उम्र के दूसरे दशक में गांधी निस्संदेह एक नस्लवादी थे. वे सभ्यताओं के पदानुक्रम यानी ऊंच-नीच में यक़ीन करते थे, जिसमें यूरोपीय शीर्ष पर थे, भारतीय उनके नीचे और अफ्रीकी सबसे निचले स्थान पर. लेकिन उम्र के तीसरे दशक तक पहुंचते-पहुंचते उनकी टिप्पणियों में अफ्रीकियों के भारतीयों से हीन होने का भाव ख़त्म होता गया.
प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय जाने पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिन्होंने महात्मा गांधी के क़त्ल पर जश्न मनाया था, वह उनके दफ़्तर जाकर बहुलतावाद की बात करते हैं, किसको बेवकूफ बना रहे हैं वो.
अगर देश के संविधान का मूल स्तंभ सहिष्णुता और धर्म-निरपेक्षता है, तो फिर मोदी सरकार के शुरुआती तीन साल तक संविधान के मुखिया के पद पर बैठकर प्रणब मुखर्जी ने क्या किया?
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि इस प्रकार खुलेपन की भावना और आपसी सम्मान के साथ विचारों के आदान-प्रदान से सहिष्णुता और सौहार्द की भावना तैयार करने में मदद मिलेगी.
संघ मुख्यालय, नागपुर में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र, भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है.’
यह बात बिल्कुल दो और दो चार जैसी साफ है कि कांग्रेस महाधिवेशन के मंच से जो भी बोला जा रहा था वो महज़ राजनीतिक भाषणबाज़ी थी.
गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों के उपचुनाव में भाजपा की हार और सरकार की किरकिरी के बाद शुक्रवार देर रात प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ा फेरबदल किया गया है.
राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी ने मणिशंकर अय्यर से दूरी बनाने की जितनी जल्दबाज़ी दिखाई उससे गुजरात और देश ने यह सबक नहीं लिया कि राहुल एक भद्र व्यक्ति हैं बल्कि यह संदेश गया कि राहुल में लड़ने का माद्दा नहीं है.
गुजरात चुनाव में जातीय और आर्थिक असमानता की आंच पर ऐसी खिचड़ी पकी, जिसका स्वाद भाजपा को अब कड़वा लग रहा है.
गुजरात में भाजपा को साधारण बहुमत मिला है और हारने वाले पांच मंत्रियों में से दो कैबिनेट मंत्री हैं.
मेहसाणा जिले की दो विधानसभाओं- ऊंझा, वडनगर और बेचराजी में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है.
हार्दिक ने दावा किया, मतदान के दौरान कई जगह वाई-फाई नेटवर्क पकड़ा गया. कई स्थानों पर मतगणना से पहले ईवीएम की सील टूटी मिली.
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढ़वाडिया, सिद्धार्थ चिमनभाई पटेल और राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल को क़रारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है.
गुजरात में अपनी कमज़ोरियों के कारण कांग्रेस भले ही बाज़ी नहीं पलट पायी, लेकिन मतदाताओं ने पिछली बार से डेढ़ दर्जन ज़्यादा सीटें देकर साफ कर दिया है कि वे ‘अपने’ प्रधानमंत्री के ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ के आह्वान को कान नहीं दे रहे.
कांग्रेस ने गुजरात के परिणामों को बताया नैतिक जीत, राहुल ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश की नई सरकारों को बधाई दी.