अपनी याचिका में बिलक़ीस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की समीक्षा की भी मांग की है, जिसमें गुजरात सरकार को दोषियों की सज़ा पर निर्णय लेने की अनुमति दी गई थी.
गुजरात के पूर्व मंत्री चंद्रसिंह राउलजी उस समिति में शामिल थे, जिसने बिलक़ीस बानो बलात्कार और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के 11 दोषियों की रिहाई के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला दिया था. गोधरा से छह बार के विधायक रहे राउलजी ने एक इंटरव्यू में दोषियों को ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताया था.
भारतीय चुनाव आयोग ने गुजरात में चुनाव संपन्न कराने से सीधे तौर पर जुड़े अधिकारियों के तबादलों के संबंध में राज्य के मुख्य सचिव से बीते 1 अगस्त को अनुपालन रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन 19 अक्टूबर को आयोग द्वारा वापस एक रिमाइंडर भेजने के बाद भी अब तक रिपोर्ट सौंपी नहीं गई है.
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन ने सुप्रीम कोर्ट में नए सिरे से एक याचिका दायर किया है, जिसमें बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है.
बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी और रिहाई के निर्णय का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि 'जो भी हुआ है, क़ानून के अनुसार हुआ है.' वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार द्वारा दायर जवाब को 'बोझिल' बताते हुए कहा कि इसमें तथ्यात्मक बयान गुम हैं.
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दी थी. इसे लेकर कांग्रेस ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने सभी बलात्कारियों से ऐसे ही बर्ताव करने का निर्णय लिया है? क्या रेप मामलों में यह नया मानक तय किया गया है?
सुप्रीम कोर्ट में बिलक़ीस बानो मामले के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका के जवाब में गुजरात सरकार ने कहा है कि इस क़दम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी. सरकार के हलफ़नामे के अनुसार, सीबीआई, स्पेशल क्राइम ब्रांच, मुंबई और सीबीआई की अदालत ने सज़ा माफ़ी का विरोध किया था.
गुजरात विधानसभा के समक्ष पेश अपनी पांचवीं रिपोर्ट में लोक लेखा समिति ने बताया है कि वन और पर्यावरण विभाग द्वारा मुंद्रा पोर्ट और कच्छ में स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (सेज़) में अडानी केमिकल्स को दी गई वन भूमि के अनुचित वर्गीकरण के कारण कंपनी ने राज्य सरकार को 58.64 करोड़ रुपये कम भुगतान किया.
विधेयक में पशुपालकों के लिए मवेशी पालने हेतु लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य किया गया था और उनके पशुओं को आवारा घूमते पाए जाने पर जेल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया था. विधेयक पारित किए जाने के बाद से मालधारी समुदाय आंदोलन कर रहा था.
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी को 2016 के एक विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामले में सड़क अवरुद्ध करने को लेकर यह सज़ा सुनाई गई है. इससे पहले मई महीने में गुजरात की एक अदालत ने साल 2017 में बगैर अनुमति के ‘आज़ादी रैली’ निकालने के लिए मेवाणी को तीन महीने क़ैद की सज़ा सुनाई थी.
2002 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलक़ीस मामले में शामिल होने का फैसला किया था क्योंकि उसे पता था कि गुजरात सरकार बलात्कारियों और हत्यारों को बचा रही है. बीस साल बाद भी कुछ नहीं बदला है.
पूर्व नौकरशाहों द्वारा प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हम इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि शीर्ष अदालत ने इस मामले को इतना ज़रूरी क्यों समझा कि दो महीने के भीतर फैसला लेना पड़ा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले की जांच गुजरात की 1992 की माफ़ी नीति के अनुसार की जानी चाहिए, न कि इसकी वर्तमान नीति के अनुसार.
दिल्ली के जंतर मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन में अभिनेत्री शबाना आज़मी, महिला अधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन, फिल्म निर्माता गौहर रज़ा और छात्र संगठन आइसा भी शामिल हुए. प्रदर्शन के दौरान कहा गया कि दोषियों की रिहाई से देश में संदेश गया है कि मुस्लिम महिलाओं के बलात्कारियों को सज़ा नहीं दी जाएगी, बल्कि माला पहनाकर पुरस्कृत किया जाएगा.
तीस्ता सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में ‘निर्दोष लोगों को फंसाने’ के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के लिए जून में गिरफ्तार किया गया था. बीते 30 जुलाई को अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने मामले में सीतलवाड़ तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिकाएं खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें यह जांचना होगा कि क्या उसे कैद की जरूरत है.
बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने जो किया, उसके लिए उन्हें सज़ा मिली. सवाल यह है कि क्या वे सज़ा माफ़ी के हक़दार हैं और क्या यह माफ़ी क़ानून के मुताबिक़ दी गई.