हादिया मामले में कोर्ट ने हादिया को पेश करने का आदेश देते हुए पूछा, क्या ऐसा कोई कानून है कि किसी अपराधी के साथ बालिग लड़की प्यार या शादी नहीं कर सकती.
भारत के इतिहास को सेक्युलर और मार्क्सवादी इतिहासकारों द्वारा गढ़ा बताने वाले ओक दावा करते हैं कि क्रिश्चियनिटी और इस्लाम ‘वैदिक’ विश्वासों की विकृतियों के तौर पर पैदा हुए हैं.
नौ अक्टूबर को होगी मामले की सुनवाई. धर्म परिवर्तन के बाद केरल की हादिया के निक़ाह को केरल हाईकोर्ट ने अवैध ठहराया है.
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक़ कहने को असंवैधानिक क़रार दिया. अदालत के फैसले पर आम मुस्लिम महिलाओं से बातचीत.
केरल साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित मलयाली लेखक केपी रमनउन्नी को मिली एक अनाम चिट्ठी में उनके लेखों से लोगों के आस्था के रास्ते से भटकने का आरोप लगाते हुए ऐसा न करने की चेतावनी दी गई है.
अब तक तीन तलाक़, हलाला, मुता निक़ाह जैसी कुप्रथाएं चली आ रही हैं. उनके ख़िलाफ़ आपने कभी आवाज़ नहीं उठाई. जब प्रताड़ित मुस्लिम औरतें ख़ुद बाहर निकलीं तो सेक्युलरिज़्म याद आ रहा है!
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के हलफ़नामे का अवलोकन करेगी.
जन गण मन की बात की 55वीं कड़ी में विनोद दुआ तीन तलाक़ और बेरोज़गारी के संकट पर चर्चा पर कर रहे हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने बोर्ड को पक्ष रखते हुए तीन तलाक़ को हिंदू धर्म की उस मान्यता के समान बताया जिसमें माना जाता है कि भगवान राम अयोध्या में जन्मे थे.
न्यायालय ने कहा कि समय की कमी की वजह से सिर्फ तीन तलाक़ पर सुनवाई होगी. बहुविवाह और निक़ाह हलाला के मामले पर दूसरी पीठ सुनवाई करेगी.
भारतीय मुस्लिम समाज अपने अंदर पनप रही जड़ताओं, कठमुल्लावाद और सांप्रदायिकता से असरदार जंग लड़ने के लिए अगर इस्लाम के अंदर से ही दिशा-निर्देश ले तो ये बड़ी जीत होगी.
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने दूसरे दिन तीन तलाक़ मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि तीन तलाक़ संविधान में दिए गए समानता के अधिकार के ख़िलाफ़ होने के कारण असंवैधानिक है.
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने कहा कि वह इस पहलू की समीक्षा करेगी कि तीन तलाक़ मुसलमानों के लिए मौलिक अधिकार है या नहीं.
तीन तलाक़, गोरक्षा, समान नागरिक संहिता समेत दूसरे तमाम मसलों पर इस्लामिक विद्वान, लेखक और पीस एक्टिविस्ट मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान से द वायर की ख़ास बातचीत.
दहेज उत्पीड़न के एक फैसले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पर्सनल लॉ के नाम पर महिलाओं के मूल अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता.