बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में ग्लेशियर टूटने से अचानक भीषण बाढ़ आ गई थी. बाढ़ से रैणी गांव में स्थित उत्पादनरत 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था.
बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में पर ग्लेशियर टूटने से हिमस्खलन हुआ था, जिससे नदी के किनारे 13.2 मेगावाट की एक जलविद्युत परियोजना ध्वस्त हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था.
वीडियो: उत्तराखंड के जोशीमठ में रविवार नंदादेवी ग्लेशियर के फटने की वजह से धौलीगंगा नदी में विकराल बाढ़ आ गई. रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है. तपोवन विष्णुगाढ़ हाइड्रो पॉवर प्लांट पूरी तरह से तहस-नहस हो गया है. इस विषय पर पर्यावरण के लिए काम करने वाले पत्रकार कबीर अग्रवाल से बातचीत.
चिपको आंदोलन के नेता और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित 87 वर्षीय चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि ऋषिगंगा और धौली गंगा में जो हुआ वह प्रकृति से खिलवाड़ करने का परिणाम है. 13 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना की गुपचुप स्वीकृति देना इस तरह की आपदाओं के लिए ज़मीन तैयार करने जैसा है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वहां कोई हिमखंड नहीं टूटा है. इसरो की तस्वीरों में कोई ग्लेशियर नज़र नहीं आ रहा है और पहाड़ साफ दिखाई दे रहा है. वैसे भी हादसे वाली जगह आपदाओं के प्रति संवेदनशील नहीं है.
उत्तराखंड राज्य आपदा परिचालन केंद्र के अनुसार, ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में 171 लोगों के लापता होने की सूचना है. लापता लोगों में पनबिजली परियोजनाओं में कार्यरत लोगों के अलावा आसपास के गांवों के स्थानीय लोग भी हैं जिनके घर बाढ़ के पानी में बह गए.
भाजपा नेता उमा भारती ने कहा है कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के कारण हुई त्रासदी चिंता का विषय होने के साथ-साथ चेतावनी भी है. उन्होंने कहा कि मंत्री रहने के दौरान उन्होंने आग्रह किया था कि हिमालय एक बहुत संवेदनशील स्थान है, इसलिए गंगा और उसकी मुख्य सहायक नदियों पर पनबिजली परियोजनाएं नहीं बननी चाहिए.
उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में ग्लेशियर टूटने से रविवार को अचानक आई भीषण बाढ़ से प्रभावित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट तपोवन विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे तक़रीबन 200 लोग लापता हो गए हैं. उनकी तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान जुटे हुए हैं.
चमोली ज़िले के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरीक्षेत्र में टूटे हिमखंड से धौलगंगा और अलकनंदा घाटी में आई बाढ़ ने रैणी गांव के पास बने ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है. परियोजना स्थल से डेढ़ सौ के क़रीब लोग लापता हैं और अब तक कुछ शव बरामद किए गए हैं.