मधु लिमये पक्के राष्ट्रप्रेमी और देशभक्त थे, जो सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ खड़े रहे

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मधु लिमये ने अपने 50 वर्ष भी अधिक लंबे सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में अपने राजनीतिक सिद्धांतों को मज़बूती से पकड़े रखा और उनसे कभी कोई समझौता नहीं किया. वे द्विराष्ट्रवाद सिद्धांत के ख़िलाफ़ थे और हमेशा सांप्रदायिक मुस्लिम राजनीति की मुख़ालिफ़त की.

क्या नया हिंदू पूरी तरह धर्म-विहीन हो चुका है?

इस नए हिंदू अधिकार के सहारे कोई हिंदू किसी मुसलमान से किसी भी विषय में पूछताछ कर सकता है. उसे ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने को बाध्य कर सकता है, किसी मुसलमान का टिफ़िन खोलकर देख सकता है, उसके फ्रिज की जांच कर सकता है, उसकी नमाज़ को बाधित कर सकता है.

साहित्य की नागरिकता ऐसी विशाल नागरिकता से घिरी है, जिसे उसके होने का पता ही नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हम जिस हिंदी समाज में लिखते हैं, जिसके बारे में लिखते हैं और जिससे समझ और संवेदना की अपेक्षा करते हैं वह ज़्यादातर पुस्तकों-लेखकों से मुंहफेरे समाज है. उसके लिए साहित्य कोई दर्पण नहीं है जिसमें वह जब-तब अपना चेहरा देखने की ज़हमत उठाए.

देश के विश्वविद्यालय एबीवीपी की मर्ज़ी के बंधक हो चुके हैं; प्रशासन उसके आगे नतमस्तक है

उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में एबीवीपी सदस्यों का हिंदी के अध्यापक डॉ. हिमांशु पंड्या की कक्षा में जबरन घुसकर हंगामा और उन्हें अपमानित कर परिसर से बाहर जाने को मजबूर करने की घटना केवल यह बताती है कि शिक्षक किस हिंसक माहौल में काम कर रहे हैं.

छद्म जनतंत्र से मुक्त होना ज़रूरी है क्योंकि उससे जीवित होने का भ्रम होता है

जनतंत्र बिना राज्य के मूर्त नहीं होता. वह राज्य का गठन करता है और फिर राज्य सबसे पहले उस जन को सुरक्षित करने के नाम पर अपने अधीन कर लेता है. पर अपने इर्द गिर्द दीवार उठाकर व्यक्ति सुरक्षित होता है या अकेला? कविता में जनतंत्र स्तंभ की छब्बीसवीं क़िस्त.

राष्ट्रवाद एक तरह की क़बीलाई मानसिकता है

राजनीतिक दल अक्सर दूसरे दलों पर वोट बैंक यानी किसी ख़ास समुदाय की राजनीति करने का आरोप लगाते हैं. लेकिन वे भूल जाते हैं कि यह इल्ज़ाम लगाते वक्त वे उस जनता से रिश्ता तोड़ देते हैं जिसे वे अपने प्रतिद्वंद्वी का वोट बैंक कहकर लांछित कर रहे हैं.

कविता और जनतंत्र पर इस स्तंभ की आठवीं क़िस्त.

इज़रायल का जन्म: सहमति का मिथ और असहमति का इतिहास

फ़िलिस्तीन का उपनिवेशीकरण विभाजित पश्चिमी समाज के लिए एकता क़ायम करने का ज़रिया बन जाता है. यहूदी समस्या पश्चिम को दिखाई देती है, वहीं फ़िलिस्तीन को वह नज़रअंदाज़ करता है. एडवर्ड सईद ने इसे ‘दोहरा विज़न’ कहा है.

भारत एक असभ्य-अभद्र-बर्बर युग में प्रवेश कर चुका है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंसा को सार्वजनिक अभिव्यक्ति का लगभग क़ानूनी माध्यम स्वीकार किया जाने लगा है. समाज उसे और उसके फैलाव को लेकर, उसके साथ जुड़े झूठों और घृणा को लेकर विचलित नहीं है. पढ़े-लिखे लोग उसे अवसर मिलते ही, उचित ठहराने लगे हैं.

भगत सिंह चाहते थे कि जो क्रांतिकारी शहीद नहीं हुए, वे अपने जीवन को मिसाल बनाएं

नवंबर, 1930 में भगत सिंह ने मुल्तान जेल में बंद अपने साथी बटुकेश्वर दत्त को लिखा था कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए मर ही नहीं सकते, बल्कि जीवित रहकर हर मुसीबत का मुक़ाबला भी कर सकते हैं.

‘1992 के अपराधी आज के राष्ट्रवादी हो चले हैं’

वीडियो: टीवी मीडिया में क़रीब दो दशकों तक काम करने वाले दयाशंकर मिश्र द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर लिखी गई किताब के विमोचन समारोह में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का वक्तव्य.

अभी भले एहसास न हो, पर हिंदू जनता सिर्फ़ राजनीतिक लाभ का साधन बनकर रह जाएगी

अगर हिंदू जनता को यह यक़ीन दिलाया जा सकता है कि यह मंदिर उसकी चिर संचित अभिलाषा को पूरा करता है तो इसका अर्थ है कि हिंदू मन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूरी तरह कब्ज़ा हो चुका है.

जिंदल विश्वविद्यालय में फिलिस्तीन पर​ व्याख्यान में की गई टिप्पणी पर पूर्व प्रोफेसर क़ायम

लेखक और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अचिन वानाइक ने कहा कि फिलिस्तीन पर एक व्याख्यान को लेकर हरियाणा स्थित ओपी जिंदल विश्वविद्यालय ने उनसे खेद जताने के लिए कहा है. विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया है कि इस दौरान हिंदुत्व और इसके मुस्लिम विरोधी होने पर की गई उनकी टिप्पणी आपत्तिजनक थी.

‘सांप्रदायिकता 2014 से शुरू हुई कहने वाले 1950 से चली आ रही सांप्रदायिकता को छिपाना चाहते हैं’

वीडियो: पूर्व आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान की नई किताब 'पॉलिटिकल एक्सक्लूशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स' के लोकार्पण के अवसर पर नई दिल्ली में हुए कार्यक्रम में एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भाषण.

1947 की सांप्रदायिकता अब 2023 में राष्ट्रवाद बन गई है: राजद सांसद मनोज झा

वीडियो: पूर्व आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान की नई किताब 'पॉलिटिकल एक्सक्लूशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स' के लोकार्पण के अवसर पर नई दिल्ली में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रीय जनता दल के सांसद और डीयू में प्रोफेसर मनोज कुमार झा का भाषण.

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