'समय के साथ मैंने अपनी पहचान छुपाना शुरू कर दिया है. जब कोई मुझसे पूछता है कि आप कहां से हैं, तो मैं कहती हूं- यहीं दिल्ली से.’
पुस्तक अंश: 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात पर केंद्रित रोहिण कुमार की पुस्तक ‘लाल चौक’ का एक अंश.
ठीक पांच साल पहले, 5 अगस्त 2019 को केंद्र की भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर को आज़ाद भारत में शामिल करने की शर्त के रूप में अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को निरस्त कर दिया था. साथ ही राज्य को दो केंद्रीय शासित प्रदेशों में तब्दील कर दिया- जम्मू कश्मीर और लद्दाख.
5 अगस्त, 2019 के बाद का कश्मीर भारत के लिए आईना है. उसके बाद भारत का तेज़ गति से कश्मीरीकरण हुआ है. नागरिकों के अधिकारों का अपहरण, राज्यपालों का उपद्रव, संघीय सरकार की मनमानी.
अगस्त 2019 में जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व नेता शेहला राशिद ने सिलसिलेवार ट्वीट कर भारतीय सेना पर जम्मू कश्मीर में लोगों को उठाने, छापेमारी करने और लोगों को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे. अब इसके लिए दिल्ली के उपराज्यपाल ने उनके ख़िलाफ़ सीआरपीसी की धारा 196 के तहत मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी दी है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बीते 27 मई को अधिकारियों से मोहम्मद लतीफ़ माग्रे की मौजूदगी में हैदरपोरा एनकाउंटर में मृत उनके बेटे आमिर के अवशेषों को निकालने का आदेश दिया था. हालांकि छह जून को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी थी. आमिर उन चार लोगों में से एक थे, जो नवंबर 2021 को श्रीनगर के हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. इनमें से दो लोगों के शव विरोध के बाद उनके परिजनों
आमिर लतीफ़ माग्रे उन चार लोगों में से एक थे, जो 15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के बाहरी इलाके हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. एनकाउंटर की प्रमाणिकता को लेकर जनाक्रोश और विरोध के कुछ दिन बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दो मृतकों- अल्ताफ़ अहमद भट और डॉ. मुदासिर गुल के शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया था. हाईकोर्ट ने आमिर का शव उनके परिजनों के सुपुर्द न करने के जम्मू कश्मीर पुलिस के फैसले को संविधान के
बीते 22 मार्च को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर के रहने वाले सैयद फैसल को दिल्ली के जहांगीरपुरी स्थित एक होटल में ठहरने नहीं दिया गया. सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो में होटल की एक महिला कर्मचारी उन्हें वहां ठहरने की सुविधा देने से इसलिए इनकार करती है, क्योंकि वह जम्मू कश्मीर से हैं. फैसल ने कहा कि यह पहली बार है, जब उन्हें इस तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ा है.
15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में हुए 'एनकाउंटर' में हुई चार लोगों की मौत के बाद इस पर कई सवाल उठे थे. सेना के श्रीनगर स्थित 15 कॉर्प्स के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए ट्वीट में दावा किया गया था कि इस संयुक्त ऑपरेशन को जम्मू कश्मीर पुलिस के ख़ुफ़िया इनपुट के आधार पर अंजाम दिया गया था.
बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान तीन व्यक्तियों- व्यापारी मोहम्मद अल्ताफ़ भट, दंत चिकित्सक डॉ. मुदसिर गुल और आमिर मागरे की मौत हो गई थी. राजनीतिक दलों ने पुलिस द्वारा की गई वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाए थे, जिसमें इस मुठभेड़ में शामिल अधिकारियों को एक तरह से ‘क्लीनचिट’ दी गई थी.
बीते 15 नवंबर को हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से एक आमिर मागरे के माता-पिता ने पुलिस की उस जांच को ख़ारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उनके बेटे आतंकी थे. इसके अलावा इस गोलीबारी में एक आतंकी सहित जिन लोगों की मौत हुई उनमें शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के मालिक मोहम्मद अल्ताफ़ भट और दंत चिकित्सक डॉ. मुदसिर गुल शामिल हैं.
बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान तीन व्यक्तियों- व्यापारी मोहम्मद अल्ताफ़ भट, दंत चिकित्सक डॉ. मुदसिर गुल और आमिर मागरे की मौत हो गई थी. गुपकर गठबंधन ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की. है. वहीं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि एसआईटी द्वारा सुरक्षाबलों को दी गई क्लीनचिट आश्चर्यचकित नहीं करती है. यह जांच एक ग़लत अभियान की लीपापोती करने के लिए की गई थी.
बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान तीन व्यक्तियों मौत हुई थी. इनमें से एक व्यापारी मोहम्मद अल्ताफ़ भट, दंत चिकित्सक डॉ. मुदस्सिर गुल और अमीर मागरे शामिल हैं. परिजनों का कहना है कि सरकार को फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे गए व्यक्तियों के मामले की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिए एक महीने से अधिक समय हो गया है. हमें परिणाम जानने का अधिकार है.
जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के हैदरपोरा में बीते 15 नवंबर को हुए एनकाउंटर में मोहम्मद आमिर मागरे और तीन अन्य की मौत हो गई थी. पुलिस इनके आतंकी या उनका सहयोगी होने का दावा कर रही है. लेकिन पीड़ित परिवार का कहना है कि वे निर्दोष थे. पुलिस ने बीते नवंबर महीने में ही इस एनकाउंटर में मारे गए दो आम नागरिकों के शव उनके परिजनों को लौटा चुकी है.
मामला दक्षिण पूर्व दिल्ली का है, जहां एक कश्मीरी महिला ने आरोप लगाया है कि उनकी ग़ैर-मौजूदगी में मकान मालकिन ने घर में घुसकर फर्नीचर हटाया, पैसे और सामान चोरी किया. साथ ही पुलिसकर्मी की मौजूदगी में उनके साथ अभद्रता की गई. मामले में दिल्ली महिला आयोग ने पुलिस को नोटिस जारी किया है.