काशी- मथुरा के मंदिरों के लिए राम मंदिर जैसा आंदोलन ज़रूरी नहीं: दत्तात्रेय होसबाले

आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने काशी और मथुरा के संदर्भ में कहा कि मामलों की सुनवाई अदालत में हो रही है, अयोध्या विवाद का समाधान भी अंततः अदालतों के माध्यम से ही निकला. अगर मामला न्यायपालिका द्वारा हल किया जा सकता है तो समान पैमाने के आंदोलन की आवश्यकता कहां है.

यूपी: हिंदू महासभा ने मथुरा ईदगाह में हनुमान चालीसा पढ़ने की अनुमति मांगी, निषेधाज्ञा लागू

हिंदू महासभा ने 06 दिसंबर को मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह परिसर में 'लड्डू गोपाल' के जलाभिषेक और हनुमान चालीसा के पाठ की अनुमति मांगी है. वहीं, ज़िला प्रशासन ने अगले वर्ष 28 जनवरी तक बिना अनुमति के किसी भी राजनीतिक या धार्मिक संगठन द्वारा पांच से अधिक लोगों के एकत्र होकर सभा आदि करने पर रोक लगा दी है.

यूपी: हिंदू महासभा ने मथुरा स्थित शाही ईदगाह में छह दिसंबर को हनुमान चालीसा पाठ का ऐलान किया

अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने छह दिसंबर को हम तय समय पर हनुमान चालीसा पाठ कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के वातावरण को पवित्र करेंगे और ऐसा कर हम हिंदू समाज को भगवान कृष्ण का जन्म स्थल शुद्ध रूप में सौंपना चाहते हैं.

मथुरा-ज्ञानवापी विवाद: क्या है 1968 का समझौता और उपासना स्थल अधिनियम

वीडियो: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह को लेकर चल रहे विवादों के चलते 1968 के समझौते और 1991 के उपासना स्थल अधिनियम पर चर्चा हो रही है. इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं याक़ूत अली.

मथुरा: शाही ईदगाह मस्जिद में कथित ‘गर्भ गृह’ के शुद्धिकरण की अनुमति देने के लिए याचिका दाख़िल

याचिकाकर्ता दिनेश चंद्र शर्मा ने कथित रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के अंदर मौजूद केशव देव मंदिर के गर्भ गृह का ‘शुद्धिकरण’ करने की अनुमति अदालत से मांगी है. दिनेश अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष हैं और उन्होंने 19 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में भी ऐसी ही एक याचिका दाख़िल की थी. दोनों याचिकाएं अदालत में लंबित हैं.

कृष्ण जन्मभूमि मामला: अदालत शाही ईदगाह मस्जिद हटाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करेगी

मथुरा की ज़िला अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में मौजूद शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर वह भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास को सौंपने के मामले में दिए गए आदेश पर फिर से विचार करते हुए सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया. सितंबर 2020 में इस याचिका को ख़ारिज कर​ दिया गया था. इस समय इसी तरह की मांग को लेकर स्थानीय अदालतों में 12 से अधिक और मामले में भी चल रहे हैं.