बीते दस सालों में पूरे ही माहौल में बराबरी और न्याय की आवाज़ बहुत पीछे चली गई है. बराबरी की दिशा बनाने वाले आरक्षण को ही संदिग्ध बनाने की हवा बह रही है. ऐसे में उच्च शिक्षा के संस्थानों में जातीय भेदभाव और उत्पीड़न को मिटाए बिना समानता हासिल नहीं हो सकती.
कानपुर और गुवाहाटी के आईआईटी में कैंपस प्लेसमेंट के दौरान कुछ कंपनियों ने छात्रों से उनकी जातीय पृष्ठभूमि या संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में प्राप्त रैंक का उल्लेख करने के लिए कहा था. एसटी/एचसी छात्रों ने आशंका जताई है कि इस डेटा का इस्तेमाल प्लेसमेंट प्रक्रिया के दौरान और संभवत: बाद में कार्यस्थल पर उनके साथ भेदभाव करने के लिए किया जा सकता है.
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जेएनयू के प्रोफेसर राजीव कुमार का आरोप है कि फरवरी 2020 में पूर्व वीसी जगदीश कुमार के कार्यकाल में उनके ख़िलाफ़ शुरू की गई जांच उनके द्वारा साल 2006 में आईआईटी-जेईई परीक्षा के संचालन में उजागर की गई गड़बड़ियों का प्रतिशोध थी. जगदीश कुमार 2006-2008 के बीच आईआईटी के एडमिशन बोर्ड के सदस्य थे.
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केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 और 2023 के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों में आत्महत्या करने वाले इन 98 छात्रों में से सबसे ज्यादा 39 आईआईटी से, 25 एनआईटी से और 25 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से, चार आईआईएम से, तीन आईआईएसईआर से और दो आईआईआईटी से थे.
शिक्षा मंत्रालय ने संसद में बताया कि 2019 और 2023 के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों में लगभग आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों से संबंधित थे.
विज्ञान की एक प्रमुख पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि भारत में आईआईटी-आईआईएस समेत विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित संस्थानों में फैकल्टी पदों को भरने के लिए आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो रहा है. वहीं, इन संस्थानों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में भी दलित और आदिवासी छात्रों का प्रतिनिधित्व कम है.
देश भर के 23 आईआईटी और 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को 5 सितंबर 2021 से 5 सितंबर 2022 के बीच अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रिक्त फैकल्टी पदों को मिशन मोड पर भरने के निर्देश दिए गए थे. इस अवधि में 1,439 रिक्त पदों की पहचान की गई, लेकिन भर्तियां सिर्फ 449 हुईं.
शिक्षा मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में यह जानकारी दी गई है कि आईआईटी खड़गपुर में 798 और आईआईटी बॉम्बे में 517 फैकल्टी पद ख़ाली हैं, जो कि देश के दूसरे आईआईटी की तुलना में सबसे अधिक हैं. शीर्ष वरियता प्राप्त आईआईटी मद्रास में भी 482 फैकल्टी पद ख़ाली पड़े हैं.
करिअर्स 360 द्वारा दायर किए गए आरटीआई आवेदन से पता चला है कि आईआईटी में 2020-2021 में सिविल इंजीनियरिंग में सबसे कम 43 फीसदी प्लेसमेंट दर दर्ज हुई है.
आईआईटी के सौ से अधिक पूर्व छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पत्र लिखकर कहा है कि हम आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहे हैं, लेकिन देश पर संकट के काले बादल मंडराते नज़र आ रहे हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी, जेएनयू और बीएचयू समेत देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से बीस में नियमित वाइस चांसलर नहीं हैं. अधिकारियों के अनुसार नियुक्तियों में विलंब पीएमओ की ओर से हुई देरी के चलते ऐसा हो रहा है. बताया गया कि क़ानूनन पीएमओ की कोई भूमिका नहीं है पर इन दिनों फाइलें अनधिकृत तौर पर वहां भेजी जाती हैं.