अलगावादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के परिवार का कहना है कि पहले जम्मू कश्मीर पुलिस इस बात पर सहमत हुई थी कि उनके परिजन उन्हें दफ़नाने के इंतज़ाम कर सकेंगे, लेकिन बाद में पुलिसकर्मी उनका शव लेकर चले गए.
बडगाम पुलिस ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के इंतक़ाल के बाद उनके शव को पाकिस्तान के झंडे में लपेटने और कथित ‘राष्ट्र विरोधी’ नारेबाज़ी के मामले में यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है.
बीते एक सितंबर को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद कश्मीर घाटी के ज़्यादातर हिस्सों में लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाने के लिए प्रशासन द्वारा पाबंदी लगाई गई है. इंटरनेट सेवाओं और मोबाइल टेलीफोन सेवाओं को दो दिन तक बंद रखने के बाद शुक्रवार रात को बहाल किया गया था, लेकिन मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को शनिवार सुबह फ़िर से बंद कर दिया गया.
अलगाववादी मुहिम के अगुवा रहे 92 वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी लंबे समय से बीमार थे. हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक सदस्य रहे गिलानी ने साल 2000 की शुरुआत में तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया था, जिसे उन्होंने जून 2020 में छोड़ दिया था.
बिलाल लोन और मीरवाइज़ जैसे अलगाववादियों के अलावा निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले दिल्ली के एक प्रमुख कार्यकर्ता, कई पत्रकार और मुख्यधारा के कुछ नेताओं के परिवार के सदस्य शामिल हैं.
बकरीद या ईद-उल-अजहा के मौके पर गायों और ऊंटों को अवैध रूप से मारने पर रोक लगाने वाले आदेश को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा है कि केंद्रशासित प्रदेश में गोवंश के पशुओं के वध पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है.
शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की सेना द्वारा कई स्थानों पर एलओसी पर सीज़फायर का उल्लंघन किया, जिसमें पांच सुरक्षाकर्मियों सहित 11 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद भारतीय सैनिकों की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना के आठ सैनिक मारे गए और 12 अन्य घायल हो गए.
बीते अगस्त से नज़रबंद 90 वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का आजीवन अध्यक्ष बनाया गया था. उनके प्रवक्ता ने कहा कि अब उन्होंने पूरी तरह से इससे अलग होने की घोषणा की है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से कहा गया कि पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर संघीय भारत का अभिन्न हिस्सा है लेकिन वहां स्थित विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, तकनीकी संस्थान और अन्य शैक्षणिक संस्थान न तो भारत सरकार द्वारा स्थापित किए गए हैं और न ही यूजीसी जैसी संस्थाओं द्वारा प्रमाणित हैं.