पिछले डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय हिंसा का दौर जारी है. बीते बुधवार को बिष्णुपुर ज़िले में एक आईईडी विस्फोट में एक आठ वर्षीय लड़का और दो किशोर घायल हो गए. वहीं, कांगपोकपी ज़िले के दो गांवों में भी अंधाधुंध गोलीबारी हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
कांग्रेस सहित दस विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में जातीय हिंसा को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. विपक्षी दलों ने हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की 'बांटो और राज करो की राजनीति' को ज़िम्मेदार ठहराया है.
पिछले 45 दिनों से मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य के विधायकों के दो प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 15 जून से नई दिल्ली में हैं.
मणिपुर हिंसा के दौरान पुलिस शस्त्रागारों से हथियार लूटने के मामले में दर्ज विभिन्न एफ़आईआर के द वायर द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि एके 47 और इंसास राइफल, बम एवं अन्य आधुनिक हथियार लूटे गए. उपद्रवी बुलेटप्रूफ जैकेट भी ले गए और पुलिस थानों में आग तक लगा दी.
मणिपुर हाईकोर्ट के 27 मार्च के विवादास्पद आदेश पर मेईतेई ट्राइब्स यूनियन ने समीक्षा याचिका दायर करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक किसी भी समुदाय को एसटी में शामिल करना या बाहर करना संसद और राष्ट्रपति का विशेषाधिकार है, हाईकोर्ट का आदेश इसका पालन नहीं करता है. इस बीच, उच्च न्यायालय ने राज्य में सीमित इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं.
देश भर के 550 से अधिक सिविल सोसायटी समूहों और व्यक्तियों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए समुदायों के बीच सदियों पुराने जातीय तनाव को बढ़ा रही है. बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर में पिछले डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया गया है.
मणिपुर में पिछले लगभग डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच इंटरनेट पर प्रतिबंध 20 जून तक बढ़ा दिया गया है. अपना घर जलाए जाने पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से विफल हो चुकी है. इस बीच कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिंसा को लेकर चुप्पी तोड़ने की अपील की है.
मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम ज़िले के लाम्फेल इलाके में स्थित आधिकारिक आवास को बुधवार शाम को जला दिया गया. घटना के समय वह घर पर नहीं थीं. भाजपा से संबद्ध किपगेन उन 10 कुकी विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने हिंसा शुरू होने के बाद अलग प्रशासन की मांग उठाई है.
मणिपुर के एक जनजातीय समूह इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में जारी हिंसा का एकमात्र समाधान मेईतेई और कुकी-जो समुदायों को पूरी तरह से अलग करना है क्योंकि दोनों समुदायों के बीच 'जातीय मतभेद और अविश्वास' समझौते से परे जा चुका है.
बीते क़रीब डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय संघर्ष जारी है. पुलिस के अनुसार, मंगलवार को कांगपोकपी ज़िले के ऐगिजंग गांव में देर रात हुई फायरिंग में नौ लोगों की मौत हुई है. ये सभी मेईतेई समुदाय से हैं.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि एक विद्रोही कुकी संगठन के अध्यक्ष द्वारा 2019 में गृह मंत्री अमित शाह को लिखे गए पत्र में दावा किया गया था कि 2017 में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और भाजपा नेता राम माधव ने मणिपुर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए उनसे मदद ली थी.
कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि पार्टी मांग करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और प्रशासन में विश्वास बहाल करने तथा राज्य में सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने के लिए जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करना चाहिए.
पुलिस ने बताया कि मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले के लैलोईफाई इलाके में बीते सोमवार को हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हुई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति का गठन किया है. हालांकि मुख्यमंत्री के इसमें शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए एक समिति का गठन किया था. राज्यपाल अनुसुइया उइके इसकी अध्यक्षता करेंगी, जिसमें मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी शामिल हैं. कुकी नेताओं ने कहा कि वे इसका बहिष्कार करेंगे, क्योंकि इसमें मुख्यमंत्री और उनके समर्थक शामिल हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद आपको केंद्रीय गृह मंत्री को वहां भेजने में लगभग एक महीना लग गया. गृह मंत्री के वहां से लौटने के 8 दिन बाद भी हिंसा जारी है. बतौर प्रधानमंत्री आप कम से कम शांति की अपील कर सकते थे.