देश के विभिन्न हिस्सों से स्मार्ट मीटर के विरोध की ख़बरें आ रही हैं. तकनीक के विरोध के पीछे अज्ञानता भी हो सकती है मगर इसी के नाम पर कई बार खेल भी होता है. उपभोक्ता को नहीं पता कि स्मार्ट मीटर के पीछे कौन है, किसकी कंपनी है, इसकी प्रमाणिकता क्या है और क्यों केंद्र इसे लगाने के लिए राज्यों पर शर्तें थोप रहा है.
देश में जारी बिजली संकट के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोयले की कमी की बात कही तो केंद्र ने पर्याप्त आपूर्ति का आश्वासन दिया. कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन ने कहा है कि बिजली संयंत्रों के पास कोयले का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करना कोल इंडिया की प्राथमिकता है. उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले में कटौती से परेशान लोगों द्वारा बिजली कर्मचारियों की पिटाई करने का मामला सामने आया है.
जम्मू कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक उपभोक्ताओं को दो घंटे से आठ घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. पंजाब के अमृतसर शहर में किसानों ने बिजली की किल्लत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने कहा है कि आग बरसाती गर्मी में 12 घंटे की बिजली कटौती. प्रधानमंत्री मौन, बिजली-कोयला मंत्री गुम!
दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया है कि कोयले की कमी के चलते मेट्रो ट्रेन, अस्पतालों और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है. तापमान बढ़ने के साथ दिल्ली में बिजली की मांग अप्रैल में पहली बार 6,000 मेगावॉट पहुंच गई है. वहीं एनटीपीसी ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी को बिजली आपूर्ति करने वाले ऊंचाहार और दादरी बिजली स्टेशन पूरी क्षमता से चल रहे हैं और ‘नियमित’ कोयले की आपूर्ति प्राप्त कर रहे हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए मौजूदा संकट के लिए यूपीए को दोष देना आसान है, लेकिन सच्चाई यह है कि वह ख़ुद कोयले के भंडार जमा करने और बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने में बुरी तरह विफल रही है.
कोयला की कमी के चलते बिजली संकट उत्पन्न होने की संभावनाओं को ख़ारिज करते हुए कोयला मंत्रालय ने कहा कि कोल इंडिया के मुख्यालय पर 4.3 करोड़ टन कोयले का भंडार है, जो 24 दिन की कोयले की मांग के बराबर है. कांग्रेस ने देश में कोयले की कमी के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और आशंका जताई कि पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अब बिजली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं.
2018 में मोदी सरकार ने गंगा की ऊपरी धाराओं पर बनी पनबिजली परियोजनाओं के लिए 20-30 फीसदी पानी छोड़ना अनिवार्य बताया था. आधिकारिक दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि कमाई पर असर पड़ने के चलते विद्युत मंत्रालय ने मौजूदा व निर्माणाधीन परियोजनाओं में इसे लागू करने से छूट दिए जाने की बात कही थी.
द वायर एक्सक्लूसिव: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिन थर्मल पावर प्लांट की सात इकाइयों के प्रदूषण स्तर की निगरानी की थी, उनमें से पांच निर्धारित मानकों का पालन कर रही थीं. अडानी पावर की दो इकाइयां इन मानकों पर खरी नहीं पाई गईं. 17 मई को पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण बोर्ड की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए थर्मल पावर प्लांट के वायु प्रदूषण मानक को हल्का करने की सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी.