भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले हम सभी लोगों के सामने यह चुनने का रास्ता है कि या तो हम इंसाफ़ की एक साझी सोच की दिशा में काम करें, उस दर्द और नफ़रत को दूर करने के लिए, जो हमारी सारी सामूहिक स्मृतियों को निगल रहे हैं, या फिर इन हालात को और बिगड़ने दें.
दोनों मुस्लिम छात्राओं की ओर से कहा गया है कि उन्हें हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन कॉलेज के अधिकारियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें परीक्षा कक्ष में प्रवेश देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों घर लौट गईं.
वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कॉरपोरेट अग्रणियों के बीच पसरे विराट मौन में शायद ही कोई अपवाद मिले. यह बात अब शीशे की तरफ साफ हो गई है कि मौजूदा निज़ाम में कॉरपोरेट समूहों और हिंदुत्व वर्चस्ववादी ताकतों की जुगलबंदी नए मुकाम पर पहुंची है.
मुस्लिमों की लानत-मलामत करना चुनाव जीतने का फॉर्मूला बन चुका है. और देश के हालात देखकर लगता नहीं है कि ये आने वाले समय में असफल होगा.
कर्नाटक में हिजाब और ‘हलाल’ मांस विरोधी अभियान के बाद बजरंग दल और श्रीराम सेना के नेतृत्व वाले दक्षिणपंथी संगठनों ने अब मस्ज़िदों में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. श्रीराम सेना के संयोजक प्रमोद मुतालिक ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाया जाए और ध्वनि प्रदूषण के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाए.
कर्नाटक के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा के सहायक निदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि बूचड़खानों के लिए लाइसेंस जारी किए जाने की शिकायतें मिलीं हैं. अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जानवरों को मारने से पहले उन्हें बेहोश करने की प्रक्रिया का पालन हो. मीट कारोबारियों को डर है कि आदेश का इस्तेमाल उन्हें परेशान करने के लिए हो सकता है.
कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद अब हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा हलाल मीट बेचने वाले मुस्लिम विक्रेताओं के बहिष्कार का मसला विवादों में है. इसी हफ्ते भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने हलाल मीट को ‘आर्थिक जिहाद’ बताया था, वहीं मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि सरकार हलाल मीट के ख़िलाफ़ लोगों की आपत्तियों पर विचार करेगी.
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार निर्देश दिया है. हर सरकारी कर्मचारी को नियम का पालन करना होगा. यदि इसका पालन नहीं किया जाता है तो निश्चित रूप से कुछ कार्रवाई करनी पड़ेगी. इससे पहले उडुपी में हिजाब की अनुमति नहीं देने पर 40 मुस्लिम छात्राओं ने प्री यूनिवर्सिटी परीक्षा छोड़ी दी थी.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका में कहा गया है कि यह मुस्लिम लड़कियों के खिलाफ ‘प्रत्यक्ष भेदभाव’ का मामला है. कहा गया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली से एक वर्ग के भेदभाव, बहिष्कार और समग्र रूप से वंचित होने के अलावा किसी व्यक्ति के पवित्र धार्मिक विश्वास का गंभीर रूप से अतिक्रमण करता है. हाईकोर्ट ने बीते दिनों कक्षाओं में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी.
कर्नाटक के हिजाब को लेकर उपजे विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए बीते 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरक़रार रखा था. इसके बाद कर्नाटक सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि सभी को हाईकोर्ट के फैसले का पालन करना होगा, अन्यथा उन्हें परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
मिस यूनिवर्स हरनाज़ संधू ने एक कार्यक्रम में हिजाब सहित विभिन्न मुद्दों पर लड़कियों को निशाना बनाए जाने पर रोक लगाने की अपील करते हुए कहा कि लड़कियों को उनकी मर्ज़ी से जीने दीजिए, उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचने दीजिए, उन्हें उड़ने दीजिए. उनके पंख मत काटिए.
पालघर ज़िले के एक विधि महाविद्यालय की प्राचार्य ने हिजाब पहनने के लिए प्रबंधन द्वारा परेशान किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि हिजाब पहनना पहले कभी कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन कर्नाटक में हुए विवाद के बाद ही यह मुद्दा बना है. उधर, कॉलेज ने इस आरोप से इनकार किया है.
कर्नाटक हाईकोर्ट के मामले पर अंतिम निर्णय के इंतज़ार में कई छात्राओं ने तय किया था कि वे न कक्षाओं में जाएंगी, न ही प्रैक्टिकल परीक्षाएं देंगी. इस पर शिक्षा मंत्री बीसी नागेश का कहना है कि वे अनुपस्थित छात्राओं के लिए फिर से परीक्षा आयोजित नहीं करेंगे, छात्राएं चाहें तो पूरक परीक्षाओं में शामिल हो सकती हैं.
स्कूल की वर्दी या यूनिफॉर्म के पीछे का तर्क छात्रों में बराबरी की भावना स्थापित करना है. वह वर्दी विविधता को पूरी तरह समाप्त कर एकरूपता थोपने के लिए नहीं है. उस विविधता को पगड़ी, हिजाब, टीके, बिंदी व्यक्त करते हैं. क्या किसी की पगड़ी से किसी अन्य में असमानता की भावना या हीनभावना पैदा होती है? अगर नहीं तो किसी के हिजाब से क्यों होनी चाहिए?
भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और उडुपी गवर्नमेंट पीयू कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के उपाध्यक्ष यशपाल सुवर्णा ने कहा कि लड़कियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे विद्यार्थी नहीं बल्कि आतंकवादी संगठन की सदस्य हैं. हाईकोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ बयान देकर वे विद्वान जजों की अवहेलना कर रही हैं.