सरकार द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समिति से सीजेआई को हटाना समझ से परे: अशोक लवासा

पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने एक आलेख में चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करने के क़ानून पर कहा है कि मोदी सरकार द्वारा नियुक्ति समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर करने से विभिन्न पूर्वाग्रहों को बल मिलता है और लगता है कि यह आम सहमति बनाने की बजाय बहुमत सुनिश्चित करने की कोशिश है. 

‘2024 लोकसभा चुनावों से पहले सबसे बड़े मुद्दे बेरोज़गारी और आर्थिक संकट हैं’

वीडियो: आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र देश की अर्थव्यवस्था, नौकरियों की स्थिति और बेरोज़गारी पर अर्थशास्त्री प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा और युवा हल्ला बोल के अनुपम के साथ चर्चा कर रहे हैं योगेंद्र यादव.

भाजपा सांसद बोले- पार्टी का 400+ सीटों का लक्ष्य इसलिए कि संविधान बदला जा सके

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक से भाजपा सांसद अनंत हेगड़े ने कहा है कि उनकी पार्टी 400 से अधिक सीटों का लक्ष्य इसलिए बना रही है कि उसके पास दो-तिहाई बहुमत रहे, तो संसद भारतीय संविधान में संशोधन करे. भाजपा ने इसे हेगड़े की 'निजी राय' बताया है.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयुक्त का इस्तीफ़ा, निर्वाचन आयोग में बस एक सदस्य बाक़ी

आम तौर पर निर्वाचन आयोग तीन आयुक्तों की अध्यक्षता में काम करता है, अब उसमें केवल एक सदस्य- मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं.

चुनावी बॉन्ड की जानकारी छिपाने के लिए सरकार एसबीआई को ढाल बना रही है: कांग्रेस

भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना का विवरण पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक का समय मांगने के बाद सीपीआई महासचिव डी. राजा ने कहा कि इस विवरण का खुलासा करने में एसबीआई की अनिच्छा कुछ और नहीं बल्कि चुनाव से पहले भाजपा सरकार को शर्मिंदगी से बचाने का एक प्रयास है.

धर्मस्थलों को प्रचार के लिए इस्तेमाल न करने की चुनाव आयोग की नसीहत का क्या अर्थ है?

चुनाव आयोग अपनी नई एडवाइज़री को लेकर वास्तव में गंभीर है तो उसका स्वागत किया जा सकता है. इसके बावजूद इस जवाब की दरकार रहेगी कि इस बार इसके अनुपालन के लिए उसने कौन-सी नई व्यवस्था बनाई है जिनसे आश्वस्त हुआ जा सके कि पिछली बार की तरह इस बार कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा?

चुनावी बॉन्ड: ‘सुप्रीम कोर्ट एसबीआई के मुंह में उंगली डालकर जानकारी निकलवा सकता है’

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट के चुनावी बॉन्ड योजना रद्द करने के बाद स्टेट बैंक ने इसके द्वारा मांगे गए विवरण देने के लिए जून तक की मोहलत मांगी है. इसे लेकर विभिन्न जानकारों ने सवाल उठाए हैं. इसी विषय में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज गोविंद माथुर से बात कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड्स की जानकारी साझा करने के लिए कोर्ट से जून तक का वक़्त मांगा

15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करते समय सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को आदेश दिया था कि वह अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का विवरण 6 मार्च तक दे, जिसे चुनाव आयोग 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट प्रकाशित करेगा.

बिहार: तेजस्वी यादव की महारैली क्या बदलते दौर की आहट है?

वीडियो: रविवार को पटना के गांधी मैदान में 'इंडिया' गठबंधन के नेताओं की मौजूदगी में तेजस्वी यादव ने महारैली में नीतीश कुमार और भाजपा पर जमकर निशाना साधा. बिहार के पत्रकारों से रैली के प्रभाव को लेकर अजय कुमार की बातचीत.

वैज्ञानिकों ने मोदी सरकार पर वैज्ञानिक सोच घटाने, झूठे नैरेटिव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया

ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क के बैनर तले सौ से अधिक वैज्ञानिकों ने एक बयान जारी कर कहा है कि सरकार और उसके विभिन्न अंग वैज्ञानिक दृष्टिकोण, स्वतंत्र या आलोचनात्मक सोच और साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण का विरोध करते हैं.

सरकारी घरेलू व्यय रिपोर्ट पर सवाल: ग़रीबी रेखा का अता-पता नहीं तो कैसे 5% से कम हुई ग़रीबी?

वीडियो: हाल ही में केंद्र सरकार ने घरेलू व्यय सर्वे रिपोर्ट जारी करते हुए ने यह दावा किया कि भारत में महज 5% से कम ग़रीबी रह गई है. जानकारों ने इस दावे के साथ सर्वे की मेथाडोलॉजी पर भी सवाल तो उठाए हैं. क्या इस सर्वे के आंकड़े विश्वसनीय हैं? इस बारे में वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार वी. श्रीधर से अजय कुमार की बातचीत.

चुनावी बॉन्ड: कोर्ट के योजना रद्द करने से कुछ समय पहले सरकार ने 8 हज़ार करोड़ रुपये के बॉन्ड छापे

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिली जानकारी बताती है कि 29 दिसंबर, 2023 से इस साल 15 फरवरी तक सरकार ने एक करोड़ रुपये मूल्य के 8,350 बॉन्ड छापे थे.

झारखंडः आदिवासियों और झामुमो कैडरों की गोलबंदी के संकेत क्या हैं

हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को ऐसे समय में विपरीत परिस्थतियों का सामना करना पड़ा है, जब कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव हैं और इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. हालांकि, ऐसी स्थिति में निकाली जा रही झामुमो की 'न्याय यात्रा' को आदिवासी समुदाय का खासा समर्थन मिल रहा है.

अगर नरेंद्र मोदी फिर सत्ता में आए, तो क्या करेगा मुसलमान?

वीडियो: आगामी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी की संभावनाओं और इसके मुस्लिम समुदाय पर पड़ सकने वाले प्रभाव को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

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