अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण पर संसदीय समिति की पहली बैठक में जनता दल यूनाइटेड ने विपक्ष की इस मांग का समर्थन किया कि जातिगत जनगणना पर चर्चा की जाए. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में जदयू भाजपा का एक प्रमुख सहयोगी दल है.
केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल जनता दल (यूनाइटेड) ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक को शुरुआत में समर्थन दिया था. तब से जदयू में आंतरिक असंतोष है. इससे पहले भाजपा के अन्य सहयोगी दलों, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी, ने भी विधेयक पर सवाल उठाए थे.
संसद सत्र से पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में भाजपा के एक सहयोगी सहित तीन क्षेत्रीय दलों- जनता दल (यूनाइटेड), बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने बिहार, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे की मांग रखी. वहीं, कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की मांग उठाई.
बिहार के सीतामढ़ी से जनता दल (यूनाइटेड) के नवनिर्वाचित सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि यादव और मुसलमान हमारे यहां आते हैं तो उनका स्वागत है. चाय पिएं, मिठाई खाएं. लेकिन किसी मदद की उम्मीद न करें, मैं उनका कोई काम नहीं करूंगा.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में समाजवादी पार्टी द्वारा सबसे अधिक 561.46 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की गई, जो 2021-22 में 1.23 प्रतिशत बढ़कर 568.369 करोड़ रुपये हो गई. इसके बाद भारत राष्ट्र समिति का नंबर है, जिसकी संपत्ति 2020-21 में 319.55 करोड़ रुपये थी जो 2021-22 में 512.24 करोड़ रुपये हो गई.
एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर ने कहा कि वह रामचरितमानस में शामिल ‘जातिवादी संदर्भों’ का विरोध करना जारी रखेंगे. बीते साल भी उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति, रामचरितमानस और एमएस गोलवलकर द्वारा लिखित ‘अ बंच ऑफ थॉट्स’ ‘विभाजनकारी ग्रंथ’ हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदुस्तानी अवाम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी पर भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए 'महागठबंधन के सहयोगियों की जासूसी' का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी अब सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा नहीं है क्योंकि यह जदयू के साथ विलय के लिए तैयार नहीं है.
बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया के हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को गुरुवार को रिहा कर दिया गया. कृष्णैया की बेटी पद्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि ऐसा क़ानून लाएं ताकि ऐसे गैंगस्टर और माफिया बिहार या किसी अन्य राज्य में खुलेआम न घूम सकें.
बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद रिहा होने वाले क़ैदियों में पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह भी हैं, जिन्हें साल 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन ज़िलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था. कृष्णैया की पत्नी के साथ आईएएस एसोसिएशन ने भी सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल उठाए हैं.
बिहार जेल नियमों में संशोधन के कुछ दिनों बाद बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने 27 क़ैदियों की रिहाई की अधिसूचना जारी की है. रिहा होने वालों में पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह भी हैं, जिन्हें 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन ज़िलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या मामले में दोषी ठहराया गया था.
भाजपा की राज्य कार्यकारिणी द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ फिर से गठबंधन नहीं करने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित करने के बाद उन्होंने यह बयान दिया है. नीतीश ने दोहराया कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा उनके पिता लालू प्रसाद के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के ‘निराधार’ आरोपों के बाद 2017 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में उनकी वापसी एक ‘भूल’ थी.
शरद यादव तकरीबन चार दशक के लंबे राजनीतिक दौर के महत्वपूर्ण किरदार और गवाह रहे हैं. काश, उन्होंने अपनी कोई सुसंगत आत्मकथा लिखी होती, जिससे राजनीति की नई पीढ़ी, ख़ासकर समता, सेकुलरिज़्म और सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहे युवाओं को सीखने को मिलता कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
शरद यादव एक प्रमुख समाजवादी नेता थे. वह तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे थे और सात बार लोकसभा के लिए चुने गए थे. शरद यादव 1989 में वीपी सिंह नीत सरकार में मंत्री थे. उन्होंने 90 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री के रूप में कार्य किया था.
जदयू ने इन पांच विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए हाईकोर्ट जाने की बात कही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने मणिपुर में वही किया जो उसने पहले दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किया था.
2019 में लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में भाजपा के आने के 18 महीनों के भीतर उसके दो पुराने सहयोगियों- शिवसेना और अकाली दल ने उससे नाता तोड़ लिया था. अब जद (यू) ऐसा करने वाला उसका तीसरा प्रमुख राजनीतिक सहयोगी है.