श्रमिक ट्रेनें: भटकती रेलें, भूख-प्यास से मरते मज़दूर

वीडियो: सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में मुज़फ़्फ़रपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर महिला का शव के पास एक बच्चा नज़र आता है. अहमदाबाद से बिहार आ रही श्रमिक ट्रेन में सवार इस महिला के परिजनों का आरोप है कि खाने-पीने को न मिलने से तबियत ख़राब होने के बाद उनकी मौत हो गई. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

मुफ्त जमीन लेने वाले निजी अस्पताल कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज क्यों नहीं कर सकते: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ऐसे अस्पतालों की पहचान करने को कहा है, जहां कोविड-19 मरीजों का इलाज नि:शुल्क या बेहद कम लागत में किया जा सकता है. अदालत ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

लॉकडाउन: सुप्रीम कोर्ट ने पलायन कर रहे मज़दूरों की दिक्कतों पर केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब

देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन में फंसे प्रवासी कामगारों की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अख़बार और मीडिया रिपोर्ट लगातार लंबी दूरी तक पैदल और साइकिल से जा रहे मज़दूरों की दयनीय स्थिति दिखा रही हैं. अगली सुनवाई तक केंद्र बताए कि इसके लिए उसने क्या क़दम उठाए हैं.

क्या उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के निवासियों की मालिक या अभिभावक बन गई है?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस बात से बहुत नाराज़गी है कि दूसरे राज्यों ने 'उनके लोगों' की ठीक से देखभाल नहीं की और इस कारण उन्हें इतनी तबाही झेलनी पड़ी. ख़ुद उनकी सरकार ने लोगों का ख़याल कैसे रखा, कैसे महामारी के बहाने 'अपने लोगों' के स्वास्थ्य संरक्षण के नाम पर मालिकाना रवैया अख़्तियार कर लिया है, इस बारे में कोई सवाल नहीं है.

यूपी: प्रियंका गांधी का संक्रमितों के आंकड़े पर सवाल, पूछा- क्या राज्य में 10 लाख से ज़्यादा मरीज़ हैं

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूछा है कि अगर सरकार के अनुसार दूसरे राज्यों से 25 लाख मज़दूर वापस आए, जिनमें महाराष्ट्र से लौटे हुए 75 फीसदी, दिल्ली से लौटे हुए 50 और अन्य प्रदेशों से लौटे 25 फीसदी लोग कोरोना संक्रमित हैं, तो सरकार द्वारा बताई गई संक्रमण की संख्या 6,228 का आधार क्या है.

स्पेशल ट्रेन चलने के बाद भी क्यों श्रमिकों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं?

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मज़दूरों को न सिर्फ़ खाने-पीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, बल्कि रेलवे द्वारा रूट बदलने के कारण कई दिनों की देरी से वे अपने गंतव्य तक पहुंच पा रहे हैं. इस दौरान भूख-प्यास और भीषण गर्मी के कारण मासूम बच्चों समेत कई लोग दम तोड़ चुके हैं.

लॉकडाउन: श्रमिक स्पेशल ट्रेन में गई मज़दूर की जान, भूख से मौत का आरोप

उत्तर प्रदेश के मछलीशहर के रहने वाले जोखन यादव और उनके भतीजे रवीश यादव मुंबई में कंस्ट्रक्शन मज़दूर के रूप में काम करते थे. लॉकडाउन के चलते वे श्रमिक स्पेशल ट्रेन से घर लौट रहे थे, जब वाराणसी पहुंचने से कुछ देर पहले जोखन ने दम तोड़ दिया. उनके भतीजे का कहना है कि उन्होंने क़रीब 60 घंटों से कुछ नहीं खाया था.

आईएलओ ने प्रधानमंत्री से की अपील, कहा- भारत की अंतरराष्ट्रीय श्रम प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखें

देश के 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों ने आईएलओ को पत्र लिखकर गुजारिश की थी कि वे विभिन्न राज्यों में श्रम कानूनों में हो रहे बदलावों को लेकर हस्तक्षेप करें और श्रमिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें.

बिहार: नौकरी के सवाल पर जदयू विधायक ने कहा- जो बाबूजी तुमको पैदा किए, वो रोजगार दिए

मामला बिहार के शेखपुरा का है. शेखपुरा से जदयू विधायक रणधीर कुमार सोनी एक क्वारंटीन सेंटर का दौरा करने पहुंचे थे. वहां क्वारंटीन किए गए प्रवासी मजदूरों ने उनसे पूछा था कि बिहार और केंद्र में मौजूद एनडीए सरकारें रोजगार क्यों पैदा नहीं कर पा रही हैं?

लॉकडाउन: घोषणाओं से दिल भले बहल जाएं, पेट कैसे भरेंगे

मज़दूरों के नाम पर हो रही बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बीच यह स्पष्ट दिख रहा है कि सरकार और समाज के पास न तो उनके लिए सरोकार है, न सम्मान की भाषा और व्यवहार. न ही वह गरिमा और आंख का पानी बचा है, जिसके साथ एक मनुष्य दूसरे को मनुष्य समझते हुए देखता है.

उत्तर प्रदेश में दो सड़क दुर्घटनाओं में पांच प्रवासी मजदूरों की मौत

एक दुर्घटना मिर्जापुर के लालगंज थाना क्षेत्र में हुई, जिसमें महाराष्ट्र से बिहार जा रहे तीन मजदूरों की मौत हुई. दूसरा हादसा बुलंदशहर जिले में हुआ, जिसमें गुजरात से बिजनौर जा रहे दो श्रमिकों की मौत हो गई.

केंद्र सरकार ने लोकतांत्रिक होने का दिखावा करना भी छोड़ दिया है : सोनिया गांधी

कोविड-19 संकट के मद्देनज़र कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि मौजूदा सरकार के पास कोई समाधान नहीं होना चिंता की बात है, लेकिन उनके मन में ग़रीबों और कमज़ोर वर्गों के प्रति करुणा न होना हृदयविदारक है.

तेलंगाना में कुएं से नौ प्रवासी मज़दूरों के शव मिले

यह घटना वारंगल ज़िले के गोर्रेकुंटा गांव की है. इन नौ लोगों में से छह एक ही परिवार के सदस्य हैं. ये परिवार पश्चिम बंगाल का रहने वाला था, जबकि तीन अन्य मृतकों में से दो बिहार और एक व्यक्ति त्रिपुरा का था.

पश्चिम बंगाल के मज़दूरों का हाल: लॉकडाउन ने नौकरी छीनी और चक्रवात अम्फान ने छत

चक्रवाती तूफान अम्फान ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भारी तबाही मचाई है. पश्चिम बंगाल में क़रीब 72 लोगों की मौत हुई है और तमाम घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं.

लॉकडाउन: घर लौट रहे प्रवासियों के बच्चों की मुश्किलें; कोई भूख से तड़प रहा, कोई धूप से परेशान

कोरोना वायरस के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान आजीविका खोने के बाद दूसरे राज्यों में फंसे मज़दूर अपने घर वापस लौटने के लिए हर दिन जद्दोजहद कर रहे हैं.

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