सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना के ख़िलाफ़ कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से पांच में योजना को चुनौती दी गई थी, वहीं अन्य 18 में पुरानी भर्ती प्रणाली को लागू करने की मांग की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इन सभी को ख़ारिज करते हुए कहा कि उसे योजना में दख़ल देने की कोई वजह नहीं दिखती.
अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया के तहत सेना में जाने के इच्छुक उम्मीदवारों को पहले फिजिकल फिटनेस टेस्ट से गुज़रना होता था, जिसके बाद मेडिकल टेस्ट होता था. अंतिम चरण में उन्हें कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन (सीईई) पास करना होता था. अब बदली हुई प्रक्रिया में सबसे पहले सीईई पास करना होगा, जिसके बाद अन्य दोनों टेस्ट होंगे.
अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ दाख़िल याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया है कि अग्निवीर कैडर को अलग कैडर के रूप में बनाया गया है. इसे नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा. चार साल तक अग्निवीर के रूप में सेवा करने के बाद फिट पाए जाने पर नियमित कैडर की सेवा शुरू होगी.
अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में नौकरी की प्रकृति समान होने पर भी 'अग्निवीरों' और नियमित सिपाहियों के वेतन में अंतर के बारे में पूछा था, जिस पर केंद्र ने कैडर अलग होने की बात कही. इस पर कोर्ट में कहा कि सवाल कैडर का नहीं, काम और ज़िम्मेदारी का है.
केंद्र ने संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष लंबित उन सभी जनहित याचिकाओं को बीते 19 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था, जिनमें इस योजना को चुनौती दी गई थी.
राजद नेता तेजस्वी यादव, आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह आदि ने केंद्र की मोदी सरकार पर इस मुद्दे पर तीखा हमला बोला है. यादव ने कहा कि जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की. संघ की भाजपा सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है, लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आरोपों को ख़ारिज करते हुए इसे अफ़वाह बताया है.
संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात सरकार द्वारा कही गई है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि पंजाब विधानसभा को दृढ़ता से लगता है कि जिस योजना में युवाओं को केवल चार साल की अवधि के लिए रोज़गार दिया जाएगा और केवल 25 प्रतिशत तक ही रखा जाएगा, वह न तो राष्ट्रीय सुरक्षा के सर्वोत्तम हित में है और न ही इस देश के युवाओं के हित में है.
किसी ग़रीब के लिए सैनिक बनना बुनियादी तौर पर दो वक़्त की रोटी से जुड़ा एक वास्तविक और कठोर सवाल है, जो देश की सेवा करने के मध्यवर्गीय रोमांटिक विचार से अलग है.
सेना के दिग्गज मानद कैप्टन और परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन बाना सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा रक्षाकर्मियों की भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ योजना की आलोचना करते हुए कहा है कि देश को इस योजना के लिए 'बड़ी क़ीमत चुकानी' होगी. उन्होंने कहा कि सेना के साथ खिलौनों जैसा बर्ताव नहीं होना चाहिए.
रोहतक के सांपला में हुई खाप प्रतिनिधियों और किसान नेताओं की बैठक के बाद खाप नेता ओपी धनखड़ ने कहा कि वे इस भर्ती के लिए आवेदन करने वालों को सामाजिक रूप से अलग-थलग करने का प्रयास करेंगे. वे इस योजना का बहिष्कार कर रहे हैं जो 'अग्निवीर' के नाम पर युवाओं को मज़दूरों के तौर पर रखना चाहती है.
वीडियो: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के 14 जून 2022 को अग्निपथ योजना के ऐलान के बाद से देश के कई राज्यों में इसके ख़िलाफ़ युवाओं ने व्यापक प्रदर्शन किए. आख़िर क्यों सरकार की इस योजना का विरोध किया जा रहा है, क्या चाहते हैं युवा? द वायर के याक़ूत अली की रिपोर्ट.
निरस्त हो चुके तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि संगठन अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे युवाओं का समर्थन करता है और उनसे शांतिपूर्वक विरोध करने की अपील करता है. मोर्चा ने योजना का विरोध करने के लिए 24 जून को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
वाराणसी के ज़िलाधिकारी ने बताया कि पिछले दिनों अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना के दौरान उपद्रवी तत्वों ने यहां कुल 36 बसों को नुकसान पहुंचाया था, जिससे 12,97,439 रुपये की क्षति हुई है. अब तक कुल 27 उपद्रवियों की गिरफ़्तारी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि इस योजना के विरोध में हिंसक प्रदर्शन एवं तोड़फोड़ में लिप्त पाए जाने पर पकड़े गए उपद्रवी तत्वों से सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई की जाएगी.
एक तरफ जहां सरकार 'अग्निपथ' योजना के तहत नौकरी पाने वाले अग्निवीरों को चार साल की सेवा समाप्ति के बाद सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की बात कह रही है, वहीं एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों और उन पर हुईं नियुक्तियों की संख्या में बड़ा अंतर है.