मामला डिंडोरी का है, जहां महिला के परिजनों द्वारा मुस्लिम पुरुष पर अपहरण का आरोप लगाए जाने के बाद प्रशासन ने उनके घर और दुकान ढहा दिए थे. महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया है कि उन्होंने अपनी इच्छा से शादी की है, जिसके बाद कोर्ट ने अपहरण के मामले में कार्रवाई न करने के निर्देश दिए हैं.
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. जिसके बाद इलाके में तनाव के माहौल के चलते कर्फ्यू लगा दिया गया था. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस तिरंगा यात्रा से इलाके में शांति बहाल करने में मदद मिलेगी.
पुस्तक समीक्षा: गौरीनाथ के ‘कर्बला दर कर्बला’ की दुनिया से गुज़रने के बाद भी गुज़र जाना आसान नहीं है. 1989 के भागलपुर दंगों पर आधारित इस उपन्यास के सत्य को चीख़-ओ-पुकार की तरह सुनना और सहसा उससे भर जाना ऐसा ही है मानो किसी ने अपने समय का ‘मर्सिया’ तहरीर कर दिया हो.
वीडियो: पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों में हुए सांप्रदायिक घटनाक्रम के बाद तनाव का माहौल है. मध्य प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के घर-दुकान ढहाए गए, तो कहीं मस्जिदों के सामने अभद्र नारे लगे. इसके मद्देनज़र द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की इतिहासकार रामचंद्र गुहा से बातचीत.
वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कॉरपोरेट अग्रणियों के बीच पसरे विराट मौन में शायद ही कोई अपवाद मिले. यह बात अब शीशे की तरफ साफ हो गई है कि मौजूदा निज़ाम में कॉरपोरेट समूहों और हिंदुत्व वर्चस्ववादी ताकतों की जुगलबंदी नए मुकाम पर पहुंची है.
मुस्लिमों की लानत-मलामत करना चुनाव जीतने का फॉर्मूला बन चुका है. और देश के हालात देखकर लगता नहीं है कि ये आने वाले समय में असफल होगा.
अगर पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार कोई क़ानून लाना चाहती है तो उसके बारे में आम जनता को पहले से तफ़्सील से क्यों नहीं बताया जाता कि उत्तराखंड के लिए इसके क्या फ़ायदे होंगे.
यह पहली बार है जब 2-11 अप्रैल तक मनाए जा रहे नवरात्रि पर्व के दौरान दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने अपने अधिकार क्षेत्र में मांस की दुकानों को बंद करने के लिए कहा है. इधर, उत्तर प्रदेश के कुछ ज़िलों में मांस की दुकानें बंद किए जाने की ख़बरों के बीच राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह निर्देश दिया जाता है कि रमज़ान के दौरान निजामुद्दीन मरकज़ के भूतल और चौथी मंज़िल पर नमाज़ तथा धार्मिक इबादत की अनुमति होगी. यह व्यवस्था केवल रमज़ान के एक महीने के लिए है, जिसका समापन ईद-उल-फ़ित्र के साथ होगा. अदालत ने स्पष्ट किया कि परिसर में कोई ‘तबलीग़ी गतिविधि’ या तक़रीर नहीं होगी.
ग़ाज़ियाबाद जिला प्रशासन का कहना है कि नवरात्रि में सफाई सुनिश्चित करने के लिए हर साल यह नियम लागू किया जाता है. जिलाधिकारी आरके सिंह ने बताया कि सिर्फ लाइसेंसधारक मांस विक्रेता ही साफ-सफाई के सभी नियमों का अनुपालन करते हुए अपनी ढकी हुई दुकानों में मांस बेच सकेंगे.
भरतनाट्यम नृत्यांगना मानसिया वीपी को त्रिशूर के विख्यात कुडलमाणिक्यम मंदिर में होने वाले एक उत्सव में 21 अप्रैल को प्रस्तुति देनी थी, पर उन्हें मंज़ूरी नहीं मिली, क्योंकि मंदिर परंपरा के अनुसार ग़ैर हिंदू परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते है. मुस्लिम परिवार में जन्मीं मानसिया का कहना है कि वे किसी भी धर्म को नहीं मानती हैं.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि 1980 और 1990 के दशक में ध्रुवीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण का एक ‘मिथक’ बनाया गया था, जिसने ग़ैर मुसलमानों के मन में यह धारणा पैदा की कि उनकी नौकरियां छीनी जा रही हैं.
न्याय और बराबरी रोकने वालों ने बदलाव की लड़ाई को सांप्रदायिक नफ़रत की तरफ मोड़ दिया है. मुस्लिमों के ख़िलाफ़ घृणा उपजाने के लिए तमाम नकली अफ़वाहें पैदा की गईं, जिससे ग़ैर मुस्लिमों को लगातार भड़काया जा सके. आज इसी राजनीति का नतीजा है कि लोग महंगाई, रोज़गार, शिक्षा की बात करना भूल गए हैं.
जनादेश जब इस क़िस्म का हो कि मतदाताओं का एक तबका उसमें ख़ुद को किसी तरह शामिल न कर पाए, तो उसके मायने यही होंगे कि जनता खंडित हो चुकी है.
पुलिस ने बताया कि गुड़गांव के सेक्टर-45 में रमाडा होटल के पास बिहार निवासी अब्दुर्रहमान और उनके दोस्त मोहम्मद आज़म को दो व्यक्तियों ने कथित तौर मोबाइल फोन छीनने के बाद पीटा और उनके धर्म को लेकर अपशब्द कहे. हमलावरों से उन्हें सुअर का मांस खिलाने की बात भी कही और सफेद पाउडर खाने को मजबूर किया.