वाराणसी के 28 चिकित्सा अधिकारियों ने 12 अगस्त को सामूहिक इस्तीफ़ा देते हुए आरोप लगाया था कि उप जिलाधिकारी उन पर दबाव बनाते हुए उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं. अधिकारियों ने प्रशासन को अतिरिक्त सीएमओ की मौत के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराया था.
मामला कोलकाता के एक निजी अस्पताल का है. मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर भर्ती करने के लिए पहले तीन लाख रुपये जमा कराने का आरोप लगाया. हालांकि अस्पताल ने इन आरोपों से इनकार किया है.
मामला सहारनपुर ज़िला अस्पताल का है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक महिला सोमवार सुबह इमरजेंसी वार्ड के बाहर पति के इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मियों से मदद मांगती रही लेकिन किसी ने नहीं सुनी. इस शख़्स की मौत हो जाने के बाद भी उनका शव काफ़ी समय तक बारिश में वहीं पड़ा रहा. सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में अपने पति को इलाज के लिए जिला अस्पताल आई एक महिला को इलाज तो दूर की बात, उनके गुजरने के बाद पति का शव उठाने वाला
सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन किया.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए ज़रूरी शर्तों या प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आईसीएमआर द्वारा दिया गया एक महीने का समय बहुत लंबा है.
एक जनहित याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि गर्भवती महिला के इलाज के साथ ही जांच हो सकती है. यदि जांच में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होती है तो महिला को उपचार के लिए विशेष कोविड-19 अस्पताल में स्थानांतरित किया जाएगा.
दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए अधिकृत जीटीबी अस्पताल में इस समय 300 से अधिक कोरोना संक्रमित भर्ती हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के शिक्षक संघ का कहना है कि बीते चार सालों से ऐसी ही स्थिति है, बार-बार मामला उठाए जाने के बावजूद प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.
कोरोना वायरस के मरीज़ों को सांस लेने में तकलीफ़ का सामना करना पड़ता है और उन्हें ऑक्सीज़न सपोर्ट की ज़रूरत पड़ती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने कहा कि अनेक देशों के पास ऑक्सीज़न के लिए ज़रूरी उपकरणों का अभाव है और 80 फ़ीसदी से ज्यादा बाज़ार पर कुछ ही कंपनियों का क़ब्ज़ा है.
दिल्ली के शालीमार बाग़ स्थित कंटेनमेंट जोन में रहने वाली 32 वर्षीय महिला का आरोप है कि जांच में कोराना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें किसी दवा की ज़रूरत है या नहीं और क्या घर पर क्वारंटीन पूरा होने के बाद उन्हें कोई दूसरी जांच करानी होगी या नहीं.
आईसीएमआर ने कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने और लोगों की जान बचाने का एकमात्र तरीका है कि हम जांच करें, संक्रमण के कारण पता करें और फिर इलाज करें. देश में 23 जून तक 73.5 लाख से ज़्यादा नमूनों की जांच हुई है.
मामला शामली ज़िले के सरकारी अस्पताल का है, जहां रविवार को एक टैक्सी चालक को सांस लेने में परेशानी होने पर आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था. परिजनों का आरोप है कि ठीक प्रकार से इलाज न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई.
मामला ठाणे जिले के मुंब्रा इलाके कालसेकर अस्पताल का है. आरोप है कि 70 वर्षीय कोरोना मरीज़ को अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया था. ठाणे के महापौर ने अस्पताल के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने आदेश दिया है.
दिल्ली में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां एम्बुलेंस में रोगी को गंभीर हालत में लेकर परिजन कई घंटों और किलोमीटर तक विभिन्न अस्पतालों में भटकते रहे. ऐसे में एम्बुलेंस में उपलब्ध महज़ एक ऑक्सीजन सिलेंडर मरीज़ की मदद के लिए नाकाफ़ी साबित हो रहा है.
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद शहर का मामला. आरोप है कि आठ माह की गर्भवती पत्नी को लेकर युवक सुबह से शाम तक ग़ाज़ियाबाद से लेकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा तक के अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन कहीं बेड न होने और कहीं पत्नी में कोरोना वायरस के लक्षण होने की बात कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया गया.
दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक को लिखे पत्र में नर्स यूनियन ने अस्पताल के कोविड-19 क्षेत्रों में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के साथ चार घंटे की समान पाली, कोविड-19 और ग़ैर कोविड-19 क्षेत्रों के बीच समान रोटेशन नीति लागू करने समेत कई मांगें रखी हैं.