यह वही मुल्क़ है जहां ताजिये पीपल की डाल से न टकराए, इसका ख़ास ध्यान रखा जाता है, हिंदू मांएं भी ताजिये का इंतज़ार करती हैं कि उसके नीचे से बच्चे को गुजारकर आशीर्वाद ले सकें. हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह में चादर चढ़ाते हिंदुओं को क्या अलग कर सकते हैं? लेकिन अब साझा पवित्रता का विचार अपराध है.
वीडियो: बीते फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान कम से कम 14 मस्जिदों और एक सूफी दरगाह को जला दिया गया था. अब ज़्यादातर मस्जिदों की मरम्मत का काम पूरा हो चुका है.
आज जब पूरे देश में धार्मिक स्थलों को खोला जा रहा है, तब बीते दिनों 'सांप्रदायिक' होने का इल्ज़ाम झेलने वाले केरल के मलप्पुरम ज़िले ने अपनी अलग राह चुनी है. कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र वहां की पांच हज़ार मस्जिदों को अनिश्चितकाल तक बंद रखने समेत कई धार्मिक स्थलों को न खोलने का फ़ैसला लिया गया है.
बीते दिनों गाज़ीपुर, फर्रुखाबाद और हाथरस के ज़िला प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान मस्जिदों के अज़ान लगाने पर रोक लगाने का मौखिक आदेश दिया था. इस आदेश को रद्द करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुअज़्ज़िन मस्जिद से अज़ान दे सकते हैं लेकिन आवाज़ बढ़ाने वाले किसी उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अलीगढ़ के संवेदनशील अब्दुल करीम चौराहा पर स्थित हलवाइयां मस्जिद को शामियाना और तिरपाल से ढक दिया है, ताकि होली के दौरान मस्जिद पर कोई रंग ना फेंक दे.
ग्राउंड रिपोर्ट: दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हुई हिंसा की भयावहता के बाद मुस्तफ़ाबाद इलाके में कुछ ऐसे हिंदू परिवार भी हैं, जो यह मानते हैं कि दंगों की आंच से उन्हें बचाने के लिए उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने बहुत मदद की.
इस अपराध की साज़िश रचने वालों ने खूब तरक्की की है और आज वे सत्ता में हैं. एक हिंदू वोट बैंक की कल्पना को साकार करने का अभियान उतनी ही शिद्दत से जारी है.
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बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद के रक्तरंजित दौर की तरफ पच्चीस साल बाद फिर लौटते हुए हम नए सिरे से उस पुराने द्वंद्व से रूबरू होते हैं जो हर ऐसे सांप्रदायिक दावानल के बहाने उठता है.
‘हम वहां राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करने गये थे, मस्जिद गिराने नहीं’, बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल रहे कारसेवकों ने बताया उनका अनुभव.
राम मंदिर था या नहीं, ये बहस अनंत काल तक चलाई जा सकती है, लेकिन मुद्दा इतिहास का नहीं बल्कि धर्म के नाम पर बरगलाने का है.