प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने मांस निर्यात को लेकर यूपीए सरकार पर हमला बोला था, लेकिन ख़ुद उनके कार्यकाल में मांस निर्यात बढ़ गया है.
निर्माण क्षेत्र के 73 प्रतिशत नौकरी देने वालों का कहना है कि वे अगले तीन महीने तक कोई भी नई नौकरी देने की स्थिति में नहीं हैं.
गोरक्षा के नाम पर पीट-पीटकर कर हो रही हत्याओं के मुद्दे पर संसद में घिरी सरकार, विपक्ष ने किया ज़बरदस्त हमला, सरकार बोली- सहिष्णुता इस देश का डीएनए है.
साक्षात्कार: सेंसर बोर्ड अध्यक्ष के रूप में पहलाज निहलानी का ढाई साल का कार्यकाल कई तरह के विवादों में रहा. उनसे बातचीत.
भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी जानकारी, विपक्ष के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी से होगा मुक़ाबला.
सपा में क्रॉस वोटिंग, अखिलेश-शिवपाल गुट फिर आमने-सामने, राजग को आंकड़ों में मिल रही बढ़त, राष्ट्रपति चुनाव को सोनिया गांधी ने संकीर्ण, विभाजनकारी और सांप्रदायिक नज़रिये के ख़िलाफ़ लड़ाई करार दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा, गोरक्षा को कुछ असामाजिक तत्वों ने अराजकता फैलाने का माध्यम बना लिया है. देश की छवि पर भी इसका असर पड़ रहा है.
किसी एक त्रासदी के पीड़ितों को दूसरी त्रासदी के पीड़ितों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करना हद दर्जे का ओछापन है, जहां पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की बजाय राजनीतिक रोटियां सेंकी जाने लगती हैं.
अगर नरेंद्र मोदी भूटान पर पड़ रहे दवाब को कम करके चीन द्वारा पेश किए जा रहे क़ानूनी तर्कों पर ध्यान लगाएं, तो वे ख़ुद को भारत-चीन सीमा विवाद को जल्दी सुलझाने की स्थिति में पाएंगे.
धार्मिक भावना से लैस राजनीति और नेता में धार्मिक प्रवृत्ति, जनता के बड़े समूह का चरित्र किस तरह से बदल देती है, सूरत का आंदोलन उसकी मिसाल पेश कर रहा है.
मोदी की कश्मीर-नीति पर बरसी कांग्रेस, राहुल गांधी बोले- मोदी की नीतियों के कारण आतंकियों को कश्मीर में मौका मिला, सिंघवी ने कहा- मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने की जिम्मेदारी लें.
नीतीश को अध्यक्ष बनाने का सुझाव देते हुए गुहा ने बताया कि वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है और नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता हैं.
मैं यह नहीं कहना चाहता कि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री को कभी इज़रायल नहीं जाना चाहिए. लेकिन ये यात्रा कुछ इस तरह से हुई जैसे अरब कहीं है ही नहीं और फिलिस्तीनी देश बस एक मिथक है. उस पवित्र ज़मीन की एकमात्र हकीकत इज़रायल, इज़रायल और सिर्फ इज़रायल है.
अरुंधति रॉय आज के भारत के सीमांत पर उपज रही कल्पनाओं, हसरतों, प्रतिरोधों और गरिमा से जीने की ललक को इस नये उपन्यास में उकेरने का प्रयास करती हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित इंडियन काउंसिल फॉर फिलॉसफिकल रिसर्च का मानना है कि गोलवरकर के विचारों को सही परिप्रेक्ष्य में समझे जाने की ज़रूरत है.