लालू प्रसाद यादव की वे बेटियां, जो राजनीति में नहीं हैं, भी ज़मीन के बदले नौकरी के कथित घोटाले को लेकर केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गई हैं, लेकिन उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अब तक इनके निशाने पर नहीं हैं. बिहार के राजनीतिक विश्लेषक इसे महज़ संयोग मानने को तैयार नहीं हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का राज्य में जाति जनगणना करवाने का निर्णय 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र राष्ट्रीय राजनीति को बड़े स्तर पर प्रभावित करने का माद्दा रखता है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ केवल जातियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, उप-जातियों को नहीं. बिहार की राजनीति में जाति-आधारित जनगणना एक प्रमुख मुद्दा रहा है. नीतीश की पार्टी जदयू और महागठबंधन के सभी घटक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह जल्द से जल्द किया जाए.
बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेताओं ने सीबीआई से सामान्य सहमति वापस लेने का आह्वान करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार राजनीतिक उद्देश्यों के लिए जांच एजेंसी का इस्तेमाल कर रही है. साल 2015 से नौ राज्यों द्वारा सीबीआई से आम सहमति वापस ली गई है.
महागठबंधन सरकार द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को राजद नेताओं के यहां हुई सीबीआई छापेमारी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग वो ‘तीन जमाई’ हैं, जिन्हें भाजपा उन राज्यों में भेजती है जहां वह सत्ता में नहीं है.
बिहार में बुधवार को नवगठित महागठबंधन सरकार को बहुमत साबित करना था और इसी दिन सुबह सीबीआई ने राष्ट्रीय जनता दल के कई नेताओं के घर पर छापे मारे. बताया गया है कि कार्रवाई केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में हुए ज़मीन के बदले नौकरी संबंधी कथित घोटाले को लेकर हुई है.
बिहार का हालिया घटनाक्रम 2024 लोकसभा चुनाव से पहले देश की राजनीति को बदलने का माद्दा रखता है. आंकड़ों की रोशनी में देखें तो भाजपा के पास इस सात दलीय महागठबंधन को लेकर चिंतित होने की हर वजह है.
नीतीश कुमार के भाजपा का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने पर सुशील मोदी ने कहा कि वे एनडीए से निकलने के लिए सफ़ेद झूठ बोल रहे हैं. इससे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा था कि नीतीश कुमार ‘आदतन धोखेबाज़’ हैं.
नीतीश कुमार ने मंगलवार को एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना इस्तीफ़ा राज्यपाल को सौंपने के बाद सर्वसम्मति से ‘महागठबंधन’ का नेता चुने जाने पर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. उन्होंने बताया कि महागठबंधन में निर्दलीय विधायकों समेत सात दलों के 164 विधायक शामिल हैं.
बिहार सरकार में मंत्री मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी के सभी तीनों विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. उधर, मुकेश साहनी का कहना है कि उन्हें मंत्रिमंडल में रखना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है. वे चाहें तो बर्ख़ास्त कर दें.
विशेष रिपोर्ट: बिहार चुनावों में असद्दुदीन ओवैसी की एआईएमआईएम के पांच सीटें जीतने के बाद से सत्ता पाने से वंचित रह गए महागठबंधन के घटक दलों के नेता लगातार ओवैसी पर निशाना साधते हुए उन्हें भाजपा की ‘बी’ टीम क़रार दे रहे हैं. हालांकि आंकड़े जो तस्वीर दिखा रहे हैं, वो इन नेताओं के दावों से उलट है.
ग्राउंड रिपोर्ट: मुस्लिम और यादवों को आम तौर पर राजद का समर्थक माना जाता है, लेकिन मुस्लिमों का अंसारी समुदाय राजद द्वारा उनके नेताओं को राज्य की चुनावी राजनीति में समुचित प्रतिनिधित्व न देने को लेकर ख़ासा नाराज़ है.
प्रधानमंत्री के गब्बर शैली के चुनावी डायलॉग्स में तेजस्वी यादव और महागठबंधन के लिए चेतावनी-सी छुपी लगती है. शायद वे अपने जुमलों के ज़रिये यह जता रहे हैं कि जनता उन्हें भले बहुमत देकर सत्ता सौंप दे, मगर मोदी सरकार उन्हें राज नहीं करने देगी.
विशेष रिपोर्ट: नीतीश कुमार इस समय अपने राजनीतिक जीवन के एक कठिन चुनाव का सामना कर रहे हैं. एक तरफ तेजस्वी यादव आक्रामक तरीके से उन पर निशाना साध रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिस एनडीए गठबंधन का वे हिस्सा हैं, वहां भी उनके लिए सब कुछ ठीक नहीं है.
ग्राउंड रिपोर्ट: 80 के दशक में सीवान में शुरू हुई सूत मिल साल 2000 में मज़दूरों को उनका बकाया दिए बिना ही बंद हो गई. मज़दूरों को लगता था कि मिल दोबारा शुरू होगी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार द्वारा यहां इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने के ऐलान के बाद उनकी रही-सही उम्मीदें भी ख़त्म हो गईं.