नौ अक्टूबर को होगी मामले की सुनवाई. धर्म परिवर्तन के बाद केरल की हादिया के निक़ाह को केरल हाईकोर्ट ने अवैध ठहराया है.
हिंदू अहिंसक और मुसलमान हिंसक है, यह बात अगर सही हो तो अहिंसा का धर्म क्या है? अहिंसक को आदमी की हिंसा करनी चाहिए, ऐसा कहीं लिखा नहीं है. अहिंसक के लिए तो राह सीधी है. उसे एक को बचाने के लिए दूसरे की हिंसा करनी ही नहीं चाहिए.
अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है.
वर्ष 2002 में नरेंद्र मोदी के पहले राजनीतिक चुनाव प्रचार ने सबकुछ बदल दिया. पहली बार किसी पार्टी के नेता और उसके मुख्य चुनाव प्रचारक ने मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरा प्रचार अभियान चलाया.
व्यक्ति कुछ मौलिक अधिकारों से संपन्न है. संविधान इन अधिकारों की निशानदेही कर राज्य को बताता है कि वह व्यक्ति के जीवन में कहां हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक़ कहने को असंवैधानिक क़रार दिया. अदालत के फैसले पर आम मुस्लिम महिलाओं से बातचीत.
मुहर्रम और दुर्गा मूर्ति विसर्जन एक ही दिन पड़ने से पश्चिम बंगाल सरकार ने एक अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी है. सरकार ने कहा है कि 2 से 4 अक्टूबर के बीच दुर्गा मूर्ति विसर्जन किए जा सकेंगे.
एनआईए ने पुरोहित को ज़मानत देने का विरोध करते हुए कहा था कि उनके पास पुरोहित के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत हैं.
हजारी प्रसाद द्विवेदी सही मायने में पंडित थे. वैसे पंडित नहीं, जो शास्त्र और वेद को पढ़कर जड़ और हिंसक हो जाता है, बल्कि वैसे, जो कबीर की तरह प्रेम या मनुष्यता का ढाई आखर पढ़कर पंडित होता है.
जब भारत में मुसलमान कहेंगे कि वे सुरक्षित अनुभव कर रहे हैं तब ही माना जाएगा कि वे सुरक्षित हैं.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रज़ा का कहना है कि यूपी मदरसा शिक्षा परिषद की ओर से यह अच्छी पहल है.
केरल साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित मलयाली लेखक केपी रमनउन्नी को मिली एक अनाम चिट्ठी में उनके लेखों से लोगों के आस्था के रास्ते से भटकने का आरोप लगाते हुए ऐसा न करने की चेतावनी दी गई है.
एक अलग भारत और उसके केंद्रीय मूल्यों को याद कराने के लिए फिल्म अमर अकबर एंथनी बुरा विचार नहीं है. यह आज के नौजवानों को यह बतलाएगा कि भारत हमेशा से वैसा नहीं था, जैसा कि आज है.
किसी एक त्रासदी के पीड़ितों को दूसरी त्रासदी के पीड़ितों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करना हद दर्जे का ओछापन है, जहां पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की बजाय राजनीतिक रोटियां सेंकी जाने लगती हैं.
भीड़-मानसिकता को जब कोई सांप्रदायिक विचारधारा नियंत्रित करती है तो निश्चित रूप से नारे भले ही अखंड भारत के लगें, भीतर ही भीतर विभाजन की पूर्वपीठिका तैयार की जा रही होती है.