बीते हफ्ते कुशीनगर ज़िले के सेवरही क्षेत्र के मिश्रौली गांव की एक 30 वर्षीय आरती ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंट द्वारा क़र्ज़ वसूली के लिए किए जा रहे उत्पीड़न से आजिज़ आकर ज़हर खा लिया, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई. गांव में ऐसी कंपनी के ऋणजाल में फंसने वाली आरती अकेली नहीं हैं.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगने के बाद सेबी मामले की जांच कर रहा है. सेबी ने जांच के लिए छह महीने का समय मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के लिए सेबी लंबा समय नहीं ले सकता है. हम उसे तीन महीने का समय देंगे.
बीते जनवरी माह में अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था.
ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का नतीजा यह रहा कि अडानी समूह द्वारा कुछ निवेशों को रोक दिया गया, इसके अलावा पूंजीगत व्यय में कटौती की गई और परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक अलग दृष्टिकोण पर विचार किया जाने लगा.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अडानी समूह के शेयर्स में मुख्य हिस्सा रखने वाले चार फंड्स में से एक- मॉरीशस की एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड समूह की एक रक्षा कंपनी की सह-मालिक है, जिसका केंद्र सरकार के साथ 590 करोड़ रुपये का एक अनुबंध भी है.
बीते सोमवार को केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी है. एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों के संबंध में चल रही जांच को सेबी दो महीने के भीतर पूरा करेगा.
वीडियो: बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से जुड़े मसलों की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में समिति बनाई है. यह इस बात का पता लगाएगी कि क्या भारत का नियामिकीय ढांचा ठीकठाक है या नहीं.
अडानी समूह के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट जारी करने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी ख़बरें चलने लगी थीं कि हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ अमेरिका में तीन मामलों की जांच चल रही है, इसके बैंक एकाउंट जब्त कर दिए गए हैं और इसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों पर रिपोर्ट जारी करने से रोक दिया गया है.
अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर मचे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निवेशकों के हितों को बाज़ार के उतार-चढ़ाव से बचाने की ज़रूरत है. अदालत ने बाज़ार नियामक तंत्र को मज़बूत करने के लिए केंद्र से एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति के गठन पर विचार करने के लिए भी कहा है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बड़े कारोबारी घरानों को दिए गए 500 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के लिए मंज़ूरी नीति की निगरानी को लेकर एक विशेष समिति गठित करने के बारे में भी निर्देश देने की मांग की गई है. अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह की कंपनियों के ख़िलाफ़ ‘स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी’ के आरोपों के बाद समूह के शेयरों में गिरावट शुरू होने के बीच अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सरकार ने कहा कि एसबीआई और एलआईसी ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके द्वारा दिया गया क़र्ज़ अनुमति सीमा के भीतर है.
राजस्थान के दौसा ज़िले के किसानों ने ज़मीन नीलामी में शामिल बैंक अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई और भूमि नीलामी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग करते हुए राजधानी जयपुर में प्रदर्शन किया. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क़र्ज़ नहीं चुकाने वाले किसानों की कृषि भूमि को बैंकों द्वारा नीलाम किए जाने से रोकने के निर्देश दिए हैं.
साल 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वामित्व योजना' की शुरुआत की थी. तब बताया गया था कि ग्रामीण ज़मीनों का सर्वेक्षण करने के बाद उनका मालिकाना हक़ ग्रामीण आबादी को दिया जाएगा. इस साल जुलाई में संसद में बताया गया कि दिल्ली की ग्रामीण क्षेत्र में यह योजना लागू नहीं होगी, जिसके बाद से यहां के लोगों ने केंद्र की इस उपेक्षा पर सवाल उठाए हैं.
एक रिपोर्ट में बताया गया था कि अज्ञात ह्विसिलब्लोअरों ने भारतीय रिज़र्व बैंक और इंडसइंड बैंक प्रबंधन को इसकी सहायक इकाई बीएफआईएल द्वारा दिए गए इस तरह के ऋण के बारे में एक पत्र लिखा है, जिसमें कुछ शर्तों के साथ ऋण के नवीनीकरण का आरोप लगाया गया है. इस तरह जहां मौजूदा ग्राहक अपना क़र्ज़ नहीं चुका पा रहे थे, वहां उन्हें नया ऋण दिया गया.
भारतीय अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए फंड का का इंतज़ाम करना एक राष्ट्रीय समस्या है. ऐसे समय में, ख़ासकर जब देश की अर्थव्यवस्था बाकी कई देशों के मुक़ाबले अधिक ख़राब है, तब केंद्र और राज्यों का क़र्ज़ लेने को लेकर उलझना अनुचित है.