नई सरकार जिसकी भी बने, रोज़गार के अवसर पैदा करने पर ध्यान दे: फिक्की महासचिव

फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव शैलेश कुमार पाठक ने भारतीय उद्योग जगत की सरकार से अपेक्षाओं के संबंध में चर्चा करते हुए कहा है जून में सत्ता में आने वाली केंद्र सरकार को कारोबार करने की लागत को कम करने के साथ-साथ व्यवसाय करने को आसान बनाने और रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देना चाहिए.

मोदी सरकार के कोविड कुप्रबंधन ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी

कोविड महामारी के प्रभाव भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर साफ़ दिखते हैं. जहां एक तरफ बेरोज़गारी बढ़ी है, वहीं दूसरी तरफ शहरों में विभिन्न कामों में लगे श्रमिक कृषि क्षेत्र से जुड़ने को मजबूर हुए हैं.

क्या सौगात की तरह दी जा रहीं सरकारी योजनाएं नागरिकों के हक़ ख़त्म कर देती हैं?

वीडियो: देश के विमर्श में अब मतदाता शब्द कम प्रचलित है और इसकी जगह 'लाभार्थी' ने ले ली है. क्या यह बदलाव देश के नागरिकों के लिए ख़ुश होने की वजह है या उनके अधिकारों के लिए ख़तरा? पब्लिक पॉलिसी विशेषज्ञ यामिनी अय्यर से बात कर रहे हैं द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज.

देश की अगली सरकार ‘अनावश्यक रूप से जटिल’ जीएसटी में सुधार करे: पूर्व वित्त आयोग अध्यक्ष

तेरहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष विजय केलकर ने देश की अगली सरकार से आह्वान करते हुए कहा है कि वह अनावश्यक रूप से जटिल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में तत्काल सुधार करे और जीएसटी की एक ही दर 12% रखे.

मोदी सरकार के ‘अमृत काल’ में आर्थिक असमानता ब्रिटिश राज से भी अधिक है

वर्ल्ड इनक्वॉलिटी डेटाबेस में बताया गया है कि 1922 में भारत के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों की कुल आय में हिस्सेदारी 13% थी, जो 1940 में बढ़कर 20% हो गई. 2022-23 आते-आते शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों के पास भारत की कुल आय का 22.6 प्रतिशत हिस्सा और कुल संपत्ति का 40.01 प्रतिशत हिस्सा है.

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार बोले, ‘जीडीपी के आंकड़े रहस्यमयी, इन्हें समझना मुश्किल’

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नवीनतम आंकड़े आपस में मेल नहीं खाते हैं. उन्होंने घटते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर सवाल उठाया कि अगर भारत निवेश के लिए इतना आकर्षक देश बन गया है तो अधिक निवेश क्यों नहीं आ रहा है?

बजट 2024: मोदी सरकार का हाथ बड़े उद्योगों के साथ, मध्यम वर्ग की कमर टूटी

वीडियो: मोदी सरकार के अंतरिम बजट को लेकर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर दीपांशु मोहन.

क्या आज के सत्ताधारी राम राज्य बना सकते हैं?

राम राज्य अपने आप नहीं आएगा, इसके लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक प्रयास करने होंगे. सभी के लिए न्याय चाहिए होगा. लिंग, जाति, समुदायों के बीच समता लानी होगी. सभी के लिए उचित कमाई वाले रोज़गार, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं और माहौल चाहिए होगा. लेकिन सिर्फ राम का आह्वान करने से ये नहीं होगा.

राम राज्य में किस तरह की अर्थव्यवस्था होनी चाहिए?

वीडियो: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के अंतरिम बजट और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार से बात कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.

आमदनी, बेरोज़गारी, ग़रीबी, महंगाई, जीडीपी, एमएसपी पर 2023 में कैसी रही मोदी सरकार की नीति?

वीडियो: साल 2023 में आमदनी, बेरोज़गारी, ग़रीबी, महंगाई, जीडीपी, खेती-किसानी, एमएसपी पर मोदी सरकार की अर्थनीति क्या रही है? द वायर के अजय कुमार बता रहे हैं कि देश की सत्ता पर क़रीब 10 साल से क़ाबिज़ मोदी सरकार के तहत ज़्यादातर लोगों के जीवन में कोई बड़ा बुनियादी बदलाव नहीं आया है.

भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, लेकिन धन कुछ हाथों में ही केंद्रित हो रहा है: राहुल गांधी

अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान पिछले 10 वर्षों में आर्थिक विकास के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि पूछे जाने वाला सवाल यह है कि उस विकास की प्रकृति क्या है और उससे किसे लाभ हो रहा है. भारत बढ़ रहा है, लेकिन वह बड़े पैमाने पर बहुत कम लोगों की ओर धन केंद्रित कर रहा है.

नरेंद्र मोदी के अमृत काल में क्या है भूख और बेरोज़गारी का हाल?

क्या प्रधानमंत्री मोदी यह बता सकते हैं कि 'सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, जो 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह' पर है, उसे 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज क्यों बांटना पड़ रहा है?

देश में बिना पगार के बढ़ते रोज़गार का क्या मतलब है?

हाल ही में जारी सरकार के आवधिक श्रम बल सर्वे में 'स्व-रोज़गार' बढ़ने को की बात कही गई है. हालांकि, अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा का कहना है कि स्व-रोज़गार की वृद्धि का आंकड़ा 'अवैतनिक पारिवारिक श्रम' से जुड़ा है, जो 2017-18 से 2023 के बीच बेहद तेज़ी से बढ़ा है.

अक्टूबर में बेरोज़गारी दर बढ़कर दो साल के उच्चतम स्तर 10.09 प्रतिशत पर पहुंच गई: रिपोर्ट

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार, भारत की बेरोज़गारी दर अक्टूबर में दो साल के उच्चतम स्तर 10.09 प्रतिशत पर पहुंच गई. यह आंकड़ा सितंबर से लगभग तीन प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जब यह 7.09 प्रतिशत था. एक अन्य सर्वे में पाया गया कि 15 से 34 वर्ष के 36 प्रतिशत भारतीयों ने माना कि बेरोज़गारी देश के सामने सबसे बड़ी समस्या है.

1 2 3 15