तेज़ाब हमले के पीड़ित को विकलांग अधिकार अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति का हक़ है: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट दो बच्चों की मां की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर 2010 में उसके पति ने हमला किया था और उसके चेहरे पर तेज़ाब डाल दिया था. राज्य सरकार को पीड़ित महिला को 2016 के क़ानून के तहत तीन महीने के अंदर मुआवज़े का भुगतान करने और चेहरे की सर्जरी तथा अन्य चिकित्सकीय ख़र्च भी उठाने का निर्देश दिया.

भीमा-कोरेगांव: एक गवाह ने हिंसा के लिए आरएसएस और भाजपा नेताओं को ज़िम्मेदार ठहराया

एल्गार परिषद मामले में एक आरोपी और गवाह का कहना है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा आरएसएस कार्यकर्ता संभाजी भिड़े और भाजपा के पूर्व पार्षद मिलिंद एकबोटे ने भड़काई थी. उन्होंने जांच आयोग को एक प्रेस विज्ञप्ति भी सौंपी तथा दावा किया कि वह विज्ञप्ति मिलिंद एकबोटे ने हिंसा से कुछ दिन पहले पुणे के ज़िलाधिकारी को दी थी और उसमें मुख्य रूप से दलित और आंबेडकरवादी समुदायों के लोगों के एकत्रित होने के प्रति विरोध जताया था.

स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन रोकना उचित नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

एक स्वतंत्रता सेनानी की 90 वर्षीय पत्नी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में महाराष्ट्र सरकार की पेंशन योजना का लाभ देने का अनुरोध किया है. महिला के पति की 56 साल पहले मौत हो गई थी. इस याचिका पर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है.

महाराष्ट्र पुलिस ने घर और नौकरी में संतुलन के लिए महिला कॉन्स्टेबलों के काम के घंटे कम किए

महाराष्ट्र पुलिस ने अपनी महिला कॉन्स्टेबलों के कामकाजी समय को 12 से घटाकर आठ घंटे कर दिया है. एक अधिकारी ने कहा कि यह पहल पिछले महीने नागपुर, अमरावती, पुणे और नवी मुंबई में प्रायोगिक तौर पर लागू की गई थी और आने वाले दिनों में इसे अन्य शहरों और ज़िलों में भी प्रभावी किया जाएगा.

आदिवासी इलाकों में कुपोषण और चिकित्सा की कमी के कारण कोई मौत नहीं होनी चाहिए: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट 2007 में महाराष्ट्र के अमरावती ज़िले के मेलघाट क्षेत्र में मुख्य रूप से कुपोषण के कारण बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की बड़ी संख्या में मौतों को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर यह टिप्पणी की. इससे पहले अदालत ने कहा था कि आदिवासी समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाएं केवल काग़ज़ पर हैं. कुपोषण से बच्चों की मृत्यु रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार क्या कदम उठा रही है.

हाथ से मैला उठाने की प्रथा समाप्त करने की ज़िम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार की है: बॉम्बे हाईकोर्ट

अदालत तीन महिलाओं के द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिनके पति हाथ से मैला उठाते थे और दिसंबर 2019 में एक निजी सोसायटी के सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय उनकी मौत हो गई थी. अदालत ने मुंबई के ज़िलाधिकारी को निर्देश दिया कि मुआवजे़ के तौर पर प्रत्येक याचिकाकर्ता को 10 लाख रुपये की राशि दी जाए.

योजनाएं सिर्फ़ काग़ज़ पर, महाराष्ट्र सरकार ने कुपोषण से मौत रोकने के लिए क्या क़दम उठाए: कोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट 2007 में दाख़िल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अमरावती ज़िले के मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण की वजह से बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं की बड़ी संख्या में मृत्यु के मामलों को रेखांकित किया गया था. याचिका के अनुसार, इलाके में इस साल अगस्त से सितंबर के बीच कुपोषण तथा डॉक्टरों की कमी की वजह से 40 बच्चों की मौत हुई और 24 बच्चे मृत जन्मे.

दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज़ादी के 75 साल बाद भी लोगों को पानी के लिए अदालत आना पड़ रहा है: हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे जिला के भिवंडी शहर के कांबे गांव के ग्रामीणों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. याचिका में ठाणे ज़िला परिषद और भिवंडी-निज़ामपुर नगर निगम के संयुक्त उद्यम एसटीईएम वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन और इन्फ्रा कंपनी को दैनिक आधार पर पानी की आपूर्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि उन्हें महीने में सिर्फ़ दो बार पानी आपूर्ति होती है और यह केवल दो घंटे के लिए.

मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में रह रहे मरीज़ों की कोविड जांच व टीकाकरण कराए सरकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों से मरीजों को भिक्षुक गृह भेजे जाने के मामले पर गंभीरता से संज्ञान लिया और तुरंत इसे रोकने का निर्देश दिया.

बेघरों-भिखारियों को भी काम करना चाहिए, सरकार उन्हें सब कुछ नहीं दे सकती: हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर बेघर व्यक्तियों, भिखारियों और ग़रीबों को तीन वक़्त का भोजन, पीने का पानी, आश्रय और स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. न्यायालय ने कहा कि बेघर व्यक्तियों को भी देश के लिए काम करना चाहिए. हर कोई काम कर रहा है. सब कुछ राज्य द्वारा ही नहीं दिया जा सकता है. आप (याचिकाकर्ता) सिर्फ़ समाज के इस वर्ग की आबादी बढ़ा रहे हैं.

कोर्ट ने कंगना रनौत की बिल्डिंग पर बीएमसी की कार्रवाई ख़ारिज की, कहा- यह दुर्भावना से प्रेरित

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी नागरिक के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान के चलते सरकार ऐसे दुर्भावनापूर्ण क़दम नहीं उठा सकती है. कोर्ट ने कंगना रनौत के बयान को भी अस्वीकार किया और कहा कि उन्हें सार्वजनिक टिप्पणी करते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए. बीते नौ सितंबर को बीएमसी अभिनेत्री के बांद्रा स्थित बंगले में हुए ‘अवैध निर्माणों’ को ढहा दिया था.

2016 से 2019 के बीच बीएमसी ने अवैध निर्माण की सिर्फ़ 10.47 फीसदी शिकायतों में कार्रवाई की

आरटीआई के तहत प्राप्त की गई जानकारी से पता चला था कि एक मार्च 2016 से लेकर आठ जुलाई 2019 के बीच बीएमसी को अवैध निर्माण की कुल 94,851 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, लेकिन उस समय तक इसमें से सिर्फ़ 5,461 मामलों में ही कार्रवाई की गई थी.

राज्यों का महामारी का हवाला देकर केवल धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाना अजीब है: सुप्रीम कोर्ट

पर्यूषण पर्व के लिए मुंबई के दादर, बायकुला और चेंबूर में जैन मंदिरों को खोलने की इजाज़त देते हुए सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हमें यह अजीब लगता है कि राज्य आर्थिक हितों से जुड़ी गतिविधियों की अनुमति देने के लिए तैयार हैं, लेकिन अगर इसमें धर्म शामिल है तो वे कोविड-19 का हवाला देते हैं.

महाराष्ट्र के बाद राजस्थान के विद्यालयों में भी 26 जनवरी से होगा संविधान की प्रस्तावना का पाठ

राजस्थान के शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राष्ट्र में जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, उसमें हमारे संविधान निर्माण की प्रस्तावना और भावों के प्रसार से ही हम देश में परस्पर सद्भाव, एकता, अखण्डता को कायम रख सकते हैं.

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