साल 2009 से नहीं बढ़ा मिड डे मील के रसोइयों का वेतन, 15 साल में महंगाई के साथ घटा मानदेय

2009 से 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मिड डे मील के कुक्स-कम-हेल्पर्स का वेतन नहीं बढ़ा है. ज़्यादातर राज्यों में उन्हें 1,000 रुपये प्रतिमाह का मानदेय दिया जा रहा है, जो राष्ट्रीय न्यूनतम मज़दूरी से कम है.

झारखंड: खाद्य सुरक्षा अधिकार मंच ने कहा- मध्याह्न भोजन योजना में केंद्रीकृत किचन व्यवस्था फेल

झारखंड के पश्चिम सिंहभूम ज़िले में खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच की ओर से मध्याह्न भोजन के लिए लागू केंद्रीकृत किचन व्यवस्था पर एक सर्वे किया गया है. सर्वे में कहा गया है कि स्कूल में पहले रसोइये द्वारा तैयार भोजन केंद्रीकृत किचन से मिल रहे भोजन से बेहतर था. वर्तमान व्यवस्था के तहत मिल रहे भोजन की गुणवत्ता और स्वाद अच्छा नहीं होता.

गुजरात: छात्रों ने दलित महिला द्वारा तैयार मिड-डे मील खाने से इनकार किया

गुजरात के मोरबी ज़िले के श्री सोखड़ा प्राइमरी स्कूल का मामला. स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि इस मुद्दे पर स्कूल के अधिकारियों की छात्रों के माता-पिता के साथ दो बैठकें हुई थीं. हालांकि माता-पिता ने अपना रुख बदलने से इनकार कर दिया.

उत्तर प्रदेश: मिड-डे मील में बच्चों को ‘नमक-रोटी’ दिए जाने की ख़बर करने वाले पत्रकार का निधन

उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर ज़िले के रहने वाले पत्रकार पवन जायसवाल मुंह के कैंसर से पीड़ित थे. अगस्त 2019 में ज़िले के एक ​सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में बच्चों को ‘नमक-रोटी’ परोसे जाने का मामला उजागर करने के बाद वह चर्चा में आए थे. हालांकि इस ख़बर को सामने लाने के बाद ज़िला प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ ही एफ़आईआर दर्ज करा दी थी.

मिड-डे मील योजना के तहत कार्यरत रसोइयों का मासिक वेतन 2,000 रुपये से भी कम

आठ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में इन कर्मचारियों को साल 2009 से ही महज 1,000 रुपये प्रति माह वेतन मिल रहा है, जबकि कई संसदीय समितियों ने वर्षों से इसमें बढ़ोतरी की सिफ़ारिश की है.

मिड-डे मील योजना अब ‘पीएम पोषण योजना’ के नाम से जानी जाएगी

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि यह योजना पांच वर्षों 2021-22 से 2025-26 तक के लिए है, जिस पर 1.31 लाख करोड़ रुपये ख़र्च आएगा. इसमें प्री-स्कूल से लेकर प्राथमिक विद्यालय के स्तर के विद्यार्थियों को कवर किया जाएगा.

नई शिक्षा नीति में नया क्या है

सरकार द्वारा हाल ही में लाई गई नई शिक्षा नीति को लेकर विशेषज्ञों एवं शिक्षाविदों की विभिन्न राय है. कुछ लोग जहां इसे प्रगतिशील दस्तावेज़ बता रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि यह हाशिये पर पड़े लोगों एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों, एससी/एसटी, ओबीसी जैसे वर्ग को कोई ख़ास राहत प्रदान नहीं करती है.

नई शिक्षा नीति में मध्याह्न भोजन के साथ स्कूली बच्चों को सुबह नाश्ता देने का प्रस्ताव

नई शिक्षा नीति में प्रस्ताव किया गया है कि मध्याह्न भोजन के दायरे का विस्तार कर उसमें नाश्ते का प्रावधान जोड़ा जाए. सुबह के समय पोषक नाश्ता मिलना अधिक मेहनत वाले विषयों की पढ़ाई में लाभकर हो सकता है.

मिड-डे मील: मिज़ोरम में सिर्फ़ चावल मिला, बच्चों को अब भी खाना पकाने की राशि का इंतज़ार

द वायर द्वारा ​सूचना के अधिकार क़ानून के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चला है कि मिज़ोरम में लॉकडाउन के दौरान मार्च-अप्रैल में बंद हुए स्कूलों के हर तीन में से लगभग एक बच्चे को मिड-डे मील के तहत पका हुआ भोजन या इसके एवज में राशन और खाना पकाने की राशि नहीं मिली है.

बिहार: मिड-डे मील न मिलने से कबाड़ बीनने को मजबूर बच्चे, एनएचआरसी ने नोटिस जारी किया

बिहार के भागलपुर ज़िले में मिड-डे मील बंद होने के कारण ग़रीब परिवार से आने वाले बच्चों के कूड़ा बीनने और भीख मांगने के साथ ठेकेदारों के पास काम करने का मामला सामने आया है.

मिड-डे मील: बंगाल में बच्चों को सिर्फ़ चावल और आलू मिला, वो भी प्रावधान से काफी कम

द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि लॉकडाउन के दौरान पश्चिम बंगाल में अप्रैल महीने में 2.92 लाख और मई महीने में 5.35 लाख बच्चों को मिड-डे मील योजना का कोई लाभ नहीं मिला है.

दिल्ली सरकार ने अप्रैल से जून तक किसी बच्चे को मिड-डे मील योजना का लाभ नहीं दिया: आरटीआई

आरटीआई दस्तावेज़ों से पता चला है कि दिल्ली सरकार ने मार्च महीने में मिड-डे मील के तहत पके हुए भोजन के बदले में छात्रों के खाते में कुछ राशि डाली है, लेकिन ये भोजन पकाने के लिए निर्धारित राशि से भी कम है. इसके अलावा ये धनराशि भी सभी पात्र लाभार्थियों को नहीं दी गई है.

लॉकडाउन: त्रिपुरा सरकार ने चार लाख से ज़्यादा बच्चों को मिड-डे मील का खाद्यान्न तक नहीं दिया

कोरोना वायरस महामारी के कारण स्कूल बंद होने की अवधि में त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मिड-डे मील के एवज में छात्रों के खाते में कुछ राशि ट्रांसफर करने का आदेश दिया था, जो कि सिर्फ़ खाना पकाने के लिए निर्धारित राशि से भी कम है.

कोरोना: उत्तराखंड में हर पांच में से एक बच्चे को मिड-डे मील के तहत खाद्यान्न नहीं मिला

द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि उत्तराखंड राज्य ने अप्रैल और मई महीने में लगभग 1.38 लाख बच्चों को मिड-डे मील मुहैया नहीं कराया है. राज्य ने इस दौरान 66 कार्य दिवसों में से 48 कार्य दिवसों पर ही बच्चों को राशन दिया.

उत्तर प्रदेशः मिड डे मील में निकला मरा चूहा, प्रिंसिपल समेत पांच के ख़िलाफ़ मामला दर्ज

मामला मुज़फ़्फ़रनगर का है, जहां एक गांव के सरकारी स्कूल में मिड डे मील के दौरान खाने से मरा हुआ चूहा मिलने के बाद एक शिक्षक और आठ बच्चों की तबियत खराब हो गई. जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं.

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