कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिदों को लाउडस्पीकर पर अजान देने से रोकने का आदेश देने से इनकार करते हुए अधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण और लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध के बारे में नियमों को लागू करने का निर्देश दिया.
माओवादी संबंध मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ने 21 मई से भूख हड़ताल शुरू की थी. उनकी मांग थी कि उनकी जेल कोठरी के सामने लगा सीसीटीवी कैमरा हटाया जाए. इसे लेकर उनके परिजनों ने निजता के हनन का हवाला देते हुए महाराष्ट्र के गृहमंत्री को पत्र भी लिखा है.
साल 2015 में पानी की नियमित सप्लाई की मांग को लेकर कुछ महिलाएं मुंबई में प्रदर्शन कर रही थीं. इन्हें ट्रैफिक रोकने के आरोप में हिरासत में ले लिया गया था. इनमें से दो वरिष्ठ नागरिक हैं. अदालत ने कहा कि पुलिस के पास इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का कोई कारण नहीं था.
ग्रैफिटी कलाकार निलिम महंत और मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं वकील इबो मिली को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार 'कुछ उचित प्रतिबंधों' के साथ आता है. कोर्ट ने उन्हें दीवार के उस हिस्से को फिर से पेंट करने का भी निर्देश दिया है, जिसे विरूपित किया गया था.
वीडियो: हिजाब को लेकर कर्नाटक के कई कॉलेजों में पिछले एक महीने से विवाद चल रहा है. यह विवाद तब शुरू हुआ जब उडुपी ज़िले एक सरकारी कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से कॉलेज में प्रवेश करने नहीं दिया गया. द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
सरस्वती को विद्या की देवी कहकर हिंदुओं तक सीमित न रखने की अपील की जाती है. धर्म को संस्कृति का चोला ओढ़ाकर दूसरे धर्मावलंबियों को उसे मानने को बाध्य किया जाता है. ऐसे ही आशय से प्रेमचंद ने लिखा था कि सांप्रदायिकता को अपने असली रूप में निकलने में शर्म आती है, इसलिए वह संस्कृति की खाल ओढ़कर बाहर निकलती है.
कांग्रेस, टीएमसी, वामपंथी दलों, राजद, एनसीपी और बसपा ने तर्क दिया कि संविधान नागरिकों को उनके धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है. राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि बाधा हिजाब नहीं है बल्कि इसका विरोध कर रहे लोगों की मानसिकता है.
बीते जनवरी माह में कर्नाटक में उडुपी ज़िले के एक कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का विरोध करने का मामला सामने आने के बाद ऐसी ही दो घटनाएं इसी ज़िले के कुंडापुर में हुई हैं. इन दोनों कॉलेजों में भी हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को प्रवेश नहीं करने दिया गया है. इस बीच राज्य के गृहमंत्री ने कहा है कि किसी को भी अपने धर्म का पालन करने के लिए विद्यालय नहीं आना चाहिए.
याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि हिजाब पहनना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है और यह इस्लाम की एक अनिवार्य प्रथा है. कर्नाटक के उडुपी स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पहनने की वजह से 28 दिसंबर 2021 से छह मुस्लिम छात्राओं को कक्षाओं में बैठने नहीं दिया जा रहा है.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर को दिए आदेश में कहा कि दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं और उन्हें अपने परिवार के विरोध के बावजूद अपना जीवनसाथी चुनने का मौलिक अधिकार है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने स्वच्छ पर्यावरण प्रस्ताव को पारित किया. इसमें देशों से पर्यावरण में सुधार करने की अपनी क्षमताओं को भी बढ़ाने की मांग की गई है. इस प्रस्ताव के समर्थन में 43, जबकि विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा. वहीं चार सदस्य देश चीन, भारत, जापान और रूस अनुपस्थित रहे.
उत्तर प्रदेश में बढ़ रही बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ बीते 24 सितंबर को विभिन्न छात्रों और युवा संगठनों ने राज्यव्यापी आंदोलन किया. प्रदर्शनकारियों ने ऐलान किया कि वे अगले साल राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले ‘छात्र युवा रोज़गार अधिकार मोर्चा’ के तहत राज्य में बेरोज़गारी और निजीकरण के ख़िलाफ़ आंदोलन को और तेज़ करेंगे.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे जिला के भिवंडी शहर के कांबे गांव के ग्रामीणों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. याचिका में ठाणे ज़िला परिषद और भिवंडी-निज़ामपुर नगर निगम के संयुक्त उद्यम एसटीईएम वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन और इन्फ्रा कंपनी को दैनिक आधार पर पानी की आपूर्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि उन्हें महीने में सिर्फ़ दो बार पानी आपूर्ति होती है और यह केवल दो घंटे के लिए.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने यह टिप्पणी महाराष्ट्र के अमरावती शहर में ज़िला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता के ख़िलाफ़ जारी ज़िलाबदर आदेश को रद्द करते हुए की. ज़िलाबदर आदेशों में किसी व्यक्ति की कुछ स्थानों पर आवाजाही पर रोक लगाई जा सकती है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने दाढ़ी न रखने के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर अयोध्या के एक पुलिस कॉन्स्टेबल मोहम्मद फ़रमान को निलंबित कर दिया था, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि पुलिसबल में दाढ़ी रखना संवैधानिक अधिकार नहीं है.