केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में बताए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में 1.7 ट्रिलियन रुपये के कर्ज बट्टे खाते में डाले गए हैं.
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल- जून) के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में 7.8 थी, जो 2024-25 की पहली तिमाही में घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई. पिछला न्यूनतम स्तर वित्त वर्ष 2023 की जनवरी-मार्च तिमाही में देखा गया था.
सरकार के अर्थव्यवस्था व विकास के ढांचे में सामूहिक समाज तो है ही नहीं. वह उसके हिस्सों को अलग-अलग कर उठाती है और विकास के अपने खाकों में इस तरह से फिट करती है कि उसके अपने व कॉरपोरेट जगत के राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थ सधते रहें.
सरकार के पास नागरिकों और व्यवसायों का एक छोटा कर आधार है, जहां जिससे जितना संभव हो उतना अधिक कर वसूला जा रहा है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव शैलेश कुमार पाठक ने भारतीय उद्योग जगत की सरकार से अपेक्षाओं के संबंध में चर्चा करते हुए कहा है जून में सत्ता में आने वाली केंद्र सरकार को कारोबार करने की लागत को कम करने के साथ-साथ व्यवसाय करने को आसान बनाने और रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देना चाहिए.
कोविड महामारी के प्रभाव भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर साफ़ दिखते हैं. जहां एक तरफ बेरोज़गारी बढ़ी है, वहीं दूसरी तरफ शहरों में विभिन्न कामों में लगे श्रमिक कृषि क्षेत्र से जुड़ने को मजबूर हुए हैं.
वीडियो: देश के विमर्श में अब मतदाता शब्द कम प्रचलित है और इसकी जगह 'लाभार्थी' ने ले ली है. क्या यह बदलाव देश के नागरिकों के लिए ख़ुश होने की वजह है या उनके अधिकारों के लिए ख़तरा? पब्लिक पॉलिसी विशेषज्ञ यामिनी अय्यर से बात कर रहे हैं द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज.
तेरहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष विजय केलकर ने देश की अगली सरकार से आह्वान करते हुए कहा है कि वह अनावश्यक रूप से जटिल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में तत्काल सुधार करे और जीएसटी की एक ही दर 12% रखे.
वर्ल्ड इनक्वॉलिटी डेटाबेस में बताया गया है कि 1922 में भारत के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों की कुल आय में हिस्सेदारी 13% थी, जो 1940 में बढ़कर 20% हो गई. 2022-23 आते-आते शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों के पास भारत की कुल आय का 22.6 प्रतिशत हिस्सा और कुल संपत्ति का 40.01 प्रतिशत हिस्सा है.
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नवीनतम आंकड़े आपस में मेल नहीं खाते हैं. उन्होंने घटते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर सवाल उठाया कि अगर भारत निवेश के लिए इतना आकर्षक देश बन गया है तो अधिक निवेश क्यों नहीं आ रहा है?
वीडियो: मोदी सरकार के अंतरिम बजट को लेकर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर दीपांशु मोहन.
राम राज्य अपने आप नहीं आएगा, इसके लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक प्रयास करने होंगे. सभी के लिए न्याय चाहिए होगा. लिंग, जाति, समुदायों के बीच समता लानी होगी. सभी के लिए उचित कमाई वाले रोज़गार, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं और माहौल चाहिए होगा. लेकिन सिर्फ राम का आह्वान करने से ये नहीं होगा.
वीडियो: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के अंतरिम बजट और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार से बात कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.
वीडियो: साल 2023 में आमदनी, बेरोज़गारी, ग़रीबी, महंगाई, जीडीपी, खेती-किसानी, एमएसपी पर मोदी सरकार की अर्थनीति क्या रही है? द वायर के अजय कुमार बता रहे हैं कि देश की सत्ता पर क़रीब 10 साल से क़ाबिज़ मोदी सरकार के तहत ज़्यादातर लोगों के जीवन में कोई बड़ा बुनियादी बदलाव नहीं आया है.
अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान पिछले 10 वर्षों में आर्थिक विकास के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि पूछे जाने वाला सवाल यह है कि उस विकास की प्रकृति क्या है और उससे किसे लाभ हो रहा है. भारत बढ़ रहा है, लेकिन वह बड़े पैमाने पर बहुत कम लोगों की ओर धन केंद्रित कर रहा है.