एनसीईआरटी ने महामारी के चलते पढ़ाई का बोझ कम करने का हवाला देते हुए स्कूली पाठ्यक्रम को लगभग 40 प्रतिशत घटा दिया था. शिक्षाविदों का कहना है कि यह पाठ्यक्रम छात्रों को एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयार करने में अपर्याप्त है.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से कुछ हिस्सों को हटाने को लेकर विवाद के बीच कक्षा 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से भारतीय किसान यूनियन के किसान आंदोलन से संबंधित ‘राइज़ ऑफ़ पॉपुलर मूवमेंट्स’ नामक अध्याय को हटा दिया गया है.
एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने के विरोध में जारी बयान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने कहा है कि चुनिंदा तरह से सामग्री हटाना शैक्षणिक सरोकारों पर विभाजनकारी राजनीति को तरजीह दिए जाने को दिखाता है.
एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से महात्मा गांधी और आरएसएस संबंधी टेक्स्ट हटाए जाने की बात को पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों की आधिकारिक सूची में न रखने की ख़बर सामने आने के बाद एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा है कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया. इसका राई का पहाड़ नहीं बनाया जाना चाहिए.
टीचर्स अगेंस्ट द क्लाइमेट क्राइसिस ने दावा किया कि एनसीईआरटी ने कक्षा 11वीं के भूगोल विषय से ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव से संबंधित पूरे अध्याय को हटा दिया है, जबकि 7वीं के पाठ्यक्रम से मौसम, जलवायु और पानी के अध्याय को हटाया है तथा 9वीं से मानसून से संबंधित अध्याय को हटा दिया है. संगठन ने मांग की कि एनसीईआरटी इन अध्यायों को बहाल करे तथा जलवायु संकट के विषय को सभी भाषाओं में स्कूलों में पढ़ाया जाए.
एनसीईआरटी ने कक्षा दसवीं की किताब से जिन तीन अध्यायों को हटाया है, उनमें से एक भारत-चीन क्षेत्र में राष्ट्रवाद का उदय, दूसरा उपन्यासों के ज़रिये समकालीन विश्व के इतिहास का विवरण और तीसरा दुनिया के शहरों का विकास शामिल है.
इनमें से एक अध्याय में त्रावणकोर की नादर जाति की उन महिलाओं के संघर्ष के बारे में बताया गया है, जिन्हें अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को खुला रखने के लिए मजबूर किया जाता था.
एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की नई किताब में भाजपा को मुस्लिम महिलाओं के हितों का पक्षधर बताया गया है.