नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर के घर और कार्यालय पर बीते शुक्रवार को सीबीआई ने छापा मारा था, जिसके विरोध में 250 से अधिक शख़्सियतों ने एक पत्र जारी करके मंदर के समर्थन में एकजुटता दिखाई है. उन्होंने सीबीआई द्वारा दर्ज एफ़आईआर और चल रही अन्य सभी जांचों को बंद करने की मांग की है.
शुक्रवार सुबह सीबीआई के लोग दिल्ली के वसंत कुंज स्थित पूर्व आईएएस अधिकारी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और दक्षिणी दिल्ली के ही अधचिनी में उनके दफ्तर पहुंचे थे. इससे पहले सितंबर 2021 में उनसे जुड़े परिसरों पर ईडी द्वारा भी छापे मारे गए थे.
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केंद्र सरकार द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा संचालित थिंक टैंक सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज का एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने के लिए उनके द्वारा विभिन्न प्रकाशनों में लेख लिखने का हवाला दिया गया है. मंदर ने इसे अभिव्यक्ति और असहमति की स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर सीधा हमला बताया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल्याणकारी राज्य का यह कर्तव्य है कि वह प्रत्येक प्रवासी श्रमिक को राशन कार्ड मुहैया कराए. अदालत ने अधिकारियों को अपने आदेश को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया और सुनवाई की अगली तारीख 3 अक्टूबर तक केंद्र से स्थिति रिपोर्ट मांगी है.
पूर्व वित्त सचिव ईएएस सरमा ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को लिखे एक पत्र में कहा है कि विदेशी चंदे को लेकर मूल समस्या से निपटने के बजाय हर्ष मंदर के एनजीओ अमन बिरादरी का उत्पीड़न न्याय का उपहास करना है.
कॉन्सटिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप से जुड़े देश के 72 पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को लगातार हिरासत में रखने और उनकी निजी स्वतंत्रता के हनन पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि क़ानून के समक्ष समानता के संवैधानिक सिद्धांत के समर्थक के रूप में नुपुर शर्मा और मोहम्मद जुबैर के बीच भेदभावपूर्ण व्यवहार को देखना बहुत परेशान करने वाला है.
अमेरिकी प्रवासी संगठनों द्वारा 'भारत में सांप्रदायिकता' पर आयोजित एक कार्यक्रम में भेजे गए संक्षिप्त संदेश में प्रख्यात अकादमिक और भाषाविद नोम चॉम्स्की ने कहा कि पश्चिम में बढ़ रहे इस्लामोफोबिया ने भारत में सबसे घातक रूप ले लिया है, जहां मोदी सरकार व्यवस्थित ढंग से धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को ख़त्म कर रही है.
सरकारी जांच एजेंसियों द्वारा छापे मारे जाने और गिरफ़्तारी के डर के चलते अधिकतर लोग चुप रहने का ही विकल्प चुनेंगे.
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सरकार के अन्य आलोचकों को ख़ामोश कराने के लिए कर चोरी और वित्तीय अनियमितता जैसे राजनीति से प्रेरित आरोप लगा रही है.
ईडी ने गुरुवार को दिल्ली में मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर से जुड़े कई परिसरों पर छापेमारी की थी. 500 से अधिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह केंद्र सरकार के हर आलोचक को धमकाने, डराने और चुप कराने की लगातार की जा रही कोशिश का हिस्सा हैं.
ईडी मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर से जुड़े कई परिसरों- वसंत कुंज में उनके घर, अधचीनी में उनके कार्यालय और महरौली में एक बाल गृह- पर छापेमारी कर रहा है.
इस साल जनवरी में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर से जुड़े बच्चों के दो आश्रय गृहों को लेकर बुनियादी ढांचे, वित्त पोषण और संचालन लाइसेंस में अनियमितताओं की सूचना दी थी. साथ ही यहां यौन शोषण की संभावना को भी व्यक्त किया था. दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मामले में दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बताया है कि एनसीपीसीआर के आरोपों में सबूतों और योग्यता की कमी है.
क्या पैसे, शोहरत और सुरक्षा की परवाह किए बगैर चुपचाप समाज के सबसे वंचित तबके की मदद करने वाले डॉ. प्रदीप बिजलवान के अस्पताल और ऑक्सीजन की जद्दोजहद के बीच गुज़र जाने के कोई मायने हैं? क्या वे भी उस सरकारी रिकॉर्ड में मौत का महज़ एक आंकड़ा बनकर रह जाएंगे, जिसमें आज की तारीख़ में लगभग दो लाख मौतें दर्ज हैं?
तक़रीबन एक दशक से और कोरोना महामारी के दौरान भी दिल्ली के बेघर लोगों के लिए काम करने वाले 60 वर्षीय डॉ. प्रदीप बिजलवान का शुक्रवार को निधन हो गया. वे कोरोना संक्रमित थे और अस्पताल में जगह न मिलने के बाद अपने घर पर ही इलाज करवा रहे थे.