प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने 'द कारवां' पत्रिका को जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा आम नागरिकों की कथित हत्या से संबंधित रिपोर्ट के संबंध में कारण बताओ नोटिस भेजा है. इससे पहले पत्रिका को आईटी अधिनियम के तहत मिले एक नोटिस में उक्त रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट से हटाने के लिए कहा गया था.
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम-2023 में एक फैक्ट-चैकिंग इकाई का प्रावधान है जो केंद्र सरकार से संबंधित ऐसी सूचनाओं को चिह्नित करेगी, जिन्हें वह ग़लत, फ़र्ज़ी या भ्रामक मानती है. केंद्र ने प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की फैक्ट-चेक शाखा को फैक्ट-चेकिंग इकाई (एफसीयू) के रूप में नामित किया था.
वीडियो: एलन मस्क के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व नाम ट्विटर) ने खुलासा किया है कि भारत सरकार ने कुछ एक्स अकाउंट को ब्लॉक करने का आदेश दिया है. इसका वह पालन ज़रूर करेंगे, मगर इस आदेश से सहमत नहीं है. इस आदेश के मद्देनज़र किसान आंदोलन पर चर्चा कर रहे हैं द वायर के अजय कुमार.
सोशल साइट ‘एक्स’ के ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स ने घोषणा की है कि भारत सरकार ने उसे विशिष्ट एकाउंट और पोस्टों पर कार्रवाई करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किए हैं, जो महत्वपूर्ण जुर्माना और कारावास सहित संभावित दंड के अधीन हैं. सोशल साइट ने कहा है कि वह इस आदेश से सहमत नहीं है.
‘कारवां’ पत्रिका को आईटी अधिनियम के तहत मिले एक नोटिस में कहा गया है कि अगर वह 24 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट से जम्मू कश्मीर में सेना द्वारा आम नागरिकों की कथित हत्या से संबंधित लेख नहीं हटाती है, तो पूरी वेबसाइट हटा दी जाएगी. पत्रिका ने इसे अदालत में चुनौती देने की बात कही है.
नए आईटी नियम केंद्र सरकार को सोशल मीडिया पोस्ट का आकलन करने और पोस्ट को ‘फ़र्ज़ी, ग़लत या भ्रामक’ क़रार देने के लिए ‘फैक्ट-चेक इकाई’ स्थापित करने की शक्ति देते हैं. जहां जस्टिस गौतम पटेल ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आदेश पारित किया, वहीं जस्टिस नीला गोखले ने नियमों में किए गए संशोधन को बरक़रार रखा.
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सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तैयार प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 या प्रसारण विधेयक को सेंसरशिप चार्टर के बतौर देखा जा सकता है, जहां 'केंद्र सरकार' स्वतंत्र समाचारों को सेंसर बोर्ड जैसे दायरे में घसीटना चाहती है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार वॉट्सऐप पर फैलाए जा रहे विभिन्न नेताओं के कई डीपफेक वीडियो और ग़लत जानकारी का हवाला देते हुए आईटी नियम, 2021 के तहत मैसेजिंग कंपनी को एक आदेश भेजने की प्रक्रिया में है, जहां वॉट्सऐप को किसी मैसेज को लेकर इसे सबसे पहले भेजने वाले (originator) का विवरण देना होगा.
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स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस द्वारा संशोधित आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुनते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि वह अभी तक यह नहीं समझ पा रही है कि आईटी नियमों में इस संशोधन की क्या ज़रूरत थी.
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ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी थी. अदालत ने इस तथ्य का हवाला दिया कि ट्विटर ने नोटिस दिए जाने के बावजूद सरकार के ब्लॉकिंग आदेशों का पालन नहीं किया. इसके ‘आचरण’ को लेकर अदालत ने 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
साक्षात्कार: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिग्नल की प्रेसिडेंट मेरेडिथ ह्विटेकर का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विनियमित किया जाना चाहिए. साथ ही वे मानती हैं कि यूज़र्स की निजता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए.
वीडियो: ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व मालिक जैक डोर्सी का भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के समय ट्विटर पर दबाव बनाने का दावा इस बात को पुख़्ता करता है कि कैसे मोदी सरकार ने मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया को भी नियंत्रित करने की हरसंभव कोशिश की है.