समान नागरिक संहिता से पहले समान जाति कोड की आवश्यकता है: डीएमके

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने विधि आयोग को पत्र लिखकर प्रस्तावित समान नागरिक संहिता पर आपत्ति दर्ज कराई है. पार्टी ने कहा कि सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता लाने से पहले हमें जातिगत भेदभाव और अत्याचारों को ख़त्म करने के लिए एक समान जाति कोड की आवश्यकता है.

पुर्तगालियों ने मंदिरों को नष्ट किया था, उनके शासन के निशानों को मिटा देना चाहिए: गोवा के सीएम

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बैतूल क़िले में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुए एक कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि 60 वर्षों के बाद हमें पुर्तगालियों की निशानियों को मिटा देना चाहिए. हमें नए सिरे से शुरुआत करने की ज़रूरत है.

झारखंड: सरना धर्म संहिता की मांग को लेकर आदिवासियों का प्रदर्शन

‘आदिवासी सेंगेल अभियान’ ने सरना धर्म संहिता और जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम की मांग को लेकर कहा कि यदि केंद्र 20 नवंबर तक ऐसा न करने की वजह बताने में विफल रहा तो ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के पचास ज़िलों में आदिवासियों को 30 नवंबर से ‘चक्का जाम’ करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

आदिवासियों ने प्रदर्शन कर कहा, ‘सरना’ को आदिवासियों के धर्म के तौर पर मान्यता दे केंद्र

झारखंड, ओडिशा और असम सहित पांच राज्यों के विभिन्न आदिवासी समुदायों के लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन कर केंद्र से उनके धर्म को ‘सरना’ के रूप में मान्यता देने और आगामी जनगणना के दौरान इस श्रेणी के तहत उनकी गणना सुनिश्चित करने की मांग की. उनका कहना है कि देश में आदिवासियों का अपना धर्म, धार्मिक प्रथाएं और रीति-रिवाज हैं, लेकिन इसे अभी तक सरकार द्वारा मान्यता नहीं मिली है.

हिंदू संस्कृति बचाने के लिए पुर्तगालियों द्वारा तोड़े गए मंदिर फिर बनाए जाएंगे: गोवा के मुख्यमंत्री

पोंडा के मंगेशी मंदिर में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा की मुक्ति के साठवें बरस में पुर्तगाली शासनकाल में तोड़े गए मंदिरों को दोबारा बनाए जाने की ज़रूरत है. मैं फिर हिंदू संस्कृति और मंदिर संस्कृति को बचाने का आग्रह करता हूं. हमें इन मंदिरों का पुनर्निर्माण करने की ताक़त दीजिए.

समलैंगिक विवाह को मान्यता की मांग पर केंद्र ने कहा, सिर्फ जैविक महिला-पुरुष के बीच विवाह मान्य

दिल्ली हाईकोर्ट में विशेष, हिंदू और विदेशी विवाह क़ानूनों के तहत समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के अनुरोध वाली कई याचिकाएं लंबित हैं, जिन पर 30 नवंबर को अंतिम सुनवाई होगी. इस साल फरवरी में केंद्र ने इन याचिकाओं को ख़ारिज करने की मांग करते हुए अदालत में तर्क दिया था कि भारत में विवाह 'पुराने रीति-रिवाजों, प्रथाओं, सांस्कृतिक लोकाचार और सामाजिक मूल्यों' पर निर्भर करता है.

समलैंगिक विवाह के लिए दायर याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर एक ओसीआई कार्डधारक के विदेशी मूल के जीवनसाथी को उसकी लैंगिकता की परवाह किए बिना ओसीआई पंजीकरण की अनुमति देने की मांग की गई है. उन्होंने तमाम विवाह क़ानूनों के तहत समलैंगिक शादी को मान्यता प्रदान करने की गुज़ारिश की है.

पुलिस प्रताड़ना के ख़िलाफ़ कोर्ट का आदेश, कहा- एलजीबीटी समुदाय को हाशिए पर नहीं छोड़ सकते

पुलिस प्रताड़ना के ख़िलाफ़ दो समलैंगिक महिलाओं द्वारा दायर याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि एलजीबीटी समुदाय के संबंधों के प्रति समाज में परिवर्तन की ज़रूरत है. असली समस्या क़ानूनी मान्यता की नहीं बल्कि सामाजिक स्वीकृति की है. हमारा मानना है कि सामाजिक स्तर पर बदलाव होने चाहिए.

केंद्र ने समलैंगिक शादी पर सुनवाई का किया विरोध, कहा- विवाह सर्टिफिकेट के बिना कोई मर नहीं रहा

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है. इससे पहले केंद्र सरकार ने अदालत में ऐसे विवाह का विरोध करते हुए कहा था कि हमारा समाज, हमारा कानून और हमारे नैतिक मूल्य इसकी मंजूरी नहीं देते. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में अपने एक फैसले में समलैंगिक यौन संबंध को सहमति प्रदान की थी, लेकिन इसमें समलैंगिकों की शादी का ज़िक्र नहीं था.

नियमगिरि पर्व लोगों के प्रतिरोध का उत्सव है…

नियमगिरि में धरणी पेनु सबसे बड़ी शक्ति हैं, जो धरती का स्वरूप कही जाती हैं. लोगों का विश्वास है कि धरती की पूजा सबसे पहले होनी चाहिए. बीते दिनों इनकी उपासना करते हुए नियमगिरि पर्व मनाकर लोगों ने अपनी एकता को मजबूत करने का संकल्प लिया.

सरना धर्म कोड: आदिवासियों को मिलेगी उनकी अपनी पहचान

आदिवासी स्वयं को किसी भी संगठित धर्म का हिस्सा नहीं मानते हैं इसलिए वे लंबे समय से अपने लिए अलग धर्म कोड की मांग करते रहे हैं. इस हफ़्ते झारखंड सरकार ने एक विशेष विधानसभा सत्र में 'सरना आदिवासी धर्म कोड' पर अपनी मुहर लगा दी है, जिसे अब केंद्र के पास भेजा जाएगा.

केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा- हमारा समाज समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देता

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हमारे क़ानून, हमारी न्याय प्रणाली, हमारा समाज और हमारे मूल्य समलैंगिकों के बीच विवाह को मान्यता नहीं देते. हिंदू मैरिज एक्ट के तहत विवाह के लिए महिला और पुरुष होना जरूरी है.

आधुनिक शिक्षा व्यवस्था आदिवासियों को उनका अस्तित्व बचा पाने के रास्ते क्यों नहीं दिखा पाती

आधुनिक शिक्षा का पूरा ढांचा वर्चस्ववादी संस्कृति और मानसिकता से खड़ा किया गया है, जिसमें आदिवासी समाज कहीं फिट नहीं बैठता. उसकी पूरी जीवन शैली, जीवन दर्शन और दुनिया अलग है, जिसे वर्चस्ववादी नज़रिये से नहीं समझा जा सकता.

क्या आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार उनकी ही संस्कृति के लिए ख़तरा है

विश्व आदिवासी दिवस: मूल निवासियों की पहचान उनकी अपनी विशेष भाषा और संस्कृति से होती है, लेकिन बीते कुछ समय से ये चलन-सा बनता नज़र आया है कि आदिवासी क्षेत्र के लोग मुख्यधारा की शिक्षा मिलते ही अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं को हेय दृष्टि से देखने लगते हैं.