छत्तीसगढ़ पुलिस अबूझमाड़ में हुई हालिया मुठभेड़ को पिछले 24 साल का सबसे बड़ा अभियान बता रही है. हालांकि, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सिविल लिबर्टीज़ कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से इसकी न्यायिक जांच की मांग की है.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में सुरक्षा बलों ने 10 मई को एक मुठभेड़ में 12 कथित माओवादियों को मारने का दावा किया है. मृतकों के परिजनों का कहना है कि 12 में से 10 मृतक पीडिया और ईतावर गांव के निवासी थे और खेती-किसानी किया करते थे.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में सुरक्षा बलों द्वारा बीते हफ्ते एक मुठभेड़ में 12 कथित माओवादियों को मार गिराने की बात कही गई थी. अब ग्रामीणों का कहना है कि कुछ ग्रामीण जंगल से तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे और तभी सुरक्षा बल वाले उनकी ओर बढ़े, जिसे देखकर वे भागने लगे और तभी उन पर गोली चला दी गई.
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पिछले वर्ष राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद नक्सलियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन ने गति पकड़ ली थी. चुनाव के नतीजे भी नहीं आ पाए थे कि नक्सलियों के इलाकों में कैंप खोलने की मुहिम तेज़ कर दी गई.
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले के भरंडा गांव में बीते 23 जनवरी को एक कथित नक्सली मुठभेड़ में एक युवक की मौत हो गई थी. युवक की पहचान मानूराम नुरेटी के रूप में हुई है. उनकी पहचान डीआरजी बल के ही एक जवान रेनूराम नुरेटी के भाई के तौर पर हुई है. रेनूराम ने मुठभेड़ को फ़र्ज़ी क़रार देते हुए कहा है कि उनका भाई तो पुलिस में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था.
आरोप है कि जिस स्वास्थ्य अधिकारी ने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता सोनी सोरी के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि की थी, उसी ने पूछताछ के लिए उन्हें फिट बताया था. इसके बाद पूछताछ में शामिल होने के लिए यात्रा करने को क्वारंटीन नियमों का उल्लंघन बताते हुए सोरी के ख़िलाफ़ उसी स्वास्थ्य अधिकारी ने केस भी दर्ज करा दिया.
मार्च महीने में छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए एक माओवादी हमले में 17 पुलिसकर्मी मारे गए थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया है कि तब सीआरपीएफ की टीम घटनास्थल के पास ही थी लेकिन आदेश न मिलने के कारण उन्होंने कार्रवाई नहीं की.
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मिनपा गांव के जंगल में नक्सलरोधी कार्रवाई के दौरान जवानों पर लगभग 250 की संख्या में नक्सलियों ने हमला कर दिया. मुठभेड़ के दौरान आठ से नौ नक्सलियों को मार गिराया है और इतने ही संख्या में नक्सली घायल भी हुए हैं.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने एफआईआर में सोनी सोरी और बेला भाटिया को चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान अवैध रूप से रैली निकालने और प्रशासन के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करने का आरोपी बनाया है. बेला भाटिया ने पुलिस पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में छह अगस्त को हुई मुठभेड़ में पुलिस के 15 नक्सलियों को मारने के दावे पर स्थानीय ग्रामीणों ने सवाल उठाते हुए कहा था कि नक्सलियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों की हत्या की गई है. मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है.
ग्रामीणों का आरोप है कि मुठभेड़ के वक्त मौके पर कोई माओवादी नहीं था बल्कि बड़ी संख्या में पुलिस जवानों को देखकर ग्रामीण भागने और छिपने की कोशिश कर रहे थे जिन पर बिना कुछ कहे और बताए गोलियां बरसा दी गईं. मरने वालों में 6 नाबालिगों के होने का भी दावा है.