कर्नाटक के क़ानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि सीबीआई मामलों की जांच में पक्षपाती रुख़ अपनाती है. इसलिए हम हर मामले का सत्यापन करने के बाद जांच की अनुमति देंगे.
बीते बुधवार को तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को ईडी द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के कुछ घंटों बाद राज्य सरकार ने यह क़दम उठाया है. सेंथिल बालाजी को नौकरी के बदले नकद घोटाले की जांच के तहत गिरफ़्तार किया गया है.
एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के महीनों में विपक्ष शासित आठ राज्य सरकारों द्वारा उनके राज्य में मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई ‘आम सहमति’ वापस ली गई है.
इससे पहले झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों ने जांच के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली थी. पिछले दो महीनों में पंजाब चौथा राज्य है, जिसने ऐसा किया है.
झारखंड में मुख्य विपक्षी भाजपा ने इस क़दम की आलोचना की और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सरकार ने अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए यह क़दम उठाया है. बीते दो महीने में झारखंड चौथा राज्य है, जिसने सीबीआई को मिली आम सहमति रद्द कर दी है.