बीते कुछ दिनों से आरएसएस नेताओं की भाषा बदली दिख रही है लेकिन बदलाव संघ के एजेंडा पर कभी रहा नहीं है. यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि संघ ने ‘अराजनीतिक होने की राजनीति’ करते हुए अपने स्वयंसेवकों को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाया है और कैसे वे लोकतंत्र व संविधान के गुणों व मूल्यों से खिलवाड़ कर रहे हैं.
1995 के बाद 2020 में सभी समुदायों में मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर में सबसे तेज़ गिरावट दर्ज हुई है. नतीजन उनकी जनसंख्या वृद्धि दर भी कम हुई है. एक राजनीतिक साज़िश के तहत मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि की बात कहते हुए भय और अविश्वास पैदा करके हिंदुओं का ध्रुवीकरण किया जा रहा है.
मोहन भागवत ने किसी समुदाय का नाम लिए बिना देश में समुदायों के बीच जनसंख्या के बढ़ते असंतुलन पर चिंता जताई. संघ शुरू से इशारों में ही बात करता रहा है. इससे वह क़ानून से बचा रहता है. साथ ही संकेत भाषा के कारण बुद्धिजीवी भी उनके बचाव में कूद पड़ते हैं, जैसे अभी पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी कर रहे हैं.
अच्छा ही है कि दुर्गा आख़िर आज विदा हो जाएंगी. उनकी आंखों के आगे जिस क्षुद्रता का, हिंसा का प्रदर्शन पूरे देश में और अब देश के बाहर भी किया जा रहा है, उसे झेलते रहने को वे मजबूर नहीं रहेंगी.
जनगणना-2011 के मुताबिक भारत में मुस्लिम आबादी 14.2 फीसदी है, जबकि जेल सांख्यिकी-2021 बताती है कि भारतीय जेलों में हिरासत में रखे गए क़ैदियों में मुसलमानों की संख्या उनकी आबादी के अनुपात से दो गुना अधिक है.
एआईएमआईएम के राष्ट्रीय एकीकरण दिवस के मद्देनज़र ‘तिरंगा यात्रा’ निकाली. इस दौरान पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिन्होंने हैदराबाद (पूर्व) रियासत की आज़ादी के लिए एक बूंद पसीना नहीं बहाया, वे अब इसे ‘मुक्ति दिवस’ कह रहे हैं.
घटना बीते रविवार की है. पश्चिम बंगाल के कुछ लोगों का समूह राजस्थान के अजमेर शरीफ जा रहा था. रास्ते में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों ने उन्हें कथित तौर पर सड़क पर नमाज़ पढ़ते पाया तो उनसे कान पकड़कर माफ़ी मंगवाई. इस संबंध में एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने आरोप लगाया है कि भाजपा अपने युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या के मामले में एनआईए का दुरुपयोग कर रही है, ताकि पीएफआई के नेताओं और सदस्यों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के बहाने मुसलमानों को निशाना बनाया जा सके. नेत्तारू की 26 जुलाई को हत्या कर दी गई थी.
उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर 2021 के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं द्वारा ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ खुलकर न फ़रत भरे भाषण (हेट स्पीच) दिए गए थे, यहां तक कि उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था. इस मामले में जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी कट्टरपंथी हिंदुत्वावादी नेता यति नरसिंहानंद के साथ आरोपियों में से एक हैं.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले के छजलैट क्षेत्र के दुल्लेपुर गांव का मामला. पुलिस ने कहा कि अब मामले को ख़ारिज कर दिया है, क्योंकि मामले की जांच में शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित कोई सबूत नहीं मिला है.
हरिद्वार धर्म संसद मामले के आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी की ज़मानत अवधि बढ़ाने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें दो सितंबर तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. वसीम रिज़वी के नाम से जाने जाने वाले त्यागी फिलहाल चिकित्सकीय आधार पर ज़मानत पर हैं.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जन्माष्टमी के अवसर पर हिंदू समुदाय के नेताओं से बातचीत की और अन्य धर्मों में विश्वास रखने वाले लोगों से अनुरोध किया कि वे अपने आपको अल्पसंख्यक न मानें. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सभी धर्मों के लोग समान अधिकारों के साथ रहें.
भारत और यहां रहने वाले सभी जातियों, समुदायों के नागरिकों का भविष्य अब संविधान के इसके वर्तमान स्वरूप में बचे रहने पर निर्भर करता है.
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले के भोजीपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव में मोहर्रम का जुलूस निकालने के दौरान दो समुदायों के लोगों में डीजे बजाने को लेकर विवाद हो गया और दोनों पक्षों ने कथित रूप से एक-दूसरे पर पथराव किए. वहीं, वाराणसी के करधना गांव में ताजिया जुलूस ले जाने के समय दो समुदायों के बीच विवाद हो जाने पर जमकर लाठी-डंडे चलने के साथ ही पथराव हुआ.
वीडियो: संसद में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता अब्दुल वहाब ने सवाल पूछा गया कि क्या बीते कुछ सालों में देश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की घटना बढ़ गई है. अगर ऐसा है तो केंद्र द्वारा उनकी सुरक्षा के लिए क्या किया गया है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इसके जवाब में कहा कि केंद्र के पास ऐसा कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.