जम्मू कश्मीर के पुरस्कार विजेता पत्रकार आसिफ़ सुल्तान को उत्तर प्रदेश की अंबेडकर नगर जेल से श्रीनगर के बटमालू इलाके में उनके घर लाए जाने के कुछ घंटों बाद गिरफ़्तार कर लिया गया. यूपी की जेल में वे 2022 से सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत निवारक हिरासत में थे.
आरोप था कि नवंबर 2021 में सुरक्षा बलों द्वारा हिजबुल मुज़ाहिदीन के एक आतंकवादी मुदासिर जमाल वागे को मारने के बाद एक शख़्स ने कुलगाम में ग्रामीणों को जनाज़े की नमाज़ के लिए उकसाया था. इसे लेकर 10 लोगों पर केस दर्ज हुआ था और दो पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए थे.
बर्ख़ास्त कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी असबाह-उल-अर्ज़मंद ख़ान भी शामिल हैं, जो टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद फ़ारूक़ अहमद डार की पत्नी हैं. चारों कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्ख़ास्त किया गया है, जिसमें सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारी को निष्कासित करने की शक्ति प्राप्त है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को आठ दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अगवा कर लिया गया था. 13 दिसंबर 1989 को भाजपा द्वारा समर्थित केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार द्वारा जेकेएलएफ के पांच आतंकियों को रिहा किए जाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें रिहा कर दिया था. प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को हाल ही में आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में
क्या यासीन मलिक उन पर लगे आरोपों के लिए दोषी हैं? यह मानने का कोई कारण नहीं है कि वह नहीं है, लेकिन जो सरकार बरसों के संघर्ष का शांति से समाधान निकालने को लेकर गंभीर हैं, उनके पास ऐसे अपराधों से निपटने के और तरीके हैं.
यासीन मलिक को दो अपराधों - आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (यूएपीए) (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना) - के लिए दोषी ठहराते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है. बीते 10 मई को मलिक ने 2017 में घाटी में कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में अदालत के समक्ष सभी आरोपों के लिए दोष स्वीकार कर लिया था.
मार्च 2010 में गुजरात एटीएस ने श्रीनगर के बशीर अहमद बाबा को आतंकवाद के आरोप में गिरफ़्तार किया था. बीते महीने उन्हें रिहा करते हुए सत्र अदालत ने कहा था कि अभियोजन कोई साक्ष्य नहीं दे सका. किसी भी शख़्स को समाज में डर या अराजकता फैलाने और समाज के प्रति चिंता के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में हिज्बुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे और और दो पुलिसकर्मी शामिल हैं. उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया गया है. इस अनुच्छेद के तहत कोई जांच नहीं की गई और बर्खास्त कर्मचारी राहत पाने के लिए सिर्फ हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं.
जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले की मारवाह तहसील के निवासी ज़हूर अहमद को 6 जनवरी को गिरफ़्तार किया गया था. उन पर आतंकवादियों को शरण देने और आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के आरोप लगाए गए थे. उन पर यूएपीए के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने कहा कि हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकियों के साथ गिरफ्तार किए गए दविंदर सिंह को गृह मंत्रालय ने नहीं बल्कि पूर्व की जम्मू कश्मीर सरकार ने वीरता पदक से सम्मानित किया था. ऐसी खबरें थीं कि दविंदर सिंह को विशिष्ट सेवा के लिए पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था.
आतंकियों के साथ पकड़े गए जम्मू कश्मीर पुलिस के अधिकारी दविंदर सिंह को निलंबित कर दिया गया है. पुलिस के अनुसार पूछताछ के दौरान सामने आया है कि सिंह ने आतंकियों को श्रीनगर के हाई-सिक्योरिटी इलाके में स्थित अपने घर में पनाह दी थी.
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले में 15 दिसंबर को आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सात आम नागरिकों की मौत हो गई थी. इस मुठभेड़ में सेना से भागकर आतंकी बने ज़हूर अहमद ठोकर समेत तीन आतंकी मारे गए थे.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल विश्वभर में आठ हज़ार से ज़्यादा बच्चों की लड़ाकुओं के तौर पर भर्ती की गई या उनका इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा विश्व में हुए संघर्षों के दौरान 10 हज़ार बच्चे मारे गए या फिर विकलांगता के शिकार हुए.
तिहाड़ जेल आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटे सैयद शाहिद यूसुफ पर किसी भी प्रकार का हमला नहीं हुआ है.
सुरक्षा बलों के साथ हुए मुठभेड़ में पिछले साल आठ जुलाई को हिज़बुल मुजाहिद्दीन का आतंकी बुरहान वानी मारा गया था.