रिज़र्व बैंक का ध्यान जहां देश के ऋण प्रबंधन और विकास को गति देने पर ही केंद्रित है, वहीं महंगाई दिन दूनी-रात चौगुनी रफ़्तार से बढ़ती जा रही है.
द रिपोर्टर्स कलेक्टिस को आरटीआई के ज़रिये मिले दस्तावेज़ दिखाते हैं कि वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक को साल 2020 में मुद्रास्फीति लक्ष्य से चूकने के लिए जवाबदेही से बचने का मौका दिया.
इस पहाड़ी राज्य में काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को डर है कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर में राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान उन्होंने जो दुख और चुनौतियां झेलीं, इस बार भी वैसा ही होने वाला है.
मुंबई के भाटिया हॉस्पिटल की 82 नर्सों को न सिर्फ उनका घर छोड़ने पर मजबूर किया गया बल्कि उन्हें फ्लैट से उनका सामान भी नहीं लेने दिया गया क्योंकि पड़ोसियों और सोसाइटी के लोगों को डर लगने लगा था कि वे कोरोना वायरस का संक्रमण फैला सकती हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को एक आदेश जारी कर कहा था कि मकान मालिक लॉकडाउन के दौरान एक महीने तक छात्रों, कामगारों और प्रवासी मजदूरों से किराया न मांगें.
सरकारी अधिसूचना के मुताबिक, कोरोना वायरस के डर से डॉक्टरों और अन्य अर्द्धचिकित्साकर्मियों पर किराये के घर खाली करने का दबाव बनाना इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई की जड़ पर वार करता है और यह आवश्यक सेवाओं में बाधा उत्पन्न करने के बराबर है.
राजधानी दिल्ली समेत देश के कुछ हिस्सों से कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज में लगे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को उनके किराये के मकानों से निकाले जाने की ख़बरें आ रही हैं. लोगों का कहना है कि इनसे वायरस फैलने का ख़तरा है. एम्स के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने गृह मंत्री को पत्र लिख इसकी शिकायत की है.
भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) से जुड़े सदस्यों ने मूलभूत रक्षा सूट और एन-95 मास्क जमोखोरी के कारण स्वास्थ्यकर्मियों को इसकी उपलब्धता में कमी का मुद्दा उठाया.
गृह मंत्रालय ने इस संबंध में सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री, सीआईआई, फिक्की, एसोचैम तथा अन्य संगठनों को पत्र लिखा है.