श्रीनगर के नौहट्टा में मस्जिद के बाहर पुलिस अधिकारी की पत्थर मार-मारकर हत्या के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया.
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि आतंकियों के मारे जाने के बाद पुलवामा में त्राल और अनंतनाग ज़िले में खानबल समेत दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्सों में पथराव की घटनाएं हुई हैं.
‘बचपन में मुझे भी मानव ढाल के बतौर इस्तेमाल किया गया था. मैं आज तक इस बोझ के साथ जी रहा हूं; पर आज मुझे लगता है कि इस बारे में बात करने की ज़रूरत है.’
पिछले महीने बड़गाम में उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना ने अपनी जीप के आगे एक शख़्स को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.
सर्जिकल स्ट्राइक को चुनावों में ख़ूब भुनाया गया. सरकार का दावा था कि अब पाकिस्तान की ओर से हमलों और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर लगाम लग जाएगी. लेकिन हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं.
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक का कहना है कि वर्तमान सरकार कश्मीरियों की एक पूरी पीढ़ी को सशस्त्र संघर्ष के लिए मजबूर कर रही है.
कश्मीर में साल 1990 से लेकर 9 अप्रैल 2017 तक की अवधि में मौत के शिकार हुए लोगों में स्थानीय नागरिक, सुरक्षा बल के जवान और आतंकवादी शामिल हैं.
उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए इस हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में सेना ने दो आतंकी मार गिराए हैं.
जम्मू में गोरक्षा के नाम पर खानाबदोश लोगों पर हमले का कथित वीडियो सामने आया है. भीड़ नारा लगाते हुए लोगों को बर्बरतापूर्वक पीटते देखी जा सकती है.
रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने ट्विटर पर कश्मीरी युवक को जीप पर बांधने को भी सही ठहराया. चोपड़ा सैन्य बल न्यायाधिकरण के सदस्य हैं, जहां कोर्ट मार्शल की अपील की सुनवाई भी होती है. उनका इस तरह के ट्वीट करना उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.
जन गण मन की बात की 36वीं कड़ी में विनोद दुआ कश्मीर घाटी में तनावपूर्ण माहौल और धार्मिक असहिष्णुता को लेकर आई एक वैश्विक रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं.
सरकार के हिंसा पर एकाधिकार को तब ही स्वीकार किया जा सकता है जब वह क़ानून के दायरे में हो; अगर ऐसा नहीं है तब कोई उसके इस एकाधिकार को तोड़ता है तो उसे ग़लत नहीं ठहराया जा सकता.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से पुलिस ने आईएसआई के दो कथित एजेंटों को गिरफ्तार करने का दावा किया है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए कश्मीर के वीडियो में दिख रहे फ़ारूक़ अहमद डार ने बताया कि उन्हें बंदूक के बट से पीटा गया और सेना द्वारा 5 घंटे तक जीप पर बांधकर घुमाया गया.
केंद्र सरकार ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से 1528 कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है.