सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद सीतापुर जेल से रिहा हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक आज़म ख़ान ने प्रेस वार्ता में बिना किसी का नाम लिए कहा कि उनकी जड़ों में ज़हर डालने वाले उनके अपने ही हैं.
इस संबंध में दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि 13.842 हेक्टेयर की विवादित ज़मीन इमामुद्दीन क़ुरैशी नाम के व्यक्ति की थी, जो देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और भारत की नागरिकता छोड़कर पाकिस्तान की नागरिकता ले ली. उनकी ज़मीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन सपा नेता ख़ान ने अन्य लोगों की मिलीभगत से उस भूखंड पर क़ब्ज़ा कर लिया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में समाजवादी पार्टी के विधायक आज़म ख़ान को अंतरिम ज़मानत दे दी. इसी मामले में ज़मानत अर्जी पर सुनवाई में देरी को लेकर दर्ज याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान को 87 में से 86 मामलों में ज़मानत मिल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने ज़मीन क़ब्ज़ाने के एक मामले में उनकी ज़मानत याचिका पर सुनवाई में देरी पर नाराज़गी जताई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इससे पहले चार दिसंबर 2021 को भी उनकी ज़मानत अर्ज़ी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने कुछ नए तथ्य पेश करने की अनुमति मांगी, जो बृहस्पतिवार को दाख़िल किए गए.
साल 2005 में समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को संस्थान के लिए दी गई जमीन के संबंध में कुछ शर्तों के उल्लंघन के कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई शुरू की थी. जनवरी 2021 में विश्वविद्यालय को दी गई 12.5 एकड़ से अधिक की ज़मीन वापस लेने का आदेश पारित किया था.
समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से लोकसभा सांसद आज़म ख़ान पिछले दो सालों से जेल में हैं. उन पर दर्ज 87 मामलों में से 84 में उन्हें ज़मानत मिल चुकी है. शेष जिन तीन मामलों वे हिरासत में हैं, उनमें ज़मानती प्रक्रिया ऐसी अंतहीन बाधाओं का शिकार है जहां कभी सुनवाई का आवेदन रहस्यमय ढंग से ग़लत कोर्ट में पहुंच जाता है, तो कभी सुनवाई के रोज़ केस की फाइल ही खो जाती है.