देश के बड़े अनौपचारिक कार्यबल को कोविड-19 टीकाकरण में प्राथमिकता दी जानी चाहिए

एक अनुमान के अनुसार लगभग 70% शहरी कार्यबल अनौपचारिक रूप से कार्यरत हैं. अनौपचारिक श्रमिकों के काम की अनिश्चित प्रकृति पहले ही जोखिम भरी होती है, जिससे उनके कोविड-19 के संपर्क में आने का ख़तरा बढ़ जाता है. मौजूदा टीकाकरण ढांचे में कई बाधाओं के चलते ऐसे कामगारों के टीकाकरण की संभावना कम है.

कोविड संकट: ज़िंदा लोग इंतज़ार कर रहे हैं, लाशें पूछ रही हैं देश का इंचार्ज कौन है

कोरोना संक्रमण मोदी सरकार की स्क्रिप्ट के हिसाब से नहीं आया था और इसीलिए इसका कोई तसल्लीबख़्श जवाब उसके पास नहीं है.

कोविड संकट के लिए ‘सिस्टम’ नहीं, मोदी का इसे व्यवस्थित रूप से बर्बाद करना दोषी है: अरुण शौरी

साक्षात्कार: पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने द वायर से बात करते हुए देश के कोविड संकट के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि सरकार लोगों को उनके हाल पर छोड़ चुकी है, ऐसे में अपनी सुरक्षा करें और एक दूसरे का ख़याल रखें.

केवल सरकार विफल नहीं हुई हैं, हम मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के गवाह बन रहे हैं…

संकट पैदा करने वाली यह मशीन, जिसे हम अपनी सरकार कहते हैं, हमें इस तबाही से निकाल पाने के क़ाबिल नहीं है. ख़ाससकर इसलिए कि इस सरकार में एक आदमी अकेले फ़ैसले करता है, जो ख़तरनाक है- और बहुत समझदार नहीं है. स्थितियां बेशक संभलेंगी, लेकिन हम नहीं जानते कि उसे देखने के लिए हममें से कौन बचा रहेगा.

हिरासत में प्रताड़ना झेलने वाले मजदूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार को सभी मामलों में ज़मानत मिली

दलित अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर के साथ काम करने वाले मजदूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार को एक औद्योगिक इकाई के ख़िलाफ़ संगठन बनाकर विरोध करने के लिए दर्ज दो मामलों में तीन मार्च और एक मामले में 4 मार्च को ज़मानत मिल गई. 12 जनवरी को कौर की गिरफ़्तारी के बाद शिव कुमार को हिरासत में लिया गया था.

अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर की ज़मानत के बाद शिव कुमार को भी राहत मिलने की परिवार को उम्मीद

नवदीप कौर और शिव कुमार दोनों मज़दूर अधिकार संगठन के सदस्य हैं. दोनों को जनवरी में गिरफ़्तार किया गया था. आरोप है कि दोनों कृषि क़ानून के विरोध में हो रहे किसान आंदोलन को लेकर लोगों को एकजुट कर रहे थे, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ़्तार किया गया.

झारखंडः नौ महीने का वेतन न मिलने पर मज़दूरों की मदद करने वाले अधिकारी को कारण बताओ नोटिस

झारखंड के पाकुड़ वन प्रभाग की सीमा पर काम करने वाले 250 मज़दूरों को बीते नौ महीनों से मज़दूरी नहीं दी गई थी, जिसके बाद वन परिक्षेत्र के एक अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी. नोटिस में य​ह बताने के लिए कहा गया है कि उन्हें सेवानिवृत्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए?

दिल्लीः फैक्ट्री की छत ढहने से चार मज़दूरों की मौत, दो घायल

पश्चिमी दिल्ली के विष्णु गार्डन के ख्याला स्थित फैक्ट्री की छत ढही. फैक्ट्री में मोटर वाइंडिंग का काम होता था. बताया जा रहा है कि ज्यादा वजन की वजह से छत ढह गई. फैक्ट्री के मालिक को गिरफ़्तार कर लिया गया है.

झारखंडः नौ महीनों से नहीं मिली मज़दूरी, अदालत पहुंचे 250 मज़दूर

ये मज़दूर झारखंड के पाकुड़ वन प्रभाग की सीमा पर काम करते हैं. उनका कहना है कि उन्हें बीते नौ महीनों से मज़दूरी नहीं दी गई है जबकि वे इस मामले को कई बार प्रशासन के संज्ञान में ला चुके हैं. इस संबंध में झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका कर मज़दूरी दिलाने की मांग की गई है.

बिहार: बैजनाथपुर की बंद पड़ी पेपर मिल राज्य में औद्योगिकीकरण की बदहाली की मिसाल है

ग्राउंड रिपोर्ट: 70 के दशक में मधेपुरा-सहरसा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैजनाथपुर में काफ़ी उम्मीदों के साथ पेपर मिल बनी थी, पर कभी काम शुरू नहीं हो सका. मिल में रोज़गार पाने की आस में उम्र गुज़ार चुके लोगों की अगली पीढ़ी विभिन्न राज्यों में मज़दूरी कर रही है और मिल खुलने का वादा केवल चुनावी मौसम का मुद्दा बनकर रह गया है.

लॉकडाउन में श्रमिकों के मौत का आंकड़ा सरकार ने इकट्ठा किया, फ़िर भी संसद को बताने से इनकार

द वायर द्वारा भारतीय रेल के 18 ज़ोन में दायर आरटीआई आवेदनों के तहत पता चला है कि श्रमिक ट्रेनों से यात्रा करने वाले कम से कम 80 प्रवासी मज़दूरों की मौत हुई है. केंद्र सरकार के रिकॉर्ड में ये जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद उसने संसद में इसे सार्वजनिक करने से मना कर दिया.

स्वामी अग्निवेश: आधुनिक आध्यात्मिकता का खोजी

स्वामी अग्निवेश गांधी की परंपरा के हिंदू थे, जो मुसलमान, सिख, ईसाई या आदिवासी को अपने रंग में ढालना नहीं चाहता और उनके लिए अपना खून बहाने को तत्पर खड़ा मिलता है. वे मुसलमानों और ईसाइयों के सच्चे मित्र थे और इसीलिए खरे हिंदू थे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए रेलवे ने श्रमिकों से वसूला करोड़ों रुपये किराया

सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को दिए एक आदेश में कहा था कि ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले किसी भी प्रवासी मज़दूर से किराया नहीं लिया जाएगा. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार शीर्ष अदालत के निर्देशों के बावजूद रेलवे द्वारा श्रमिक ट्रेनों के यात्रियों से किराया लिया गया है.

लॉकडाउन: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से रेलवे ने कमाए 429 करोड़ रुपये

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिले आंकड़ों के अनुसार 29 जून तक 4,615 ट्रेनें चलीं और रेलवे ने इनसे 428 करोड़ रुपये कमाए. इसके साथ ही जुलाई में 13 ट्रेनें चलाने से रेलवे को एक करोड़ रुपये की आमदनी हुई.

श्रमिक ट्रेनों में हुई मौतों का डेटा तैयार कर रहा है रेलवे, सौ के पार जा सकता है आंकड़ा

लॉकडाउन के दौरान मज़दूरों को उनके घर ले जा रहीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में हुई मुसाफ़िरों की मौतों की आलोचना के बाद रेलवे ने अधिकतर मामलों में मृतकों की पुरानी बीमारियों और उनकी शारीरिक अवस्था को ज़िम्मेदार ठहराया था.