मछली पालन ने ओडिशा की महिलाओं को आय तो दी ही, साथ में पोषण भी सुनिश्चित किया

कुपोषण से जूझ रहे ओडिशा में सरकार ने 2018 में एक योजना के तहत महिलाओं को घर के पास के तालाबों की सफाई के लिए सब्सिडी देते हुए मछली पालन में प्रशिक्षण दिया और मछली के बीज उपलब्ध कराए. आज वे महिलाएं मछली पालन से आजीविका के साथ-साथ पोषण का लाभ भी ले रही हैं.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 में भारत को ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा गया: रिपोर्ट

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में ख़राब प्रदर्शन जारी रखते हुए भारत 127 देशों की सूची में 105वें स्थान पर है और पड़ोसी पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के साथ उन 42 देशों में शामिल है जो 'गंभीर' श्रेणी में आते हैं. 2023 के इंडेक्स में भारत 125 देशों की सूची में 111वें स्थान पर आया था.

भारत में ‘कुपोषित’ लोगों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट

मोदी सरकार द्वारा विकास के तमाम दावों के बीच विश्व में सबसे ज्यादा 19.5 करोड़ कुपोषित लोग भारत में रहते है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के आधे से अधिक लोग (79 करोड़) अभी भी 'स्वस्थ आहार' का ख़र्च उठाने में असमर्थ हैं, जबकि 53 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं.

नीति आयोग के सदस्य की आशंका, भारत 2030 तक ज़ीरो-हंगर का लक्ष्य पाने से चूक जाएगा

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि प्रति व्यक्ति खाद्य उत्पादन बढ़ने के बावजूद देश में कुपोषण बढ़ गया है, ख़ासकर पिछले आठ वर्षों में. उन्होंने इसके लिए बढ़ती खाद्य कीमतों को ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने कृषि उत्पादकता वृद्धि को सालाना 2 फीसदी से अधिक बढ़ाने की वकालत की है.

केंद्रीय मंत्री बोलीं- फोन पर ‘क्या भूखे हैं’ पूछकर बनाते हैं हंगर इंडेक्स, विपक्ष ने की आलोचना

हैदराबाद में एक कार्यक्रम में शामिल हुईं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को लेकर कहा कि इसके लिए 140 करोड़ के देश के 3,000 लोगों को फोन करके पूछा जाता है कि क्या वे भूखे हैं. बीते दिनों जारी इस साल के सूचकांक में भारत 125 देशों की सूची में 111वें स्थान पर आया है.

भारत के हंगर इंडेक्स में 111वें स्थान पर आने के बाद सरकार का रिपोर्ट मानने से इनकार क्यों?

वीडियो: हाल ही में जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट में भारत 125 देशों में से 111 वें स्थान पर रहा, जहां यह बस कुछ बहुत छोटे अफ्रीकी देशों को ही पीछे छोड़ सका. भारत सरकार ने रिपोर्ट की मेथोडोलॉजी को ग़लत बताते हुए इसे अस्वीकार किया है. इंडेक्स बनाने वाली एजेंसियों ने सरकार की आपत्तियों पर कहा है कि इनमें दम नहीं है. 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे बताता है कि गुजरात के बच्चों में कुपोषण का स्तर चिंताजनक है

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, शहरी आबादी वाले चार प्रमुख जिलों अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट में 2015-16 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कुछ आदिवासी ज़िलों की तुलना में बच्चों में बौनापन, कमज़ोरी, गंभीर कुपोषण और कम वज़न के मामलों में तेज़ वृद्धि देखी गई.

भारत में 14 लाख से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित: सरकार

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि मिशन पोषण 2.0 के पोषण ट्रैकर के तहत फरवरी 2023 में मापे गए लगभग 5.6 करोड़ बच्चों में से 2.6 प्रतिशत गंभीर रूप से कुपोषित हैं. कुपोषित बच्चों का प्रतिशत 7.7 पाया गया जो संख्या में लगभग 43 लाख होता है. 

ग्लोबल हंगर इंडेक्स: भारत 121 देशों में 107वें स्थान पर; पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका से भी पीछे

साल 2022 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत पिछले साल के 101वें स्थान से फिसलकर 107वें पायदान पर पहुंच गया है. इस रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को ‘चिंताजनक’ बताया गया है.

प्रधानमंत्री जी, कुपोषण की समस्या भजन से नहीं भोजन से दूर होती है

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कुपोषण की समस्या पर बात करते हुए श्रोताओं से कहा कि क्या वे जानते हैं कि भजन, गीत और संगीत के माध्यम से कुपोषण कम किया जा सकता है.

2021 में वैश्विक भुखमरी में इज़ाफ़ा, 2.3 अरब लोगों को भोजन जुटाने में मुश्किल हुई: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों से इसे लेकर कोई भी संदेह दूर हो जाना चाहिए कि दुनिया भुखमरी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को समाप्त करने के अपने प्रयासों में पीछे जा रही है. सबसे हालिया उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि दुनिया भर में स्वस्थ खुराक का ख़र्च उठाने में असमर्थ लोगों की संख्या 11.2 करोड़ बढ़कर लगभग 3.1 अरब हो गई.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से बाल विवाह संबंधी आंकड़े पेश करने को कहा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदिवासी क्षेत्र मेलघाट में कुपोषण और चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव के चलते हो रही महिलाओं और बच्चों की मौत के संबंध में जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमें पता चला है कि लड़कियों की शादी 12-13 वर्ष की उम्र में कराई जा रही है, वे 15 और 16 साल की उम्र में बच्चों को जन्म दे रही हैं और यही एक कारण है जिससे माताओं और उनके बच्चों की मौत हो रही है.

उत्तराखंड में नवजात शिशुओं की मौत के मामले बढ़े: आरटीआई

आरटीआई के तहत मिले आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में 2016-17 से 2020-21 तक मातृ मृत्यु दर में 122.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसी अवधि में नवजात मृत्यु दर में 238 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

शादी की क़ानूनी उम्र बढ़ जाने मात्र से महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं होगा

भारतीय समाज में शादी-ब्याह के मामले पेचीदा विरोधाभासों और विडंबनाओं में उलझे हुए हैं. इन्हें किसी क़ानूनी करतब से सुलझाना नामुमकिन है. जब युवा महिलाओं को स्तरीय शिक्षा के साथ वाजिब वेतन पर रोज़गार मिलेगा तब वे सही मायने में स्वावलंबी और सशक्त बन सकेंगी. फिर वे ख़ुद तय करेंगी कि शादी करनी भी है या नहीं, और अगर करनी है तो कब, किससे और कैसे.

आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण से मौतों को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार योजना तैयार करे: अदालत

बॉम्बे हाईकोर्ट 2007 में दायर की गईं कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अमरावती ज़िले के मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण के कारण बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की मौतों की अधिक संख्या को उजागर किया गया है.

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