उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में सरकार द्वारा संचालित लाला लाजपत राय अस्पताल का मामला. अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख और नोडल अधिकारी डॉ. अरुण आर्य ने कहा कि संक्रमित बच्चों में से सात में हेपेटाइटिस बी, पांच में हेपेटाइटिस सी और दो में एचआईवी की पुष्टि हुई है. उन्होंने कहा कि बच्चों में एचआईवी संक्रमण विशेष रूप से चिंताजनक है.
मामला फिरोज़ाबाद का है. एचआईवी पॉजिटिव महिला के परिवार का आरोप है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रसव पीड़ा के बावजूद कई घंटों तक उन्हें छूने से मना किया. अस्पताल प्रमुख के हस्तक्षेप के बाद महिला की डिलीवरी हुई, जिसके कुछ घंटे बाद ही नवजात की मौत हो गई. अस्पताल ने जांच के आदेश दिए हैं.
इलाहाबाद के तेज बहादुर सप्रू अस्पताल में नमाज़ पढ़ रही एक महिला के वीडियो को लेकर पुलिस ने कहा कि वो बिना किसी ग़लत इरादे के, किसी के काम या आवाजाही में बाधा डाले बिना उनके मरीज़ के शीघ्र स्वस्थ होने को लेकर नमाज़ अदा कर रही थीं. यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता.
बिहार के समस्तीपुर स्थित सरकारी सदर अस्पताल का मामला. अस्पताल के एक कर्मचारी ने कथित तौर पर बेटे के शव को देने के लिए उनके बुज़ुर्ग माता-पिता से 50,000 रुपये मांगे थे. अस्पताल प्रशासन ने कहा कि ज़िम्मेदार पाए जाने वाले लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.
मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित कमला नेहरू बाल चिकित्सालय (हमीदिया अस्पताल परिसर) की विशेष नवजात शिशु इकाई में सोमवार रात आग लग गई थी. यहां कुल 40 बच्चों को भर्ती किया गया था. इनमें से 36 बच्चों को अलग-अलग वार्डों में रखा गया है. प्रदेश सरकार ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.
अहमदनगर के ज़िलाधिकारी ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं. आग लगने के समय सरकारी अस्पताल के कोविड वार्ड में 17 मरीज़ थे. शुरुआत में आग में 10 मरीज़ों की मौत हो हुई थी, जबकि सात अन्य को स्थानांतरित कर दिया गया था. बाद में सात में से एक गंभीर मरीज़ की मौत हो गई.
महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के भिवंडी में एक सरकारी अस्पताल पर 28 वर्षीय आदिवासी महिला को करीब 11 घंटे अस्पताल की सीढ़ियों पर बिठाए रखने का आरोप लगा है. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि जब उन्हें इस बारे में सूचित किया गया, तो उन्होंने तुरंत उन्हें भर्ती करने की व्यवस्था की.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में डेंगू और वायरल बुखार से लगातार बच्चों की मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. क़रीब 100 बच्चों की मौत हो जाने के बाद भी सरकार की लापरवाही इतनी है कि अस्पताल में एक बेड पर 3 से 4 बच्चों का इलाज किया जा रहा है.
फ़िरोज़ाबाद जिला बीते कई हफ्तों से डेंगू और घातक वायरल बुखार के प्रकोप से जूझ रहा है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार जिले में अभी तक 57 लोगों की मौत हुई है जिसमें अधिकतर बच्चे हैं. हालांकि बीते तीन सितंबर को सदर विधायक मनीष असीजा ने बुखार और डेंगू से अब तक 61 लोगों की मौत होने का दावा किया था.
फ़िरोज़ाबाद सदर से भाजपा विधायक मनीष असीजा का दावा है कि मरने वालों की संख्या 61 पहुंच गई हैं. वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि फ़िरोज़ाबाद जनपद में 10 क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहां वायरल बुखार और डेंगू का प्रकोप है, जिनमें नौ ब्लॉक व एक नगर निगम क्षेत्र है. कुल 3,719 रोगियों का इलाज चल रहा है और बुखार से पीड़ित कुल मरीज़ों की तादाद 2,533 है.
फिरोज़ाबाद मेडिकल कॉलेज में मंगलवार शाम तक 210 बच्चों को भर्ती कराया गया था. बीते एक हफ्ते में डेंगू जैसे संदिग्ध बुखार से दम तोड़ने वालों में बत्तीस बच्चे शामिल हैं. अधिकारियों का कहना है कि मौत का प्राथमिक कारण डेंगू लग रहा है पर साथ ही अन्य कारणों का भी पता लगाया जा रहा है.
गुजरात के जामनगर के गुरु गोबिंद सिंह सरकारी अस्पताल का मामला है. महिला कर्मचारियों ने बताया कि उनके सुपरवाइज़रों ने यौन संबंध बनाने के उनके प्रस्तावों को ठुकराने वाली अटेंडेंट्स को लगभग तीन महीने का वेतन दिए बिना निकाल दिया. राज्य सरकार इन आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है.
मामला मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय का है. प्रशासन ने एक महिला नर्स को निलंबित कर दिया. इसके अलावा अस्पताल में साफ-सफाई और सुरक्षा की ठेकेदार कंपनी के दो कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है.
तमिलनाडु के चेंगलपट्टू स्थित सरकारी अस्पताल में जिन 13 मरीजों की मौत हुई उनकी उम्र 40 से 85 वर्ष के बीच थी. रातभर में हुईं इन मौतों से इलाके के लोगों में दहशत है और मृतकों के परिजनों में आक्रोश है, जिन्होंने मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी को बताया है. हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इससे इनकार किया है.
महाराष्ट्र के मंत्री बच्चू कडू ने सोमवार को कुछ शिकायतें मिलने के बाद अकोला के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का औचक दौरा किया था. उन्होंने कोविड-19 के मरीज़ों समेत विभिन्न रोगियों को उपलब्ध कराए जा रहे भोजन की जांच की और यह पता चलने पर नाराज़ हो गए कि इसकी गुणवत्ता कथित तौर पर ख़राब थी.