किसी भी प्रबंधन को अपनी संस्था के नियम-क़ायदे तय करने का अधिकार है, लेकिन कोई भी नीति-नियम संविधान के दायरे में ही हो सकता है और धार्मिक स्वतंत्रता और शिक्षा के संवैधानिक अधिकार के रास्ते में नहीं आ सकता.
कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उडुपी के गवर्मेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की पांच छात्राओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर दो दिन तक चली सुनवाई के अंत में कहा कि यह मामला बड़ी पीठ के समक्ष रखे जाने योग्य है. इन छात्राओं ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब के विरोध के ख़िलाफ़ यह याचिकाएं दायर की हैं.
कर्नाटक में हिजाब के विरोध के बीच मध्य प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि हिजाब यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं है, इसलिए इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए. वहीं, भाजपा शासित पुदुचेरी के एक सरकारी स्कूल में छात्रा को कथित तौर पर हिजाब हटाने को कहा गया.
मुख्यमंत्री बसवराव बोम्मई ने ट्वीट करके आदेश की जानकारी दी है और सभी से शांति बनाए रखने को कहा है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी मामले पर सुनवाई करते हुए लोगों से संविधान में विश्वास बनाए रखने की अपील की. इस बीच दो और छात्राएं समान याचिका के साथ हाईकोर्ट पहुंच गई हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि किसी क़ानून की अनुपस्थिति में न तो राज्य सरकारें, न केंद्र और न ही उनकी एजेंसियां इस आधार पर नागरिकों को लाभ या सुविधाएं देने से इनकार कर सकते हैं कि उनके फोन में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि अविभाजित परिवार का कोई सदस्य संयुक्त परिवार की किसी संपत्ति पर दावा करना चाहता है तो उसे यह साबित करना होगा कि यह उसकी स्व-अर्जित संपत्ति है.
विधायकों के ख़िलाफ़ अवमानना वाले लेख लिखने के आरोप में पत्रकारों को कर्नाटक विधानसभा ने एक वर्ष की कैद और 10 हज़ार जुर्माने की सज़ा सुनाई थी.