प्रोफेसर भादुड़ी ने वीसी को पत्र लिखकर कहा, 'मौजूदा माहौल को देखकर मुझे काफी पीड़ा होती है. लेकिन मुझे लगता है कि बिना विरोध दर्ज कराए इस पूरे घटनाक्रम का मूक दर्शक बने रहना मेरे लिए अनैतिक होगा. विश्वविद्यालय में विरोध और विमर्श का गला घोटा जा रहा है.'
पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि हिंसा का सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने के उसके अनुरोध पर जेएनयू प्रशासन की ओर से अब तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है. वहीं, उसने व्हाट्सऐप को भी लिखित अनुरोध भेजकर उन दो ग्रुप का डेटा सुरक्षित रखने को कहा है जिन पर जेएनयू में हिंसा की साज़िश रची गई थी.
फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पांच जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में की गई हिंसा की पहचान निशाना बनाकर किए गए हमले के रूप में की है, जिसका उद्देश्य छात्रों और फैकल्टी के सदस्यों डराना और धमकाना था. इसके साथ ही यह संस्थान के कुलपति के समर्थन और प्रोत्साहन के साथ किया गया था.
जेएनयू में विद्यार्थियों पर हुए हमले के बाद एकजुटता प्रकट करने के लिए विश्वविद्यालय पहुंची अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक के बहिष्कार की मांग की जाने लगी, जिसमें वे तेजाब पीड़िता का किरदार अदा कर रही हैं. इस मामले में भाजपा के कुछ नेताओं ने भी जेएनयू जाने पर अभिनेत्री की आलोचना की थी.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में फिल्म छपाक के विरोध में लगाए गए पोस्टर में सबसे ऊपर बड़े-बडे़ अक्षरों में ‘चेतावनी’ लिखा था. इन पोस्टरों में कहा गया है कि जो भी सिनेमाघर फिल्म को दिखाने की कोशिश करेंगे, उन्हें अपना बीमा कराना पडे़गा.
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि देशभर में विरोध प्रदर्शन से बने मौजूदा मुश्किल हालात से भारत उबर जाएगा, जैसे अतीत में वह संकट की कई स्थितियों से निपटने में सफल रहा है.
शुक्रवार को सोशल मीडिया जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष की दो तस्वीरों को यह कहकर साझा किया गया कि अलग-अलग समय पर उनके हाथ में बंधी पट्टी एक बार दाहिनी तरफ और एक समय बायीं ओर बंधी है और उनकी चोट फ़र्ज़ी है. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया है.
शिक्षण संस्थानों का जब-जब राजनीतिकरण होगा, उसकी परिणति अक्सर हिंसा के रूप में ही होती है. जेएनयू को लेकर हुए विवाद में आज देश दो धड़े में विभाजित है और यह विभाजन धार्मिक या जातीय नहीं बल्कि वैचारिक है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिल्ली पुलिस की एसआईटी के प्रमुख पुलिस उपायुक्त जॉय टिर्की ने कहा कि नौ में सात छात्र लेफ्ट संगठनों एसएफआई, एआईएसएफ, आईसा और डीएसएफ से जुड़े हुए हैं. हालांकि, इस दौरान दो अन्य छात्रों के एबीवीपी से जुड़े होने के बावजूद उन्होंने एबीवीपी का जिक्र नहीं किया.
दिल्ली पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक घंटे बाद ही उसके दावों पर सवाल उठाते हुए एक निजी समाचार चैनल इंडिया टुडे ने शुक्रवार शाम एक स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया. इसमें दो छात्र एबीवीपी का सदस्य होने का दावा करते हैं और पांच जनवरी की हिंसा में अपनी भूमिका के बारे में बताते हैं.
वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. इस विषय पर जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
हिंसा के सबसे ज्यादा, सबसे ताकतवर और कारगर हथियार किसके पास हैं? किसके पास एक संगठित शक्ति है जो हिंसा कर सकती है? उत्तर प्रदेश में किसने आम शहरियों के घर-घर घुसकर तबाही की? किसने कैमरे तोड़कर चेहरे ढंककर लोगों को मारा? गोलियां कहां से चलीं? अदालत से यह कौन पूछे और कैसे? जब उसके पास ये सवाल लेकर जाते हैं तो वह हिंसा से रूठ जाती है.
पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के मुद्दे के समाधान के लिए सरकार की ओर से दो बार सुझाव दिए गए, लेकिन कुलपति सरकार के प्रस्ताव को लागू नहीं करने पर आमादा हैं. वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कुलपति को हटाना समाधान नहीं.
वीडियो: बीते पांच जनवरी की रात कुछ नकाबपोश लोग जेएनयू कैंपस में घुस आए और विभिन्न हॉस्टलों में तोड़फोड़ की था. हमलावरों ने छात्रों को बर्बर तरीके से पीटा. इस हमले में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष भी घायल हो गई थीं. उनसे द वायर के अविचल दुबे से बातचीत.
वीडियो: वर्तमान में देश के हालात और जेएनयू में हिंसा, सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों पर फिल्म अभिनेता मोहम्मद ज़ीशान अयूब से द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.