उत्तराखंड के अल्मोड़ा में एक पाइन रेजिन फैक्ट्री में तीन मज़दूरों की जंगल की आग को बुझाने के दौरान झुलसने से मौत हो गई, जबकि एक अन्य घायल है. पिछले साल 1 नवंबर से अब तक उत्तराखंड में जंगल में आग लगने की 868 घटनाएं हुई हैं, जिसमें 1,000 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि नष्ट हो गई है.
भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, 21 अप्रैल से अब तक उत्तराखंड में जंगल में आग लगने की कम से कम 202 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो ओडिशा के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है, जहां ऐसी 221 घटनाएं दर्ज की गईं.
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने शुक्रवार को भीषण रूप ले लिया और आग की लपटें नैनीताल की हाईकोर्ट कॉलोनी तक पहुंच गईं. इस बीच नैनी झील में बोटिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. पिछले 24 घंटों में ही राज्य में जंगल में आग लगने की 31 नई घटनाएं सामने आई हैं.
उत्तराखंड में इस साल सर्दियों में सामान्य से कम बारिश होने के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं ज़्यादा हो रही हैं. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा बुलाई गई बैठक में अधिकारियों ने बताया कि इस ‘फायर सीज़न’ में अब तक जंगल में आग लगने की 983 घटनाएं हुई हैं, जिससे 1,292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है.
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल के दौरान जंगल में आग लगने की घटनाओं में सर्वाधिक बढ़ोतरी ओडिशा और आंध्र प्रदेश में हुई है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर में भी जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं.