राजधानियों में बैठे विश्लेषकों और वाचाल एंकरों के लिए गांव की भाषा व राजनीतिक मुहावरे पहले भी अबूझ रहे हैं और इस बार भी अबूझ रहे. वे न इन आवाजों को सुन पाए, न समझ पाए.
एक्जिट पोल में एक तात्कालिकता होती है, मसलन आपने किसे वोट दिया? क्यों वोट दिया? आप किस बिरादरी के हैं? यह सवाल धीमी गति से हो रहे परिवर्तनों को नहीं देख पाते हैं. उत्तर प्रदेश में हो रहे परिवर्तन ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘400 पार’ के नारे की हवा निकाल दी.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा का ‘पीडीए’ आज उसी तरह केंद्र में है, जैसे कभी बसपा की ‘सोशल इंजीनियरिंग’ हुआ करती थी. सभी जातियों को एक साथ लाने की सपा की रणनीति लोकसभा चुनाव को नया समीकरण देती दिख रही है.
बस्ती मंडल के तीन लोकसभा क्षेत्रों- बस्ती, संत कबीर नगर और डुमरियागंज में पिछले दोनों लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी जीती है. हालांकि, इस बार समाजवादी पार्टी ने उसे दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यकों की लामबंदी करके घेरा है.
बाहुबली धनंजय सिंह और उनकी पत्नी द्वारा नाटकीय ढंग से भाजपा को समर्थन और दो पुराने नेताओं की लड़ाई ने जौनपुर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है.
पिछले साल दिसंबर में मायावती ने आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक की अहम जिम्मेदारी दी थी. हाल ही में आनंद ने एक चुनावी रैली में भाजपा सरकार को ‘गद्दारों की सरकार’ कहा था.
जन्मदिन विशेष: मान्यवर कांशीराम के निकट राजसत्ता की चाभी बहुजन हितकारी सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के बंद ताले खोलने का पूरी तरह अपरिहार्य साधन थी और वे मानते थे कि देश की सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्थाओं में बहुजनों को अपरहैंड तभी मिल सकता है, जब यह चाभी उनके पास रहे. इसके इतर स्थिति में जिसके हाथ में यह चाभी रहेगी, उन्हें उसी की धुरी पर नाचते रहना होगा.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने बीते अक्टूबर में सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को पत्र लिखकर एक साथ चुनाव कराने पर अपने विचार भेजने को कहा था. पार्टियों के लिए अपना लिखित जवाब भेजने की आखिरी तारीख 18 जनवरी थी, जिसके बाद कई पार्टियों के नेताओं ने कोविंद से मुलाकात की थी.
वीडियो: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा प्रमुख मायावती की घटती प्रासंगिकता और भाजपा के साथ गठजोड़ के बारे में बात कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान.
पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इस मामले में दलित हस्तियों का तिरस्कार एवं उपेक्षा करना कतई उचित नहीं. भाजपा सरकार इस ओर भी ज़रूर ध्यान दे.
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने जन्मदिन पर एक प्रेस वार्ता के दौरान राजनीति से संन्यास लेने की ख़बरों को भी बसपा प्रमुख मायावती ने सिरे से ख़ारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद उनके संन्यास की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन वह पार्टी को मज़बूत करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगी.
यह घोषणा आगामी 2024 लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की रविवार को हुई एक बैठक के दौरान की गई. बैठक में मौजूद पार्टी नेताओं ने कहा कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाया है और उन्हें उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों में पार्टी को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी दी है.
बसपा प्रमुख मायावती ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर कहा कि देश के 81 करोड़ से अधिक ग़रीबों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न का मोहताज बना देने जैसी दुर्दशा न आज़ादी का सपना था और न ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय डॉ. आंबेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुखद है.
वीडियो: बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती का एक वीडियो क्लिप सामने आया है, जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर जमकर निशाना साध रही है. यह उनके भाजपा और मोदी सरकार के प्रति काफ़ी समय से अख़्तियार किए गए रवैये से उलट है. इस पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.