देश अर्जेंटीना की कप्तानी की और जीत दिलाई. इसी विश्व कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ क्वार्टर फाइनल में ‘हैंड ऑफ गॉड’ नाम से मशहूर हुए गोल से वह फुटबॉल की किवदंतियों में शुमार हो गए थे.
चुन्नी गोस्वामी 1962 के एशियाई खेल की स्वर्ण पदक विजेता भारतीय टीम के कप्तान रहे थे. एक क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया था.
1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता रहे पीके बनर्जी भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम दौर के साक्षी रहे थे. उन्होंने भारत के लिए 84 मैच खेलकर 65 गोल किए. पीके बनर्जी अर्जुन पुरस्कार पाने वाले शुरुआती लोगों में से एक थे. साल 1990 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
साल 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान में महिलाओं के पुरुषों का खेल देखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. राजधानी तेहरान के आज़ादी स्टेडियम में बृहस्पतिवार को हुए वर्ल्ड कप फुटबॉल के क्वालीफायर मैच में ईरान ने कंबोडिया को मात दी.
हाल ही में संपन्न हुए फुटबॉल विश्वकप से भारत को क्या सबक सीखना चाहिए? मीडिया बोल की 58वीं कड़ी में उर्मिलेश इस विषय पर नवभारत टाइम्स के सीनियर असिस्टेंट एडिटर चंद्र भूषण और वरिष्ठ पत्रकार बिराज स्वैन से चर्चा कर रहे हैं.
क्रिकेट में लाख अनियमितताओं के बावजूद खेल का स्तर बना रहा, जबकि अन्य खेल जो सरकार के अधीन रहे, वहां अनियमितताएं इस कदर हुईं कि खेल ही रसातल में चले गए.