मध्य प्रदेश के सागर स्थित डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की घटना. विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी नोटिस जारी करके अपने छात्रों को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न होने का सुझाव दिया है, जो शैक्षणिक गतिविधियों को प्रभावित करती हैं और परिसर के अंदर सांप्रदायिक तनाव पैदा करती हैं.
पत्नी द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोप पर दायर चार्जशीट के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 375 के तहत मिले अपवाद का हवाला देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचे एक शख़्स को कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि क़ानून से मिली कोई भी छूट इतनी असीमित नहीं हो सकती कि यह अपराध करने का लाइसेंस बन जाए.
कर्नाटक हाईकोर्ट के मामले पर अंतिम निर्णय के इंतज़ार में कई छात्राओं ने तय किया था कि वे न कक्षाओं में जाएंगी, न ही प्रैक्टिकल परीक्षाएं देंगी. इस पर शिक्षा मंत्री बीसी नागेश का कहना है कि वे अनुपस्थित छात्राओं के लिए फिर से परीक्षा आयोजित नहीं करेंगे, छात्राएं चाहें तो पूरक परीक्षाओं में शामिल हो सकती हैं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह फैसला उस वीडियो के सामने आने के बाद लिया है, जिसमें जजों को कथित तौर पर धमकी दी गई थी. कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बीते दिनों राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरक़रार रखने वाला फैसला सुनाया था.
स्कूल की वर्दी या यूनिफॉर्म के पीछे का तर्क छात्रों में बराबरी की भावना स्थापित करना है. वह वर्दी विविधता को पूरी तरह समाप्त कर एकरूपता थोपने के लिए नहीं है. उस विविधता को पगड़ी, हिजाब, टीके, बिंदी व्यक्त करते हैं. क्या किसी की पगड़ी से किसी अन्य में असमानता की भावना या हीनभावना पैदा होती है? अगर नहीं तो किसी के हिजाब से क्यों होनी चाहिए?
भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और उडुपी गवर्नमेंट पीयू कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के उपाध्यक्ष यशपाल सुवर्णा ने कहा कि लड़कियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे विद्यार्थी नहीं बल्कि आतंकवादी संगठन की सदस्य हैं. हाईकोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ बयान देकर वे विद्वान जजों की अवहेलना कर रही हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट की पीठ ने 15 मार्च अपने फ़ैसले में यह कहते हुए कि इस्लाम में हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, पांच फरवरी के सरकार के उस आदेश को बरक़रार रखा, जिसमें उसने ऐसे परिधान पहनने पर रोक लगाई थी, जिससे स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हो.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को इस्लाम धर्म का हिस्सा न मानते हुए शिक्षण संस्थानों में इस पर प्रतिबंध को बरक़रार रखा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामिक विद्वान व संगठनों ने हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा बताया, वहीं कुछ नेताओं ने चयन की स्वतंत्रता का सवाल उठाया है.
आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती एक छात्रा निबा नाज़ ने दी है. निबा उन पांच छात्राओं में से नहीं हैं जिन्होंने मूल रूप से हिजाब प्रतिबंध के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी. वहीं, कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाली छात्राओं ने अदालती फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा है कि हम बिना हिजाब कॉलेज नहीं जाएंगे, हम इंसाफ़ और अपने अधिकारों के लिए आगे लड़ाई लड़ेंगे.
कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं की याचिकाएं ख़ारिज करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं.
यह मामला मंगलुरु के दयानंद पई सतीश पई गवर्मेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज का है. बीते तीन मार्च को हिबा शेख़ सहित उनकी साथी छात्राओं को कॉलेज के गेट पर एबीवीपी से जुड़े छात्रों के बीच हिजाब को लेकर विवाद हुआ था. इस संबंध में हिबा ने 19 छात्रों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया है. अपने ख़िलाफ़ एफ़आईआर पर उन्होंने कहा कि उन्हें फ़ंसाया गया है.
कर्नाटक के उडुपी ज़िले में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में बीते साल दिसंबर में ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए कुछ लड़कियों को कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी. धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया, जिससे कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में तनाव का माहौल पैदा हो गया था.
हिंदुओं में अभी उदारता का ज्वार उमड़ पड़ा है, प्रगतिशीलता का भी. वे औरतों को हर परदे, हर बंधन से आज़ाद देखना चाहते हैं. वे कट्टरता के ख़िलाफ़ लड़ना चाहते हैं. लेकिन यह सब वे मुसलमान औरतों के लिए करना चाहते हैं. क्योंकि हिंदू औरतों को तो न कट्टरता और न धर्म के किसी बंधन का कभी शिकार होना होता है!
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के माउंट कार्मेल प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज का मामला. कॉलेज प्रशासन द्वारा बीते 16 फरवरी को अमृतधारी सिख छात्रा और स्टूडेंट एसोसिएशन की अध्यक्ष को पगड़ी हटाने के लिए कहा गया था जिससे उन्होंने इनकार कर दिया. परिवार का कहना है कि उनकी बेटी पगड़ी नहीं हटाएगी और वे क़ानूनी राय ले रहे हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट में उडुपी के याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एक वकील ने बताया कि शिक्षिकाओं को भी अपना ‘हेडस्कार्फ़’ हटाने को कहा गया है. इस पर अदालत ने कहा कि उसका हिजाब से संबंधित अंतरिम आदेश केवल विद्यार्थियों तक ही सीमित है.