मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले के सांची शासकीय सिविल अस्पताल का मामला. यह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के विधानसभा क्षेत्र में आता है. दूसरी ओर राज्य के कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित ज़िले इंदौर में लोगों की मौत होने से अस्पतालों के साथ अंतिम संस्कार स्थलों पर भी भारी दबाव बढ़ गया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 में इस्तेमाल के लिए जून 2020 में रेमडेसिविर को मंज़ूरी दी थी. इसे केवल प्रिस्क्रिप्शन पर अस्पतालों और फार्मेसी द्वारा एक इंजेक्शन के रूप में बेचा जा सकता है. गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने इसे बिना किसी दाम के दो अस्पतालों और पार्टी कार्यालय में वितरित कराया.
रेमडेसिविर दवा के इंजेक्शन का कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों के चलते इसकी मांग भी बढ़ी है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में लगातार इसे क़ीमत से अधिक दाम पर बेचे जाने की ख़बर आ रही है.
घटना इंदौर के परदेशीपुरा क्षेत्र की है, जहां मास्क न लगाने को लेकर दो पुलिसकर्मियों द्वारा एक व्यक्ति को सड़क पर गिराकर बुरी तरह पीटने का वीडियो सामने आया है. एसपी ने बताया कि वीडियो में दिख रहे दोनों आरक्षकों को निलंबित कर दिया गया है और एक शहर पुलिस अधीक्षक को जांच का ज़िम्मा सौंपा गया है.
हिंदू देवी-देवताओं पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के विवाद से जुड़े हास्य कार्यक्रम के आयोजन में शामिल होने के दो और आरोपियों को जमानत मिलने के साथ अब मामले के सभी छह आरोपियों को अलग-अलग अदालतों से अंतरिम जमानत मिल चुकी है.
धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में पैंतीस दिन जेल में बिताकर आए स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी ने रिहाई के बाद जारी अपने पहले वीडियो में कहा कि वे हमेशा दर्शकों को हंसाकर उन्हें ख़ुश करना चाहते हैं और उनका यह इरादा कभी नहीं रहा कि उनके चुटकुलों से किसी का भी दिल दुखे.
स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी और चार अन्य को हिंदू देवताओं और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में बीते एक जनवरी को इंदौर से गिरफ़्तार किया गया था. फ़ारूक़ी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिलने के बाद छह फरवरी की रात को रिहा किया गया था.
इंदौर में 13 दिन पहले बेघर और बेसहारा बुज़ुर्गों को ट्रक में भरकर जबरन शहर की सीमा से बाहर छोड़ा गया था. इस पर मुख्यमंत्री की नाराज़गी के बाद नगर निगम के एक उपायुक्त को निलंबित किया गया था. प्रदेश कांग्रेस का दावा है कि घटना की जांच के नाम पर लीपापोती कर बड़े अफसरों को कार्रवाई से बचाया गया है.
मामले में सह-आरोपी सदाक़त ख़ान ने उसी आधार पर ज़मानत के लिए याचिका दायर की थी, जिस आधार पर फ़ारूक़ी को चार दिन पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम ज़मानत दी गई थी. हालांकि अतिरिक्त जिला जज ने कहा कि क़ानून के तहत ज़मानत देना न्यायोचित नहीं है.
केंद्रीय जेल प्रशासन ने इलाहाबाद की एक अदालत के जारी पेशी वॉरंट का हवाला देते हुए फारुकी की रिहाई में शनिवार देर शाम असमर्थता जताई थी. हालांकि देर रात सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने इंदौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को फोन किया और उन्हें अपलोड किए गए आदेशों के लिए वेबसाइट देखने और उसका अनुपालन करने के लिए कहा.
स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को जनवरी में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में इंदौर में गिरफ़्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि उनकी गिरफ़्तारी में 2014 में दिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया था.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी की ज़मानत याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दी कि ज़मानत देने का कोई आधार नहीं बनता है. फ़ारूक़ी को इस महीने की शुरुआत में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को इस महीने की शुरुआत में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने कहा कि यह मामला मौलिक स्वतंत्रता की उपेक्षा और इसे बनाए रखने में न्यायपालिका के विफलता का प्रतीक है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी की ज़मानत याचिका पर सोमवार को आदेश सुरक्षित रख लिया है. उन्हें इस महीने की शुरुआत में इंदौर में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
इस महीने की शुरुआत में स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को इंदौर में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. पिछले हफ़्ते पुलिस द्वारा उनके ख़िलाफ़ सबूत न होने की बात कहने के बावजूद एक न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया.